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आजादी के 75 साल बाद केजरीवाल ने दिल्ली को आरटीओ कार्यालय पर लगाया ताला, सेवाएं हुई फेसलेस

आजादी के 75 साल बाद केजरीवाल ने दिल्ली को आरटीओ कार्यालय पर लगाया ताला, सेवाएं हुई फेसलेस


नई दिल्ली । आजादी के 75 साल बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली निवासियों को परिवहन विभाग में रिश्वतखोरी, लंबी कतारों और दलाली से मुक्ति दिला दी है। सीएम अरविंद केजरीवाल ने आरटीओ दफ्तर पर ताला लगाकर फेसलेस सेवाओं की शुरूआत की। अब आपको आरटीओ दफ्तर में जाकर लाइन में लगने की नहीं जरूरत पड़ेगी। सीएम ने कहा कि लर्निंग लाइसेंस से लेकर गाड़ी के रजिस्ट्रेशन सर्टिफ़िकेट बनवाने जैसे परिवहन विभाग के सभी काम अब आप घर बैठे ऑनलाइन करवा पाएंगे। यह 21वीं सदी के भारत निर्माण की दिशा में एक बहुत बड़ा क्रांतिकारी कदम है। धीरे-धीरे दिल्ली सरकार के सारे विभागों में सब कुछ फेसलेस कर दिया जाएगा। सीएम ने कहा कि आज यह कर पाना तभी संभव हुआ, जब एक अच्छी नियत वाली सरकार दिल्ली में बैठी है। हम ऐसा सिस्टम बनाना चाहते हैं कि बिना दलालों और बिना रिश्वतखोरी के वह काम कर सके। हमें असली आजादी तभी मिलेगी, जब हमें दलालों, बिचौलियों, लाइनों, रिश्वतखोरी से आजादी मिलेगी और यह सिलसिला शुरू हो गया है। सीएम केजरीवाल ने आज परिवहन विभाग के आईपी स्टेट स्थित जोनल कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम के दौरान फेसलेस सेवाओं का शुभारम्भ किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने आरटीओ कार्यालय में ताला लगाकर यह संकेत दिया कि अब किसी काम के लिए आपको आरटीओ कार्यालय नहीं आने होंगे। अब आप अपने सारे काम घर बैठे ही करा सकेंगे। इस दौरान परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत, मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव (ट्रांसपोर्ट) समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। सीएम ने ट्वीट कर कहा, ‘‘परिवहन विभाग के इस दफ़्तर पर ताला लगाकर इसकी फ़ेसलेस सेवाओं की शुरुआत की। अब आपको आरटीओ दफ्तरों में जाकर वहां लाइनों में लगने की ज़रुरत नहीं है। लर्निंग लाइसेंस से लेकर गाड़ी के रजिस्ट्रेशन सर्टिफ़िकेट बनवाने जैसे परिवहन विभाग के सभी काम अब आप घर बैठे ऑनलाइन करवा पाएंगे। 
मुख्यमंत्री केजरीवाल ने आज परिवहन विभाग में फेसलेस सर्विस का शुभारम्भ करते हुए कहा कि इस क्रांतिकारी कदम के लिए मैं दिल्ली के लोगों को बधाई देना चाहता हूं। एक जमाना था, जब अगर आपको परिवहन विभाग में लाइसेंस बनवाना होता था, तो घर के अंदर बड़ी टेंशन होती थी कि अब क्या करें? किसको पकड़ें, किससे सिफारिश करवाएं, किस दलाल को पकड़ें, छुट्टी लेनी पड़ती थी, एक बार जाते थे, लाइन में लगते थे, फिर कुछ आपत्ति लगा दी जाती थी। फिर दूसरी बार लाइन में लगते थे और परेशान होकर सोचते थे कि किसी दलाल को ही पकड़ लो। फिर दलाल को पकड़ते थे। इस तरह काम करवाना बड़ा मुश्किल होता था। अभी जो तस्वीरों में दिखाया गया कि लंबी-लंबी लाइनें, खचाखच भरे हुए हैं, लोग पसीने से लथपथ हैं, यह 2015 के पहले का दृश्य था। 
 

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