परमात्मा हमारी रक्षा करे और हम परमात्म अनुभूति के साथ पवित्रता का संकल्प करते हुए देवता के समान बन सके, यही रक्षाबंधन पर्व की मूल अवधारणा है।सृष्टि में हम सभी परमात्मा की संतान हैं और परमात्मा हमारा परमपिता है। इसी कारण उसकी संतान होने के नाते हम सब आपस में रूहानियत रूप में भाई-भाई या फिर भाई बहन हुए,एक दूसरे को यही हमे मानना और समझना भी चाहिए । आवश्यकता पड़ने पर एक दूसरे की रक्षा करना भी हम सबका दायित्व है।इसी पवित्र संकल्प को बंधन रुप में मानते हुए रक्षा बंधन पर्व मनाया जाता है। रक्षा बंधन का पर्व हर वर्ष सावन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस वर्ष रक्षा बंधन का पर्व 22 अगस्त को मनाया जा रहा है।रक्षाबंधन पर यह धनिष्ठा नक्षत्र के साथ शोभन योग का शुभ संयोग बन रहा है। ज्योतिष शास्त्र में इस शुभ संयोग को अति उत्तम माना गया है। माना जाता है कि इस संयोग में रक्षाबंधन भाई और बहन दोनों के लिए शुभकारक और लाभ फलदायी होगा।रक्षाबंधन के पावन पर्व पर सुबह 06.15 बजे से लेकर 10.34 बजे तक शोभन योग है, जबकि धनिष्ठा योग शाम को करीब 07.40 मिनट तक है। इस योग में राखी बांधना सबसे उत्तम माना जाता है।इस पर्व का शुभ समय: सुबह 05:50 बजे से शाम 06:03 बजे तक है।रक्षा बंधन के लिए दोपहर का उत्तम समय: 01:44 बजे से 04:23 बजे तक है।राखी बांधने के लिए बहने राखी की थाली में रोली, कुमकुम, अक्षत, दीपक, मिठाई और राशि के अनुसार रंग वाली राखी रखकर भाई के लिए मंगलकामना करे और तिलक लगाकर राखी बांधे।भाई की राशि मेष है तो इसका स्वामी मंगल है। ऐसे भाई को लाल रंग की राखी बांधना शुभ माना जाता है। इससे उनके जीवन में भरपूर ऊर्जा बनी रहती है।वृष राशि के भाई का स्वामी शुक्र है। बहन अपने भाई को नीले रंग की राखी पहनाएं तो उसके लिए शुभ होगा।मिथुन राशि के स्वामी बुध है। ऐसे में अपने भाई को हरे रंग की राखी बांधे । इससे सुख,समृद्धि और दीर्घायु होते हैं।
कर्क राशि के स्वामी चंद्रमा है।इस राशि भाई के लिए पीले या फिर सफेद रंग की राखी सही होगी। इस रंग से आपके जीवन में भरपूर खुशहाली आएगी।सिंह
राशि के स्वामी सूर्य है। ऐसे में अपने भाई के लिए पीले-लाल रंग की राखी खरीदें। उनके लिए सही होगा।कन्या राशि के स्वामी बुध हैं। ऐसे भाई को बहन से हरे रंग की राखी बंधवानी चाहिए। इससे सभी प्रकार के ग्रह दोष दूर हो जाते हैं। भाई-बहन के बीच प्रेम बना रहता है।तुला राशि के भाई को नीला या फिर सफेद रंग की राखी बांधना शुभ है। इस राशि के स्वामी शुक्र है।वृश्चिक राशि के भाई का स्वामी मंगल है। ऐसे भाई को लाल रंग की राखी बांधना शुभ माना जाता है।धनु राशि के के स्वामी बृहस्पति है।इस राशि के भाई को सुनहरे पीले रंग की राखी बंधवानी चाहिए या फिर पीले रंग की राखी बांधनी चाहिए।मकर
राशि के स्वामी शनि है। बहन अपने भाई को नीले रंग की राखी बांधनी चाहिए। इससे भाई-बहन का अटूट रिश्ता बना रहेगा।कुंभ राशि के भाई को गहरे हरे रंग की राखी जिसमे रूद्राक्ष हो या फिर रुद्राक्ष माला पहननी चाहिए। मीन राशि के भाई को सुनहरे हरे रंग की राखी बांधनी चाहिए। इसे शुभ माना जाता है। ऐसे लोगों के लिए पीले रंग की राखी शुभ है।
भाई-बहन का रिश्ता सबसे पवित्र और विश्वनीय है चाहे बहन हो या भाई दोनों ही एक दूसरे के प्रति शुभ भावना रखते हैं और एक दूसरे की प्रगति सदा चाहते
हैं, वह भी बिना किसी स्वार्थ के। हालांकि रक्षाबंधन पर जब बहन भाई को राखी बांधती है तो भाई बदले में उसे कुछ उपहार देता है। ऐसा इसलिए है ताकि भाई- बहन के बीच प्रेम और सदभाव उत्तरोत्तर बढ़ता रहे और कम से कम एक दिन ऐसा हो जब भाई बहन एक दूसरे से मिलकर मन की खुशी मना सकें। गांव देहात में पंडित द्वारा अपने यजमानों को रक्षासूत्र यानि राखी बांधने का प्रचलन है। इसके पीछे भी यही अवधरणा है कि पंडित को विद्वान और पवित्र माना जाता है और वह रक्षासूत्र बांधने के पीछे अपने यजमान को बुद्धिमान और पवित्र रहने का संदेश
देता है। रक्षाबंधन के पर्व पर जब बहन भाई की कलाई पर राखी बांधती है तो उन्हें विकारों को त्यागने का संकल्प लेना चाहिए। जिसकी शुरूआत प्रति रक्षाबंधन एक विकार को त्यागने के संकल्प के साथ की जा सकती है। मनुष्य में व्याप्त विकार एक नहीं अनेक होते हैं। जिनमें काम क्रोध, मोह, लोभ और अहंकार जहां प्रमुख हैं वहीं ईर्ष्या, द्वेष, घृणा जैसे विकार भी मनुष्य की प्रगति में बाधक हैं। सच पूछिए तो रक्षाबंधन है ही पवित्रता का पावन पर्व, जिसमें भाई- बहन के पवित्र रिश्ते की रक्षा के लिए रक्षासूत्र बांधने की वर्षों से परम्परा चली आ रही है। इस पर्व के माध्यम से जहां हम अपनी बहनों की सुख समृद्धि और प्रगति की कामना करते हैं वहीं बहन भी अपने भाई की दीर्घायु की कामना के साथ-साथ उसकी उन्नति की प्रार्थना करती हैं। प्रजापिता ब्रहमाकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय इस पर्व को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाता है। ब्रहमाकुमारी बहनें समाज के शीर्ष पदों पर विराजित महानुभावों से लेकर आमजन तक राखी पर्व का संदेश उन्हें राखी बांधकर देती हैं। वें राखी बांधने के बदले कोई उपहार या नगदी कभी ग्रहण नहीं करती हैं अपितु चाहती हैं कि जिस भाई केो उन्होंने राखी बांधी है वह कम से कम अपने भीतर व्याप्त एक अवगुण का त्याग हमेंशा के लिए करें। तभी यह पर्व सार्थक माना जाता है। इस संस्था में रक्षाबंधन पर्व मनाने की शुरूआत 15 दिन पहले से ही हो जाती है और बाद तक चलती रहती है। ताकि समाज अवगुणों से मुक्त हो और एक स्वर्णिम सद्गुणी समाज की स्थापना हो सके।चूंकि भाई और बहन के रिश्ते से पवित्र दुनिया में कोई भी रिश्ता नहीं होता। इस दिन बहनें अपने भाईयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और भाई जीवनभर उसकी रक्षा का प्रण लेता है।हालांकि मान्यता यह भी है कि सभी दिन परमपिता परमात्मा के बनाये हुए हैं जब परमात्मा की कृपा होती है तो सभी कार्य स्वतः
ही सिद्ध होने लगते हैं। लेकिन फिर भी सनातन धर्म के अनुसार कुछ दिनों का महत्व अलग होता है, जिसे हम त्यौहार या फिर पर्व कहते हैं। जबकि परमात्मा की दृष्टि में सभी दिन एक जैसे ही होते हैं। उनमें विशेष कुछ है तो वह है शुभ और अशुभ लग्न। जिसे हम साधारण भाषा में शुभ व अशुभ समय भी कहते हैं। जिसके बारे में जानकारी प्राप्त कर सभी बहनें अपने भाईयों की कलाई पर शुभ समय में ही रक्षासूत्र को बांधने का प्रयास कर सकें। यह ऐसा पर्व है जिसे कभी भी और किसी भी समय व किसी भी दिन मनाया जा सकता है। आज आवश्यकता भी इसी बात की है, कि समाज में बहनों का सम्मान हो, उनकी रक्षा हो और वें स्वाभिमान के साथ सिर उठाकर निर्भीक जीवन जी सकें।तभी पर्व की सार्थकता सिद्ध हो सकती है।(लेखक वरिष्ठ पत्रकार है)
(लेखक- डॉ श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट )
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आत्म स्वरूप में पवित्र संकल्पो का पर्व है रक्षाबंधन!