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राष्ट्र-स्तुति के दोहे 

राष्ट्र-स्तुति के दोहे 

शोभित, सुरभित, तेजमय, पावन अरु अभिराम।
राष्ट्र हमारा मान है, लिए उच्च आयाम।।

राष्ट्र-वंदना मैं करूँ, करता हूँ यशगान।
अनुपमेय, उत्कृष्ट है, भारत देश महान।।

नदियाँ, पर्वत, खेत, वन, सागर अरु मैदान।
नैसर्गिक सौंदर्यमय, मेरा हिंदुस्तान।।

लिए एकता अति मधुर, गीता और कुरान।
दीवाली-होली सुखद, एक्यभाव-पहचान।।

सारे जग में शान है, है प्रकीर्ण उजियार।
राष्ट्र हमारा है प्रखर, परे करे अँधियार।।

मातु-पिता, गुरु, नारियाँ, पातीं नित सम्मान।
संस्कार मम् राष्ट्र की, है चोखी पहचान।।

तीन रंग के मान से, हैं हम सब अभिभूत।
राष्ट्रवंदना कर रहे, भारत माँ के पूत।।

राष्ट्रप्रेम अस्तित्व में, आया नवल विहान।
कण-कण करने लग गया, भारत का यशगान।।

भारत की सीमाओं पर,जमे हुए हैं लाल।
शौर्य,वीरता देखकर,होते सभी निहाल।।

आज़ादी की वंदना, करता सारा देश।
आओ, हम रच दें यहाँ, वासंती परिवेश।।
                    
(लेखक--प्रो(डॉ)शरद नारायण खरे )

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