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महिला हॉकी खिलाड़ियों के परिजन एक सुर में बोले, कोई बात नहीं अगली बार जीतेंगे 

महिला हॉकी खिलाड़ियों के परिजन एक सुर में बोले, कोई बात नहीं अगली बार जीतेंगे 

नई दिल्ली। ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन के बाद भी भारतीय महिला हॉकी टीम कांस्य पदक से चूक गई। उनके परिवार निराश हैं लेकिन टीम के प्रदर्शन पर उन्हें गर्व है। टीम की मध्यपंक्ति की खिलाड़ी नेहा गोयल की मां सावित्री देवी ने कहा, ‘कोई बात नहीं है, वे अगली बार पदक जीतेंगे।’ दूसरे खिलाड़ियों के परिवारों का भी यही मानना है। रियो ओलंपिक (2016) में आखिरी स्थान पर रहने वाली भारतीय टीम ने शानदार खेल का प्रदर्शन किया और शुक्रवार को सेमीफाइनल में उन्हें गत चैम्पियन ब्रिटेन से करीबी मुकाबले में उन्हें 3-4 से हार का सामना करना पड़ा।
टीम में हरियाणा और पंजाब के 10 खिलाड़ी है और उनके परिवार के लोग मैच के शुरू होने से पहले टेलीविजन सेट के सामने बैठ गये थे। सावित्री ने सोनीपत में कहा, ‘कोई बात नहीं, हम फिर जीतेंगे। यह एक सुनहरा मौका था और हमें उन पर पूरा भरोसा था। यह तनावपूर्ण क्षणों से भरा था और वे सभी अच्छा खेले, हमें उन पर गर्व है।’ निशा वारसी के पिता सोहराब अहमद ने भी ऐसी ही भावना व्यक्त की। उन्होंने कहा, ‘वहां प्रेशर कुकर जैसी दबाव की स्थिति थी। लेकिन हमारी बेटियों ने जी-जान ला दिया। उसने इससे पहले काफी मुश्किल समय का सामना किया है, चाहे वह वित्तीय समस्या हो या आलोचना का सामना करना, उसने चुनौती का सामना किया है।’ गोलकीपर सविता पूनिया के पिता महेंद्र पूनिया ने कहा कि निराश होने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, ‘मैच का नतीजा भले ही उनके पक्ष में न हो, लेकिन उन्होंने वास्तव में अच्छा खेल दिखाया।’
कप्तान रानी के पिता रामपाल ने कुरुक्षेत्र में शाहाबाद स्थित अपने घर से कहा कि भारतीय टीम अच्छा खेली लेकिन किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया। उन्होंने कहा, ‘ओलंपिक में इस प्रदर्शन का खेल पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और युवाओं को इस खेल को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेगा। हमारी बेटियां जोरदार वापसी करेंगी।’ झारखंड में आदिवासी बहुल सिमडेगा में सलीमा टेटे के घर के बाहर भारी भीड़ जमा थी। सिलवानुस डुंग डुंग और माइकल किंडो जैसे हॉकी के दिग्गज भी यही के रहने वाले हैं। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर उनके घर में एक नया स्मार्ट टीवी लगाया गया था ताकि उनके परिवार के सदस्य मैच देख सकें। भारतीय टीम के हर गोल पर ग्रामीण स्थानीय बोली में ‘मार सलीमा मार, गोल मार’ के नारे लगाते रहे थे।
सलीमा के पिता सुलक्षण ने कहा, ‘मेरी बेटी सहित टीम की सभी बेटियों ने पूरे देश का दिल जीता और भविष्य में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए और मजबूत होकर उभरी हैं।’ राज्य के खूंटी जिले के हेसल गांव में डिफेंडर निक्की प्रधान के पिता सोमा प्रधान ने कहा, ‘जीत और हार खेल का हिस्सा हैं। वे सभी प्रशंसा के पात्र हैं।’ उप-कप्तान दीप ग्रेस एक्का के घर में सुंदरगढ़ जिले के बामनीबहार में भी ग्रामीणों के लिए यह भावुक करने वाला मौका था। उनके भाई और राष्ट्रीय स्तर के पूर्व गोलकीपर दिनेश एक्का ने कहा, ‘हर कोई पदक जीतना चाहता है लेकिन ऐसा नहीं हुआ। फिर भी उनकी यात्रा ऐतिहासिक रही है।’
 

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