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हृदय के साथ मस्तिष्क का भी ध्यान रखना जरूरी है   दिमाग का दिल से है बड़ा गहरा कनेक्‍शन, एक परेशान तो दूसरा भी होता है दुखी

हृदय के साथ मस्तिष्क का भी ध्यान रखना जरूरी है   दिमाग का दिल से है बड़ा गहरा कनेक्‍शन, एक परेशान तो दूसरा भी होता है दुखी


रोग के स्थान दो होते हैं एक शरीर और मन .मन दुखी हो तो उसका प्रभाव शरीर पर पड़ता हैं और शरीर दुखी हो तो उसका प्रभाव मन पर पड़ता हैं .दोनों एक दूसरे के पूरक .मन स्वयं बहुत विस्त्रीत हैं उसके सम्पर्क में हमारा दिल जो शरीर का महत्वपूर्ण अंग हैं प्रभावित होता हैं उस कारण अनेक शरीरिक और मानसिक रोग होते हैं .वर्तमान में मानव समाज दोनों तरह के रोगों से संक्रमित हैं .इसके प्रभाव से बचने हमे मानसिक रोगों से बचना बहुत आवश्यक हैं
       आपने अक्सर लोगों को कहते सुना होगा कि हृदय का ध्यान रखें। उसके लिए अच्छी डाइट ले एक्सरसाइज करें। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हृदय के साथ मस्तिष्क का भी ध्यान रखना जरूरी है। अएक स्वस्थ शरीर के लिए हृदय का रोग मुक्त होना और मजबूत होना बेहद जरूरी होता है। इसलिए अक्सर विशेषज्ञ हृदय को स्वस्थ रखने के लिए एक बेहतर जीवन शैली, खान पान और व्यायाम करने की सलाह देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक स्वस्थ हृदय बनाने के लिए आपको अपने मस्तिष्क का भी उतना ही ख्याल रखना होगा। हाल ही में हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की वेबसाइट पर इससे जुड़ा एक लेख प्रकाशित किया गया है। इस लेख में बताया गया है कि मस्तिष्क पर पड़ने वाले दबाव का असर हृदय पर भी पड़ता है।
      इसकी वजह से हृदय रोग तक पैदा हो जाते हैं। ऐसी ही कई दूसरी रिसर्च भी हो चुकी हैं जो बताती हैं कि हृदय और मस्तिष्क दोनों का स्वास्थ एक दूसरे से जुड़ा हुआ है। रिसर्च में यह भी बताया गया है कि मानसिक विकार आपके व्यवहार पर असर डालते हैं। यही नहीं डिप्रेशन की वजह से आप अपनी दिनभर के कामकाज में भी मन नहीं लगा पाते और इसमें ही फंसते जाते हैं। आइए आज हम आपको बताते हैं कि आखिर कौन सी स्थिति मस्तिष्क और हृदय के लिए खराब हैं। साथ ही कैसे हम इन दोनों का ख्याल रख सकते हैं।
    स्ट्रेस का हृदय पर असर
    आज के समय में स्ट्रेस होना बेहद स्वाभाविक है। यह आपके कार्य क्षमता को बढ़ाता है। लेकिन अगर लंबे समय तक कोई व्यक्ति लगातार तनाव में रहे तो यह आपके लिए खतरनाक हो सकता है।   रोचेस्टर  मेडिकल  सेण्टर  विश्वविद्यालय में हुई रिसर्च बताती है कि तनाव लेने से शरीर से कॉर्टिसोल नामक हार्मोन रिलीज होता है। ऐसे में जब व्यक्ति अधिक तनाव लेता है तो यह हार्मोन अधिक मात्रा में रिलीज होता है।
       जिसकी वजह से रक्त कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स, रक्त शर्करा और रक्तचाप बढ़ने लगता है। यही नहीं इसकी वजह से रक्त धमनियों में हानिकारक परत जमा होने लगता है। इससे रक्त प्रवाह में समस्या पैदा होने लगती है और स्ट्रोक आने का खतरा भी बढ़ जाता है।
     नोट - आपको बता दें कि स्ट्रेस की वजह नींद, काम और रिश्तों में हुई अनबन भी हो सकती है। ऐसे में अधिक स्ट्रेस लेने से बचें।
    डिप्रेशन से हृदय रोग
    डिप्रेशन और हृदय रोग एक दूसरे से पूरी तरह ही जुड़े हुए हैं। हाल ही में हुए शोध बताते हैं कि डिप्रेशन की वजह से कोरोनरी धमनी रोग का खतरा लगभग दोगुना हो जाता है। वहीं अन्य अध्ययनों की माने तो ऐसे लोग जो पहले से ही हृदय रोग से पीड़ित हैं। उनमें डिप्रेशन होने का खतरा तीन गुना ज्यादा होता है।
    इसके अलावा एक अन्य शोध में पता चला है कि हर पांच में से एक व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार होता है। यही नहीं ऐसे लोग जो डिप्रेशन के शिकार हैं और पहले से ही किसी हृदय रोग से पीड़ित हैं। उन्हें हार्ट अटैक आने का खतरा भी अधिक रहता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह लोग ना तो ऐसे में धूम्रपान छोड़ते हैं, ना अल्कोहल और ना ही व्यायाम करते हैं।
    बचपन का कोई बुरा अनुभव की वजह से हृदय रोग
    कमजोर हृदय और हृदय रोग की एक वजह कम आयु में हुए कुछ हादसे भी हो सकते हैं। ज अ म अ   कार्डियोलॉजी  के एक शोध से यह पता चला है कि जिन लोगों ने बचपन में शारीरिक शोषण, यौन शोषण और घरेलू हिंसा देखी हो। उनमें हृदय रोग का खतरा अधिक होता है। साथ ही इन लोगों की हार्ट अटैक की वजह से मौत भी हो सकती है। वहीं ऐसे लोग जिन्होंने बचपन में ऐसा कुछ बुरा अनुभव ना किया हो, उन्हें हृदय रोग का खतरा कम ही होता है।
   अन्य कारण जो हृदय रोग कारण बनते हैं
    ऐसे लोग जो अधिक गुस्सा करते हैं, उन्हें हृदय रोग का खतरा बना रहता है।
     जो लोग मन में किसी तरह की शत्रुता का भाव रखते हैं और अंदर ही अंदर एक द्वेष पाल लेते हैं। उन्हें हृदय रोग हो सकते हैं।
     वह लोग जो समाज द्वारा अपनाए नहीं जाते या जिन्हें अलग नजर से देखा जाता है।
    इन लोगों के मस्तिष्क पर इसका असर पड़ता है। जिससे हृदय रोग भी पैदा हो सकता है। ऐसे कई अन्य मनोवैज्ञानिक रोग हैं जिसकी वजह से यह समस्या हो सकती है।
    हृदय और मस्तिष्क का ख्याल रखने के उपाय
    कैलोरीज बर्न करें - अगर आप अच्छी तरह व्यायाम करते हैं तो इसके जरिए शरीर पर तनाव का प्रभाव कम हो सकता है। इसलिए आप सप्ताह में कम से कम 150 मिनट तक थोड़ी तीव्रता वाली एक्सरसाइज जरूर करें। इसके लिए आप अपने रोजाना के व्यायाम के सत्र को 30 से 40 मिनट में विभाजित करें।
    रिश्ते बनाएं - अगर आप कुछ लोगों से अपने रिश्ते बना सकते हैं तो जरूर अपनाएं। इन लोगों के साथ समय बिताएं और घूमने फिरने जाए। इस तरह आप खुश रहते हैं और हृदय भी मजबूत रहता है।
     मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दें -
    अगर आप अक्सर झल्लाए हुए या तनाव में रहते हैं तो इसकी वजह तनाव या डिप्रेशन हो सकता है। इसके लिए आप किसी डॉक्टर या विशेषज्ञ से संपर्क करें। अगर आप चाहें तो इनसे राहत पाने के लिए योग या मेडिटेशन का भी सहारा ले सकते हैं।
     नींद पर दें ध्यान - ऐसे लोग जो सही प्रकार नींद लेते हैं उनमें तनाव और हृदय रोग का खतरा कम पाया गया है। यही नहीं हाल ही में हुए शोध बताते हैं कि बेहतर नींद की वजह से लिपिड मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है। जिसकी वजह से व्यक्ति लंबे समय तक जीवित रहता है।
    स्वस्थ आहार -
    हार्वर्ड हेल्थ के अनुसार, शोध से पता चलता है कि अगर आप अपने हृदय और मस्तिष्क का ध्यान रखना चाहते हैं तो इसके लिए हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें। इसके अलावा आप ड्राई फ्रूट्स, बैरीज, का सेवन भी कर सकते हैं। इसके जरिए आपकी ब्लड वेसल्स सुरक्षित रहती हैं, और आप तंदुरुस्त रहते हैं।
    स्ट्रेस की वजह जाने - जब तक आप स्ट्रेस की मुख्य वजह या कारण को नहीं जानेंगे तब तक आप इससे डील नहीं कर पाएंगे। इसलिए स्ट्रेस की मुख्य वजह को पहचाने और उसे हटाएं।
    मस्तिष्क करें एक्टिव -
    अगर आप मस्तिष्क को स्वस्थ रखना चाहते हैं, तो किसी तरह की गतिविधि को अपनाएं जो आपके मस्तिष्क को पूरी तरह सक्रिय करके रखें। आप कई स्पोर्ट्स, जिम, या अन्य गतिविधियों के बारे में विचार कर सकते हैं।
(लेखक- विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन)

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