नई दिल्ली । सामाजिक कार्यकर्ता मीनू वर्मा ने बताया की खोरी गांव के लोगों ने आज जंतर मंतर पर आ कर अपनी पुनर्वास की मांगो को दुबारा रखा। विदित हो कि पूर्व में भी खोरी गाँव के लोगों ने जन्तर – मन्तर पर पुनर्वास की मांग को लेकर प्रदर्शन किया एवं पीएमओ का घेराव किया था। परन्तु अभी तक किसी भी व्यक्ति को पुनरवास नहीं मिला ना ही किसी तरह की सहायता। दिल्ली सरकार भी बिजली,पानी और राशन देकर खोरी के वासियों को भूल गई हैं।
ना ही DDA ने अपनी ज़मीन जिसपर हरियाणा सरकार ने घर तोड़े हैं उनकी सुध ली। कुछ घरों को तोड़ने से भी बचाया गया जबकि वो तोड़ने की डिमार्केशन में थे।
रोटी यात्रा के माध्यम से रोते हुए खोरी गांव वासियों जिसमे विधवा महिला, बूढ़े, बच्चे एवं विकलांग इत्यादि लोग शामिल थे ने सरकार से गुहार लगाई की या तो आशियाना दे नही तो उन्हे वही बसाए।
खोरी गाँव को तोड़ने का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने 07 जून को सुनाया, जिसमें 10,000 से भी ज्यादा परिवार व लगभग 01 लाख 40 हज़ार लोग दशकों से रह रहे थे। खोरी गाँव में लोगो के पास बिजली पानी इत्यादी मुलभुत सुविधाये सरकार की और से दी गयी हैं. खोरी और पास की ही पांच सितारा चमचमाती होटेल,राधा स्वामी सत्संग की ज़मीन सब PLPA ACT 1902 के अंतर्गत आती हैं जिसमे संशोधन का मामला भी अभी भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित/पेंडिंग हैं ऐसे में पहले होटलों को ना तोड़कर गरीबो के आशियाने तोड़े गए। खोरी गांव वासी क्यू राधा स्वामी सतसंग में जाए क्युकी वह जमीन भी अरावली की हैं। इसे में आखिर क्यों MCF को बार बार होटलों,इमारतों, सत्संग को बचाने के लिए समय मांगना पड़ रहा है।
आखिर कर अपने ही देश के नागरिको को ना बसा कर यह सरकार उनके साथ अमानवीय व्यव्हार कर रही हैं.अफगानी नागरिको की चिंता से पहले अपने खुद के नागरिको की चिंता यह सरकार नहीं कर रही हैं.
खोरी गाँव के वासियों की मांग हैं की-
1.देश की जमीन बाहरी कम्पनियों को बेचने के बजाय वहां के लोगों को दी जाए उसपर रहने का अधिकार दिया जाए ।
2. सभी भू माफिया,वन विभाग एंवं नगरपालिका,बिजली विभाग के शामिल अधिकारियो के खिलाफ सख्त कार्यवाही हो एंवं हर्जाना वसूला जाए.
3. तोड़े गए घरों के लिए उचित मुआवजा दिया जाए और इस दौरान आत्महत्या के द्वारा जितनी जानें गईं है उनके जिम्मेदार अधिकारियों को सजा दी जाए।
परिसंघ नेता संजय राज ने खट्टर सरकार पर हमला करते हुए कहा कि हरियाणा सरकार को पूनर्वास व्यवस्था करनी चाहिए मगर दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हुआ। वहां लोगों ने अपने खून पसीने से ईट-पत्थर जोडकर रहने के लिए अपना घर बनाया है जो आज उनकी ही आँखों के सामने तोड़ दिया गया.ना ही विस्थापन से पहले पुनर्वास किया गया ना वीडियोग्राफी करवाई गयी. इन होटलों पर इतनी मेहरबानी क्यों ??
यह किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
तबसे से ही लोग यहां पर लगातर इस फ़ैसले के खिलाफ़ संघर्ष कर रहे हैं। इस तरह बिल्कुल अमानवीय व्यवहार प्रशासन की तरफ से बढ़ रहा है। गांव में बहुत सी मौतें सिर्फ पानी ना मिलने की वजह से हुई हैं। इन सब के चलते 12 से भी ज्यादा लोगों ने आत्महत्या कर ली। जनता के सवालों पर उनके द्वारा वोट देकर चुने हुए मंत्री और सरकार भी चुप्पी साधे हुए है। इतनी बड़ी संख्या में लोगों को बेघर करने के लिए ये दलील दी जा रही है कि यह वन विभाग के अधिकार के अंदर आ रही अरावली की जमीन है, जिसपर इन लोगों की अवैध रिहाइश है। जबकि इसके साथ ही 400 एकड़ जमीन रामदेव को दी जा रही है, बक्सवाहा जंगल में हीरा खदान के लिए 2 लाख पेड़ काटने का फैसला लिया जा रहा है और भी ऐसे फैसले किए जा रहे हैं,जो हमारे देश के लोगों और पर्यावरण को ताक पर रखते हुए, साम्राज्यवादी बाहरी कंपनियों को लुटाने के किए जा रहे हैं। दूसरी तरफ इस देश के लोगों से ही यहां की जमीन पर रहने का अधिकार छीना जा रहा है।
हमे प्रधानमंत्री से मिलने का समय भी माँगा पर अभी तक प्रधानमंत्री जी की तरफ से कोई जवाब नहीं आया. हजारो की संख्या में आये एन बेकसूर गाँव वासियों की फरियाद अभी तक ना ही हरयाणा मुख्यमंत्री जी ने सुनी हैं ना ही देश के प्रधानमंत्री जी नें अगर प्रधानमंत्री जी का यह नारा हे की ‘जहा झुग्गी वही मकान’ तो इन लोगो की खून पसीने की झुग्गी क्यों नहीं मकान में तब्दील हो पाई? सभी लोग रोकर प्रधानमंत्री जी से गुहार लगाते रहे हमारा पुनर्वास किया जाए या जिस तरह से होटल और रिसॉर्ट पर मेहरबानी है वही मेहरबानी गान वासियों पर भी करे।
खोरी गाँव में सदियों से राजकीय प्राथमिक विद्यालय, गौशाला, कब्रिस्तान एवं संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर स्टेच्यु समेत 20 मंदिर, 10मस्जिद, 4 चर्च, 1 गुरूद्वारा स्थापित था वहां पर उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, छत्तीसगढ, राजस्थान, पंजाब, तमिलनाडु एवं अन्य राज्यों के भारतीय प्रवासी मजदूर 10 हजार घर लगभग लाखों लोग भी वहां 170 एकड़ जमीन पर बसर- गुजर कर रहे थे जोकि गरीब मजदूर का बहुत बडा जनसंख्या तबका वाला क्षेत्र है।
यहाँ की मासूम जनता ने यह ज़मीन भू-माफियो के चंगुल में फसकर खरीदी है जहा उन्हें उस पर सरकारी बिजली,पानी एंवं तमाम सारी सुख सुविधा दी गयी हैं. सरकार को जब इनके रहने के लिए घर का इंतजाम करना चाहिए ऐसे वक़्त में इनको गिरफ्तार और बेघर किया है. अगर इन लोगो का निवास अवैध था तो इनसे झूठे वादे करके वोट क्यों लिया गया? करोना महामारी की तीसरी लहर आ चुकी है ऐसे में हजारों बच्चो को बेघर करना अमानवीय है। हजारों बच्चों की पढ़ाई लिखाई भी बर्बाद हो गई है येसे में करोना महामारी की त्रासदी के समय हजारो लोगों की जाने जा सकती हैं। खोरी गाँव वासियों ने बताया कि यह उनकी जिन्दगी और मौत का सवाल है जो कि सरकार के हाथों में है।
खोरी गाँव प्रमुख सुनीता जी,निर्मला जी,रजिया जी,संजय चतुर्वेदी जी,माधुरी जी व अन्य खोरी गाँव के लोग शामिल हुए
रीजनल नार्थ
खोरी गांव वासियों की अर्धनगन होकर रोटी यात्रा