बच्चों को अनुशासित रखने या सुधारने के लिए हम कई बार उनसे ऐसी बातें बोल देते हैं, जो उनके कोमल मन पर नकारात्मक छाप छोड़ देती है जिस कारण वो सुरधने की बजाय ज्यादा खराब हो जाते हैं। उनके दिमाग में वो बातें बैठ जातीं है। यह बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। मैं भी बचपन में पढा़ई में ऐसी ही थी जैसी बातें न कहें क्योंकि
इस बात से बच्चे पढ़ाई को लेकर लापरवाह हो सकते हैं। उसकी जगह बच्चे को कड़ी मेहनत के लिए प्रेरित करें।
पापा से शिकायत:
आमतौर पर घरों में पापा की छवि सख्त व्यक्ति की तरह बनी होती है! पर बार-बार पापा के नाम की धमकी देकर आप जो बच्चों को अनुशासित करने की कोशिश करती हैं, दरअसल वो उनके मन में पापा के लिए डर पैदा करता है! उनके मन में पापा के लिए सम्मान की जगह खौफ ले लेता है। जिस कारण बच्चा अपने पिता से दूर हो जाता है।
हमेशा ताना ठीक नहीं:
बच्चों को बार-बार ताना न दें। बार-बार एक ही बात बोलने और ताना देने से बच्चे ज्यादा गुस्से वाले और चिढ़चिढ़े हो जाते हैं। साथ ही वो जिद्दी भी होने लगते हैं.
बच्चों में तुलना ना करें:
कई बार हम अपने बच्चों में ही ना चाहते हुए भी भेदभाव दर्शा देते हैं। अपने बच्चे की तुलना किसी दूसरे बच्चे से न करें. दूसरा बच्चा आपके बेटे या बेटी से तेज है या खूबसूरत है, इस तरह की तुलना न करें। इससे बच्चों में दूसरे बच्चों को लेकर हीन भावना पैदा होने लगती है.
मोटापे का एहसास ना कराएं:
आप डायट पर हैं या अपना वजन घटाना चाहती हैं, यहां तक तो ठीक है। पर यह बात बच्चों के सामने जाहिर न करें। ऐसा करने से बच्चे अपने वजन को लेकर चिंतित हो जाते हैं और खाना ठीक से नहीं खाते। इसलिए बार-बार उनके सामने वेट मशीन पर खड़ी ना हों और ना ही उनसे यह कहें कि आजकल आप वजन घटाने की कोशिश कर रही हैं।
आरोग्य
बच्चों से न करें नकारात्मक बातें