पंजशीर । अफगानिस्तान में तालिबानियों के काबुल में काबिज होने के बाद अफगानी नेता अहमद मसूद ने तालिबानी आतंकियों से सीधा मोर्चा ले रखा है। मसूद आतंकी संगठन के साथ बातचीत और जंग दोनों के लिए तैयार हैं। मसूद ने यह ऐलान ऐसे समय पर किया है जब तालिबानी आतंकियों ने पंजशीर की घाटी पर धावा बोलने के लिए हजारों की तादाद में अपने लड़ाकुओं को भेजा है। मसूद पक्ष का दावा है कि उन्होंने तालिबानियों को घेर लिया है और 300 से अधिक लड़ाकुओं को मार गिराया है। 'पंजशीर के शेर' कहे जाने वाले अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद ने मीडिया से फोन पर बातचीत में कहा, 'हम तालिबान को यह अहसास कराना चाहते हैं कि आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता बातचीत है।' तालिबान को शिकस्त देने के लिए अहमद मसूद ने अपनी एक सेना खड़ी की है जो अफगान सेना, स्पेशल फोर्सेस और स्थानीय लड़ाकुओं से मिलकर बनी हैं। अहमद मसूद ने कहा, 'हम नहीं चाहते हैं कि युद्ध शुरू हो।'
इस बीच तालिबान लड़ाकुओं ने अहमद मसूद को चुनौती दी थी कि वे या तो आत्मसमर्पण कर दें या फिर जंग के लिए तैयार रहें। बताया जा रहा है कि अहमद मसूद ने आत्मसमर्पण करने से इनकार कर दिया तो तालिबान ने हमला बोला है। मसूद गुट का दावा है कि उसने तालिबान की सप्लाई लाइन को काट दिया है और 1000 तालीबानी फंस गए हैं। अब तक 300 से ज्यादा तालिबानी मारे गए हैं। मसूद ने कहा कि अगर तालिबान ने पंजशीर की घाटी में घुसने की कोशिश की तो हमारे समर्थक जंग के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। उन्होंने कहा, 'वे अपनी रक्षा करना चाहते हैं, वे जंग लड़ना चाहते हैं, वे तानाशाही शासन का विरोध करना चाहते हैं।' पंजशीर में अहमद मसूद ने लगभग 9000 विद्रोही सैनिकों को इकट्ठा किया है। खबरों में बताया गया है कि इस इलाके में दर्जनों रंगरूट ट्रेनिंग एक्सरसाइज और फिटनेस प्रैक्टिस करते दिखे हैं। इन लड़ाकों के पास हम्वी जैसी गाड़ियां भी हैं।
उधर, खुद को अफगानिस्तान का कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित कर चुके अमरुल्लाह सालेह ने भी ट्वीट किया- 'अंदराब घाटी के एम्बुश जोन में फंसने और बड़ी मुश्किल से एक पीस में बाहर निकलने के एक दिन बाद तालिबान ने पंजशीर के एंट्रेंस पर फोर्स लगा दी है। हालांकि इस बीच सलांग हाइवे को विद्रोही ताकतों ने बंद कर दिया है। ये वे रास्ते हैं जिनसे उन्हें बचना चाहिए। 1990 के दशक में अहमद शाह मसूद ने तालिबान के साथ अपने संघर्ष के दौरान बड़ी प्रतिष्ठा हासिल की थी। भारत भी उनकी मदद करता रहा है। कहा जाता है कि एक बार जब अहमद शाह मसूद तालिबान के हमले में बुरी तरह घायल हो गए थे तब भारत ने ही उनको एयरलिफ्ट कर ताजिकिस्तान के फर्कहोर एयरबेस पर इलाज किया था। यह भारत का पहला विदेशी सैन्य बेस भी है। इसे खासकर नार्दन अलायंस की मदद के लिए ही भारत ने स्थापित किया था।
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अहमद मसूद ने तालिबान को किया आगाह, कहा, जंग-बातचीत दोनों को तैयार -मसूद दावा, 300 तालिबानी लड़ाकों को घेरकर मार गिराया