काबुल । अफगानिस्तान में कब्जा जमाने के बाद अब तालिबान ने मस्जिदों के जरिए अपनी छवि पर लगे दाग को मिटाने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। तालिबान ने अफगानिस्तान के सभी इमामों से कहा है कि किसी भी अफगानी को जुमे की नमाज के समय भागने नहीं दिया जाए। इसके साथ ही तालिबान के विरुद्ध फैलाए जा रहे नकारात्मक माहोल को सुधारने का प्रयास किया जाए। लोगों को बताय़ा जाए कि तालिबान आतंकी संगठन नहीं है, जैसा की पश्चिमी देश प्रचारित कर रहे हैं।
तालिबान ने अफगानिस्तान के इमामों से जुमे की नमाज के दौरान आतंकी समूह के बारे में नकारात्मक रिपोर्टों का मुकाबला करने के लिए लोगों को समझाने को कहा है। तालिबान ने कहा कि वह अफगानिस्तान के लोगों का दुश्मन नहीं है। लोगों को उससे डरने की जरूरत नहीं है। तालिबान ने इमामों से कहा कि वे लोगों को संझाएं कि लोगों को देश से भागने की जरूरत नहीं है।
उल्लेखनीय है कि रविवार को कट्टरपंथी इस्लामी समूह द्वारा काबुल पर कब्जा करने के बाद से हजारों लोग भागने की कोशिश कर रहे हैं। तालिबान ने कहा है कि उसे उम्मीद है कि देश भर के इमाम इस्लामी व्यवस्था के फायदे को गिनाएंगे और इस सिस्टम को बढ़ावा देंगे और एकता का आग्रह करेंगे। गुरुवार को एक संदेश में तालिबान ने कहा कि इमामों को हमारे देशवासियों को देश के विकास के लिए काम करने और देश न छोड़ने की कोशिश करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए और दुश्मन के नकारात्मक प्रचार का जवाब देना चाहिए।
यह संदेश ऐसे समय में आया है, जब तालिबान का विरोध करते हुए लोग काबुल और अफगानिस्तान के अन्य शहरों में सड़कों पर उतर आए। तालिबान लड़ाकों ने पूर्वी शहर असदाबाद में भीड़ पर गोलीबारी की, जिसमें कई लोग मारे गए। अफगानिस्तान में लगातार लोग अफगानिस्तान के राष्ट्रध्वज के साथ प्रदर्शन कर रहे हैं और शासन संबंधी बढ़ती चुनौतियों का सामना कर रहा तालिबान उसे हिंसा से दबाने की कोशिश कर रहा है।
दरअसल, तालिबान की वापसी के साथ ही अफगान नागरिक देश छोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। अशरफ गनी के देश छोड़कर चले जाने और राष्ट्रीय सरकार के गिरने के बाद से अफगान देश से निकलने के लिए हवाई अड्डे की ओर भाग रहे हैं। इसकी वजह है कि वे अतीत में तालिबान के क्रूर अत्याचार को देख चुके हैं और इसी से डरे हुए हैं।
हालांकि, इस बीच तालिबान ने यह कहते हुए अधिक उदार चेहरा पेश किया है कि वे शांति चाहते हैं। तालिबान ने कहा कि वह पुराने दुश्मनों से बदला नहीं लेगा और इस्लामी कानून के ढांचे के भीतर महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करेगा। हालांकि, तालिबान भले ही शांति की बात कह ले लेकिन अब तक उसका यह चेहरा दिख नहीं पाया है, क्योंकि प्रदर्शन कर रहे लोगों पर वह लगातार गोलियां बरसा रहा है।
यही वजह है तालिबान द्वारा नृशंस शासन लागू करने को लेकर उत्पन्न अनिश्चितता एवं चिंता के बीच कई अफगान देश से भागने की कोशिश कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि 1996-2001 तक सत्ता में रहते हुए तालिबानियों ने बामियान में स्थित प्राचीन बौद्ध मूर्तियों को उड़ा दिया और अपनी कट्टर नीतियों से हजारों लोगों की जान ले ली थी। 2001 में अमेरिका के नेतृत्व वाले आक्रमण के बाद उन्हें सत्ता से बाहर कर दिया गया था।
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नमाज के दौरान लोगों को बताएं आतंकी संगठन नहीं है तालिबान, मस्जिद के इमामों को दिए निर्देश -अफगानिस्तान में सत्ता पर काबिज होने के बाद छवि सुधारने में जुटा तालिबान