राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) पास करने में असफल रही एक 18 वर्षीय युवती ने अपने घर में फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली। इस घटना के साथ ही राज्य में नीट परीक्षा में असफल रहने पर आत्महत्या करने वालों की संख्या बढ़कर तीन हो गई है। नीट का परिणाम बुधवार को घोषित किया गया था।
इस घटना के बाद से तमिलनाडु में विपक्षी दलों की दो साल पुरानी मांग को एक बार फिर बल मिला है कि राज्य को इस परीक्षा से अलग हो जाना चाहिए। एम मोनिशा दूसरे साल लगातार इस परीक्षा को पास करने में विफल रही। जिले के एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि वह बीते साल अपने पिछले प्रयास में सफल नहीं हो सकी थी और इस साल संपन्न नीट परीक्षा में उसे बहुत कम अंक आए। इस छात्रा ने इरोड जिले के तिरुचेनगोड के एक प्रतिष्ठित विद्यालय से 12 वीं कक्षा की पढ़ाई पूरी की थी। मछुआरा समुदाय से संबंध रखने वाली इस लड़की की मां की हाल ही में मौत हो गई थी।
पांच जून को तिरुपुर की एस रितुश्री और पुदुकोट्टई की रहने वाली एन वैशिया ने नीट परीक्षा में असफल रहने के बाद आत्महत्या कर ली थी। अम्मा मक्कल मुनेत्र कषगम के महासचिव टीटीवी दिनाकरण ने छात्रा की मौत के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए आरोप लगाया कि नीट अन्याय परक है।
इस परीक्षा की वजह से ग्रामीण इलाकों में चिकित्सा की पढ़ाई करने के इच्छुक छात्र अपने सपने को पूरा नहीं कर पा रहे है। परिणाम आने के एक दिन बाद द्रमुक प्रमुख एम के स्टालिन ने कहा कि उनकी पार्टी के सांसद संसद में इस मुद्दे को उठाएंगे और राज्य को इस परीक्षा से छूट देने की मांग करेंगे। माकपा नेता के बालाकृष्णन ने भी उनकी मांग का समर्थन किया। एमडीएमके नेता वाइको ने कहा कि पीड़ित या तो गरीब मजदूरों के बच्चे होते हैं या फिर उनका मध्यम वर्ग से संबंध होता है।
नेशन
नीट को जिंदगी की अंतिम लक्ष्य माना, सफल नहीं हुई तो कर ली आत्महत्या