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तालिबान के खौफ से डरी महिलाए एक सप्ताह से सुरक्षित स्थानों से बाहर नहीं निकाली

तालिबान के खौफ से डरी महिलाए एक सप्ताह से सुरक्षित स्थानों से बाहर नहीं निकाली


 
काबुल। अफगानिस्तान पर तालिबान के नियंत्रण के बाद अफगान नागरिकों के लिए एक झटके में सबकुछ बदल गया है। दरवाजे पर कोई दस्तक दे,तब लोग सहम जाते हैं।तालिबान के खौफ से घरों में रहने को मजबूर अनेक अफगानों के लिए यह एक नई हकीकत है। मजार-ए-शरीफ में रहने वाली मोबीना पत्रकार की हर बात में खौफ झलकता है। उनके शहर पर तालिबान के कब्जे के बाद वह अपने दो बच्चों के साथ वहां से भागी और फिलहाल काबुल के एक सुरक्षित गृह में पनाह लिये हुए हैं। हम खुद से पूछ रहे हैं कि आगे क्या होने वाला है? हम इसकारण सहमे हुए हैं कि कुछ भी ठीक नहीं होने वाला।'' मोबीना 25 लोगों के साथ छुपी हुई हैं। अन्य लोगों में नागरिक समाज समूहों के प्रमुख, महिला अधिकार रक्षक और विकास परियोजनाओं के नेता शामिल हैं।
उन्होंने सुना है कि तालिबान लड़ाके सड़कों पर घूम रहे हैं, महिलाओं को रोक रहे हैं और उनसे पूछ रहे हैं कि उनका पुरुष अनुरक्षक कहां है। तालिबान के पिछले शासन के तहत, महिलाओं को इस तरह के अनुरक्षण की आवश्यकता थी। हमारे दोस्त हमें पैसे भेज रहे हैं ताकि हम खाने का खर्च उठा सकें। इससे हमें लगता है कि लोग हमें भूले नहीं हैं।'' ऐसा ही कुछ हाल काबुल में रहने वाली मुमताज का भी है। उनके पिता सरकार के लिये काम करते थे और भाई की 2010 में लगमान प्रांत में ग्रेनेड हमले में मौत हो चुकी है,जहां तालिबान लंबे समय से सक्रिय रहा है। 15 अगस्त को जब तालिबान लड़ाकों ने काबुल में प्रवेश किया,तब उनका परिवार भागकर काबुल हवाई अड्डे पर पहुंच गया, जहां उनका सामना भारी भीड़, अराजक स्थिति और गोलीबारी से हुआ, जिसके बाद वे वापस घर लौट आए। तब से वे अपने अपार्टमेंट से नहीं निकले हैं।  मुमताज के परिवार को जब उनके एक पड़ोसी ने बताया कि एक सशस्त्र समूह उनकी तलाश कर रहा है,तब उनकी चिंताएं बढ़ी। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि घर-घर पर दस्तक दे रहे वे लोग तालिबान के लड़ाके हैं या फिर तालिबान के देश पर नियंत्रण के बाद जेलों से आजाद हुए अपराधी हैं।
हम बाहर नहीं जा सकते। हम अपने पड़ोसी से अपने लिये भोजन मंगवा रहे हैं। हम बहुत डरे हुए हैं।' मुमताज ने हाल में विधि विद्यालय से स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। मोबीना और मुमताज ने कहा कि उन्हें प्रतिशोध का डर है, लिहाजा उनके पहले नाम को ही सार्वजनिक किया जाए। दोनों का कहना है कि उन्हें अब तक प्रत्यक्ष रूप से तालिबान से धमकियां नहीं मिली हैं। तालिबान लड़ाकों ने पूरे काबुल में चौकियां लगा दी हैं। वे मोटर वाहन पर जा रहे हर व्यक्ति को रोककर उनसे पूछ रहे हैं कि वे कहां जा रहे हैं और उनके वाहन के कागज देख रहे हैं। कुछ ऐसी खबरें भी आई हैं कि तालिबान लड़ाके पूर्व सरकारी कर्मचारियों और सिविल कार्यकर्ताओं की तलाश में घर-घर दस्तक दे रहे हैं।
हालांकि, ऐसी खबरों की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं की गई है। बड़े पैमाने पर घर-घर तलाशी का कोई संकेत नहीं मिला है। तालिबान कमांडरों ने कहा है कि उनके पास हथियार और कारों सहित सरकारी संपत्ति को जब्त करने के निर्देश हैं, लेकिन उन्होंने अपने लोगों से निजी संपत्ति का सम्मान करने के लिए कहा है। तालिबान नेताओं ने भी सरकारी कर्मचारियों को काम पर लौटने के लिए प्रोत्साहित किया है। इसके बावजूद पाबंदियों के संकेत दिखाई दे रहे हैं। सर-ए-पुल प्रांत में तालिबान ने निर्देशों की एक सूची जारी की। इनमें संगीत, पश्चिमी शैली की पोशाक और ऐसी नौकरियों पर पाबंदी शामिल हैं, जिनमें महिलाओं को सार्वजनिक रूप से उपस्थित होना पड़ता है। इस बीच, देश के तीसरे सबसे बड़े शहर हेरात में लड़कियों को स्कूल जाने की अनुमति है। हालांकि इसपर शर्त यह है कि उनके शिक्षक या तो महिलाएं या फिर बुजुर्ग व्यक्ति होने चाहिये। 

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