नई दिल्ली । हरिद्वार कुंभ के दौरान प्रयोगशालाओं द्वारा झूठी नकारात्मक जांच के कारण हरिद्वार में संक्रमण दर वास्तविक 5.3 प्रतिशत के मुकाबले 0.18 प्रतिशत थी। यह जानकारी देते हुए फर्जी कोरोना टेस्ट कराने के मामले में प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने दिल्ली, नोएडा, हिसार और देहरादून में उत्तराखंड सरकार के साथ एमओयू साइन करने वाली मैक्स कॉरपोरेट सर्विस समेत कोविड टेस्ट करने वाली नोवास, डॉ. लालचंदानी लैब, डीएनए और मैक्स लैब के ठिकानों पर जांच-पड़ताल की। इसके साथ ही एसआईटी की टीम भी मैक्स सर्विसेज के मालिक और पार्टनर की तलाश में दिल्ली-एनसीआर और नैनीताल में दबिश दी है।
ईडी ने छापेमारी के दौरान आपत्तिजनक दस्तावेज, फर्जी बिल, लैपटॉप, मोबाइल फोन और संपत्ति के दस्तावेज और 30.9 लाख रुपये नकद जब्त किए हैं। एजेंसी ने हाल में आरोपी कंपनियों और उनके निदेशकों के खिलाफ उत्तराखंड पुलिस की प्राथमिकी का अध्ययन करने के बाद धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत एक आपराधिक मामला दर्ज किया है। इसके बाद छापेमारी की गई। ईडी ने कहा कि इन प्रयोगशालाओं को उत्तराखंड सरकार ने कुंभ मेले के दौरान कोरोना वायरस के लिए तेजी से एंटीजन और आरटी-पीसीआर जांच करने का ठेका दिया था। एजेंसी ने कहा कि इन प्रयोगशालाओं ने शायद कोविड-19 की कोई जांच की हो और जांच के लिए ‘‘फर्जी प्रविष्टियां’’ कीं और अवैध वित्तीय लाभ अर्जित करने के लिए ‘‘फर्जी’’ बिल बनाये। ईडी ने कहा, ‘‘उन्हें (प्रयोगशालाओं) उत्तराखंड सरकार से आंशिक भुगतान के रूप में 3.4 करोड़ रुपये पहले ही मिल चुके हैं।’’
प्रवर्तन निदेशालय ने यह भी बताया कि कैसे इन डायग्नोस्टिक फर्मों ने कथित तौर पर धोखाधड़ी को अंजाम दिया। एजेंसी ने कहा कि उसकी जांच में पाया गया कि “इन प्रयोगशालाओं द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली कार्यप्रणाली यह थी कि उन्होंने कोरोना वायरस परीक्षण की बढ़ी हुई संख्या दिखाने के लिए एकल मोबाइल नंबर या झूठे मोबाइल नंबर, एकल पते या एक ही नमूना रेफरल फॉर्म (एसआरएफ) का इस्तेमाल कई व्यक्तियों के लिए किया था।
ईडी ने कहा कि इन प्रयोगशालाओं द्वारा झूठी नकारात्मक जांच के कारण, उस समय हरिद्वार में संक्रमण दर वास्तविक 5.3 प्रतिशत के मुकाबले 0.18 प्रतिशत थी। दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक, कुंभ एक अप्रैल से 30 अप्रैल तक राज्य में आयोजित किया गया था।
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झूठी जांच के कारण हरिद्वार कुम्भ में कोरोना संक्रमण दर 5.3 प्रतिशत के मुकाबले 0.18 प्रतिशत थी