केंद्र सरकार वकीलों के कल्याण कार्यक्रमों के लिए अनुदान नहीं दे सकती। यह बात केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) और राज्य बार संघों के सदस्यों के साथ बैठक के दौरान के कही। केंद्रीय कानून मंत्री ने वकीलों के अपने लिए कल्याण योजनाओं की मांग को लेकर देशव्यापी विरोध मार्च करने के बाद इस मुद्दे पर चर्चा के लिए बुलाया था। इस विरोध मार्च में करीब 35 हजार वकीलों ने हिस्सेदारी की थी। कानून मंत्री ने 21 लोगों के प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक के दौरान कहा कि वकीलों के लिए आवास उपलब्ध कराना राज्य सरकारों के अधिकारों के तहत आता है। बीसीआई की तरफ से जारी बयान के मुताबिक, प्रसाद ने वकीलों के कल्याण के लिए तत्काल कोई अनुदान उपलबध कराने में असमर्थता जताई, लेकिन उन्होंने आश्वासन दिया कि वह दिल्ली विकास प्राधिकरण के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे। वह कुछ वकीलों और अधिकारियों की कमेटी गठित करेंगे, जो वकीलों के कल्याण के लिए कुछ उपाय सुझाएगी। बीसीआई चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा ने बैठक के बाद कहा कि प्रतिनिधिमंडल ने 2 मार्च को वकीलों के आगामी कदम पर चर्चा करने के लिए फिर से मिलने का निर्णय लिया है। इससे पहले कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मंगलवार को राज्य सभा में भी प्रश्नकाल के दौरान कहा था कि वह वकीलों का सम्मान करते हैं। उनकी मांगों पर सरकार जल्द से जल्द विचार करने जा रही है। निचली अदालतों में बेहतर चैंबर सुविधा, वकीलों की कल्याणकारी योजना और आवासीय सुविधा के लिए बजटीय आवंटन सुनिश्चित कराने को लेकर देश के 15 लाख वकील हड़ताल पर हैं।
राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस सांसद सुखेंदु शेखर राय ने प्रश्न काल के दौरान यह मसला उठाया था, जिसके जवाब में रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार इस मांग पर खुले दिमाग से विचार करेगी तो सभापति वेंकैया नायडू ने उन्हें सिर्फ खुले दिमाग से नहीं, बल्कि सकारात्मक दिमाग के साथ विचार करने की सलाह दी।
नेशन
वकीलों के कल्याण कार्यक्रमों के लिए तत्काल अनुदान नहीं दे सकती सरकार : कानून मंत्री रविशंकर