नई दिल्ली । दिल्ली की तीनों लैंडफिल साइटों की ऊंचाई को तेजी से कम करने की तैयारी हो रही है। बरसात खत्म होते ही करीब दोगुनी गति से काम शुरू होगा। भलस्वा, गाजीपुर और ओखला लैंडफिल साइट पर कूड़े के पहाड़ को खत्म करने के लिए उत्तरी दिल्ली नगर निगम को नोडल एजेंसी बनाया गया है। उत्तरी निगम के स्थायी समिति अध्यक्ष जोगी राम जैन ने बताया कि भलस्वा लैंडफिल साइट पर कूड़े के निपटारे के लिए 24 ट्रामल मशीनें काम कर रही हैं। बरसात बाद यहां 79 ट्रामल मशीनें काम करेंगी। गाजीपुर लैंडफिल साइट पर अभी 20 ट्रामल मशीनें काम कर रही हैं। इंजीनियों ने बताया कि यहां जगह की कमी है, जगह देखते हुए यहां मशीनों की संख्या बढ़ाने का निर्णय लिया जाएगा। जबकि ओखला लैंडफिल साइट पर 18 ट्रामल मशीनें काम कर रही हैं। मशीनें बढ़ाकर 27 करने की तैयारी है।
- किस लैंडफिल साइट पर कितना कचरा
ओखला - 55 लाख टन कचरा - 1994 से कूड़ा डंप होना शुरू हुआ।
भलस्वा - 80 लाख टन कचरा - 1994 से कूड़ा डंप होना शुरू हुआ।
गाजीपुर - 140 लाख टन कचरा (सर्वाधिक) - 1984 से कूड़ा डंप होना शुरू हुआ।
भलस्वा लैंडफिल साइट पर 19.23 लाख मीट्रिक टल कूड़े का निपटारा हो चुका है। लैंडफिल साइट की ऊंचाई करीब 54 मीटर अभी है। उत्तरी निगम ने जून-2022 तक लैंडफिल साइट को खत्म करने की समय सीमा तय की है।
गाजीपुर लैंडफिल साइट पहले 65 मीटर थी, जो कि करीब 15 मीटर घट चुकी है। दिसम्बर-2024 तक लैंडफिल साइट को साफ करने की समय सीमा तय है। ओखला में भी 7 लाख मीट्रिक टन कचरे का निपटारा हुआ है। इसकी ऊंचाई भी करीब 55 मीटर थी, जो अब तक 15 मीटर घट चुकी है। दिसंबर 2023 तक लैंडफिल साइट का खत्म करने की समय सीमा तय की है। ट्रामल मशीन के अंदर कई छोटी मशीनें शामिल होती हैं। ट्रामल मशीनें लैंडफिल साइटों पर कूड़े से प्लास्टिक, लोहे और कच्चे कचरे को अलग करती हैं। प्लास्टिक व लोहा रीसाइकिल हो रहा। जबकि कंकड-पत्थर निगम का कंस्ट्रक्शन व डीमोलीशन विभाग निर्माण स्थलों पर, गड्ढों को भरने में इस्तेमाल कर रहा है। मिट्टी निगम की खाली जगहों में भरी जा रही है। नागरिक जरूरत पड़ने पर यहां से मिट्टी ले भी सकते हैं।