चंबा। हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में विश्वविख्यात मणिमहेश यात्रा पर इस वर्ष भी कोरोना मार पड़ी है। जन्माष्टमी से राधा अष्ठमी तक चलने वाली इस यात्रा का शाही स्नान जन्माष्टमी पर होता है। इसमें पड़ोसी राज्य पंजाब, हरियाणा से लेकर जम्मू कश्मीर तक से लोग पैदल मणिमहेश पहुंचते हैं। 14 किमी खड़ी चढ़ाई के चलते मणिमहेश झील तक पहुंचने में 8 से दस घंटे लगते हैं। श्रद्धालुओं के जत्थे का पहला पड़ाव चम्बा के ऐतिहासिक चौगान में होता है। यहां पर रात के समय भगवान शंकर के जयकारों के साथ खूब रौनक हुआ करती थी, लेकिन कोरोना की वजह से इस बार भी केवल औपचारिकता मात्र ही इस मेले को मनाया जाएगा। पवित्र मणिमहेश के छोटे स्नान जन्माष्टमी पर 29 अगस्त को रात 11:24 बजे शुरू होगा।
प्रशासन की ओर से चम्बा की दो मुख्य छड़ियों दशनामी अखाड़ा और चरपट नाथ को सीमित लोगों के साथ मणिमहेश जाने की अनुमति दी गई है। मणिमहेश यात्रा का पहला स्नान जन्माष्टमी को और दूसरा राधा अष्टमी को होगा। पहले जो जम्मू और भद्रा से लोग मणिमहेश के लिए आते हैं वह जन्माष्टमी के दिन पवित्र डल झील में डुबकी लगाते हैं। उसके बाद चम्बा से दशनामी अखाड़ा और चरपटनाथ मंदिर से छड़ी निकलती है। जो अलग-अलग पड़ाव में विश्राम के बाद राधा अष्टमी के दिन सुबह पवित्र डल झील पहुंचती है। छड़ी को झील में डुबकी लगाई जाती है। उसके बाद लोग बड़ी श्रद्धा भाव से यहां स्नान कर मणिमहेश के दर्शन करते हैं।
जम्मू व वसंतगढ़ से मणिमहेश के लिए पैदल यात्रा के लिए निकले पुजारी राम राज ने बताया कि वह 15वीं बार मणिमहेश जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस पैदल यात्रा में उन्हें किसी भी तरह की थकान नहीं आई है। वह जन्माष्टमी के दिन मणिमहेश में स्नान कर कैलाश के दर्शन करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा श्रद्धालुओं को तो मणिमहेश जाने की अनुमति नहीं मिल पा रही है, लेकिन राजनेता रोजाना हजारों की संख्या में लोगों के बीच रैलियों में भाग ले रहे हैं। एसडीएम चंबा नवीन तंवर ने बताया कि मणिमहेश यात्रा के लिए सिर्फ दो छड़ियों को ही अनुमति दी गई है। बाहर के राज्यों से छड़ियां आएंगी, उन्हें अभी तक किसी भी प्रकार की कोई अनुमति नहीं दी गई है।
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विश्वविख्यात मणिमहेश यात्रा पर इस वर्ष भी पड़ी कोरोना मार -एसडीएम चंबा बताया सिर्फ दो छड़ियों को ही दी गई है अनुमति