नई दिल्ली। अफगान सिख सांसद नरेंद्र सिंह खालसा ने पूछा कि तालिबान ने कहा है कि वे अफगनिस्तान में गुरुद्वारों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे, लेकिन देश से सिख समुदाय के सभी लोग बाहर चले जाएंगे,तब उनकी देखभाल कौन करेगा और सिख धार्मिक स्थलों और उनकी संपत्ति का क्या होगा? अफगान सांसद ने कहा कि अफगानिस्तान में सिख समुदाय के लिए यह सबसे ‘बुरा समय है।उन्होंने कहा, अफगानिस्तान में कभी 10 लाख सिख थे। अब केवल सैंकड़ों की संख्या में बचे हैं वे भी अब देश छोड़ रहे हैं।’’
खालसा ने कहा,अब हमारे गुरुद्वारों का क्या होगा? यही बात हमें सबसे ज्यादा तकलीफ देती है। हालांकि, तालिबान ने कहा है कि वे उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। सांसद के अनुसार, मौजूदा समय में अफगानिस्तान में करीब 72 गुरुद्वारे हैं। सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक 16वीं शताब्दी की शुरुआत में अफगानिस्तान जाकर इसकी नींव रखी थी। खबरों के अनुसार, अफगानिस्तान में 1970 तक कम से कम दो लाख सिख और हिंदू थे। देश में अभी करीब 300 अफगान सिख और हिंदू हैं, जिनमें से कम से कम 60 को भारत लाया गया है। लोगों को निकालने की प्रक्रिया 16 अगस्त को शुरू हुई थी। अफगान सांसद ने कहा, कुछ सांसद संयुक्त अरब अमीरात, तुर्की, तजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान और अमेरिका चले गए। कुछ तालिबान में शामिल हो गए। करीब 30 अफगानिस्तान में रह गए हैं।’’
उन्होंने कहा,कोई नहीं जानता कि आगे क्या होगा। कोई अनुमान नहीं लगा सकता। हम हमारे सम्मान की रक्षा करने भारत आए हैं। हम भारत को अपना घर बनाने की कोशिश करने वाले हैं, हम वापस लौट पाएंगे या नहीं, कुछ …कहा नहीं जा सकता।इंडियन वर्ल्ड फोरम के अध्यक्ष पुनीत सिंह चंडोक ने बताया कि ये लोग एयर इंडिया की उड़ान से सुबह करीब 9.50 बजे (मंगलवार को) दिल्ली पहुंचे। फोरम विदेश मंत्रालय और भारतीय वायुसेना के साथ निकासी प्रयासों में समन्वय कर रहा है। चंडोक ने कहा कि लगभग 200 अफगान सिख और हिंदू अभी भी अफगानिस्तान में फंसे हुए हैं। इन लोगों ने काबुल के करते परवान गुरुद्वारे में शरण ली हुई है, जो हवाई अड्डे के करीब है।
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अफगान सिख सांसद ने कहा, हम वापस लौट पाएंगे या नहीं, कुछ …कहा नहीं जा सकता