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गुणकारी खस या खसखस 

गुणकारी खस या खसखस 

खसखस  के बारे में अनेक लोगों को अधिक जानकारी नहीं है, इसलिए शायद आप भी खसखस के फायदे के बारे में बहुत अधिक नहीं जानते होंगे। खसखस का प्रयोग औषधि के रूप में किया जाता है। खसखस के तेल से साबुन, इत्र आदि बनाये जाते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार, खसखस का इस्तेमाल कर अनेक रोगों का इलाज किया जा सकता है।
खसखस क्या है
खसखसएक औषधि है। खसखस का इस्तेमाल औषधि के रूप में तो होता ही है, साथ ही इसके पौधे की जड़ से परदे, पंखे आदि भी बनाये जाते हैं। उल्टी, जलन, शुक्राणु विकार, पित्त विकार आदि में खसखस से लाभ लिया जा सकता है। इसके साथ ही खसखस के फायदे आंखों के रोग, बुखार आदि में भी मिलते हैं।
खसखस का वानस्पतिक नाम ---वेटिवेरिया जिजनियोइडिस , और
यह पोएसी  कुल से है।
       वीरणसय  तू मूलं स्वादुशीरं  नलदं च तत.अम्र णालम   च सेव्य्म च संगांधनमित्य
     गुण  --रुक्ष ,लघु  ,रस --तिक्त   विपाक -कटु  वीर्य---उष्ण
    रासायनिक घटक:
    पौधे में मौजूद रासायनिक घटक वेटिवरोल, वेटिवोन  खुसिमोन,
खुसिमोल, वेटिवीन, खोसीटोन, टेरपेन्स, बेंजोइक एसिड, ट्रिपेन-4-ओएल, -ह्यूमुलीन, एपिज़िज़ियनल,
वेटिविनल वेटिवनेट, आइसो खुसिमोल, वेटिवर ऑयल, वेटिवाज़ुलीन। ज़िज़ाईन, प्रीज़िज़ेन, बवेतिस्पिरिन इनमें से प्रमुख सक्रिय घटकों की पहचान की गई है खुसिमोल, वेटिवोन,
, एडुमॉस खुसीमों , ज़िज़ाइने , और प्रेज़िज़ाइने  जिन्हें फिंगरप्रिंट माना जाता है
     तेल
वेटिवर का आवश्यक तेल, वेटिवेरिया ज़िज़ानियोइड्स
हिंदी  – खस, गनरार, खस-खस, वीरन मूल, बेना
इंग्लिश  –  खस-खस ग्रास  खस खस , Vetiver grass (वेटीवर ग्रास)
संस्कृत  – वीरण, वीर, बहुमूलक, उशीर, नलद, सेव्य, अमृणाल, समगन्धक, जलवास
     औषधि प्रयोग
   अत्यधिक प्यास लगने
  अत्यधिक प्यास लगने की परेशानी में 2-4 ग्राम खसखस की जड़ को मुनक्का के साथ पीसकर पिलाएं। इससे अधिक प्यास लगने की परेशानी खत्म होती है।
    अधिक पसीना आने
     आपको बहुत अधिक पसीना आता है तो खसखस की जड़ का बारीक चूर्ण बना लें। इसे शरीर पर लेप करें। इससे अधिक पसीना आने की समस्या का समाधान होता है।
सूजन कम करने
      खसखस के प्रयोग से सूजन जैसी बीमारी में भी लाभ हो सकता है। 10-40 मिली मात्रा में खसखस का सेवन करें। इससे सूजन की समस्या ठीक हो जाती है।
     उल्टी रोकने
    उल्टी पर रोक लगाने के लिए बराबर-बराबर की मात्रा में मूंग, पिप्पली, खस तथा धनिया का 5-10 ग्राम चूर्ण बना लें। इसे 6 गुना पानी में रात भर के लिए भिगो दें। सुबह छानकर पीने से पित्तज विकार के कारण होने वाली उल्टी ठीक हो जाती है।
    3-6 ग्राम खस के चूर्ण में मधु मिलाकर चावल के धोवन के साथ पिएं। इससे पित्तज विकार की वजह से होने वाली उल्टी और अत्यधिक प्यास लगने की परेशानी ठीक होती है।
    चीनी का शर्बत बना लें। इसमें 1-2 बूंद पुदीना का अर्क मिलाएं। इसमें 1-2 बूंद खसखस की जड़ का अर्क डालकर पीने से उल्टी बंद हो जाती है।
    पेट में कीड़े होने
    अनेक बच्चों को पेट में कीड़े होने की शिकायत रहती है। सिर्फ बच्चे ही नहीं, बल्कि कई वयस्क लोगों को भी यह समस्या हो जाती है। पेट के कीड़ों को खत्म करने के लिए खसखस उपयोगी होता है। इसके लिए 10-40 मिली खसखस का सेवन करें। इससे पेट के कीड़े खत्म होते हैं।
     त्वचा विकार में खसखस के फायदे
     त्वचा रोग में खसखस के इस्तेमाल से फायदा मिलता है। त्वचा रोग से परेशान लोग खस, नागरमोथा तथा धनिया को पानी में पीस लें। इसका लेप करें। इससे त्वचा के विकार ठीक होते हैं।
     कुष्ठ रोग में खसखस
    कुष्ठ रोग में भी खसखस का प्रयोग लाभ पहुंचाता है। आपको  10-40 मिली की मात्रा में खसखस की जड़ का सेवन करना है। बेहतर परिणाम के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।
    मूत्र रोग में
     मूत्र रोग (पेशाब से संबंधित रोग) जैसे- पेशाब का कम आना आदि में 2-4 ग्राम खस की जड़ के चूर्ण में 5 ग्राम मिश्री मिला लें। इसका सेवन करें। इससे कम पेशाब आने की समस्या ठीक हो जाती है। यह मूत्र के अन्य विकारों में भी लाभ देता है।
     इसी तरह खस की जड़, ईख की जड़, कुश की जड़ तथा रक्तचंदन को मिलाकर काढ़ा बना लें। इसे 10-30 मिली की मात्रा में पीने से मूत्र रोग जैसे- पेशाब का रुक-रुक कर आना और पेशाब करने में दर्द आदि समस्या ठीक हो जाती है।
      बवासीर के इलाज में
     बवासीर का इलाज करने के लिए आप 10-40 मिली खसखस का सेवन करें। इससे बवासीर में लाभ मिलेगा।
    चेचक में खसखस
     चेचक के कारण शरीर में जलन, दर्द आदि परेशानियां होने लगती है। ऐसे में खसखस का इस्तेमाल कर लाभ पा सकते हैं। चेचक को ठीक करने के लिए खसखस का बारीक चूर्ण बना लें। इससे शरीर पर लेप करने से चेचक की बीमारी में आराम मिलता है।
   बुखार में
     बुखार में लाभ पाने के लिए नागरमोथा, पित्तपापड़ा, उशीर, लालचन्दन, सुगन्धबाला तथा सोंठ की बराबर-बराबर मात्रा लें। इसका काढ़ा बना लें। इसे ठंडा करके 20-40 मिली मात्रा में सेवन करेंं। इससे बुखार और बुखार में लगने वाली प्यास की समस्या ठीक हो जाती है।
        इसी तरह खसखस, शालपर्णी, बृहती, कंटकारी, पृश्नपर्णी, सोंठ, चिरायता, मोथा, गुडूची लें। इसमें गोक्षुर मिलाकर काढ़ा बना लें। इसे 10-40 मिली पीने से वात विकार के कारण होने वाले बुखार में लाभ होता है।
        खसखस के पंचांग का काढ़ा बनाकर भांप देने से भी बुखार उतर जाता है।
खसखस की जड़ का काढ़ा बनाकर 10-40 मिली मात्रा में पिएं। इससे भी बुखार में लाभ  होता है।
     रक्तस्राव की परेशानी में
     शरीर के विभिन्न अंगों से होने वाला रक्तस्राव (नाक, कान से खून बहने की समस्या) के लिए खसखस की जड़ का चूर्ण बन लें। इसमें कालीयक, पद्मकाष्ठ, लोध्र, प्रियंगु, कायफल, शंख भस्म, स्वर्ण गैरिक बराबर-बराबर मात्रा में मिलाएं। सभी के बराबर चंदन मिलाएं।  इससे रक्तपित्त, तमक श्वास, अधिक प्यास लगने की परेशानी और जलन की समस्या में आराम होता है।
      केवल खस और लाल चंदन के चूर्ण को चीनीयुक्त चावल के धोवन के साथ पिएं। इससे रक्तपित्त, तमक श्वास, अधिक प्यास लगने की परेशानी और जलन की समस्या में आराम होता है।
    इसी तरह 10-40 मिली खसखस की जड़ का सेवन से भी रक्तपित्त में लाभ होता है।
    डायबिटीज में लाभदायक
    आज डायबिटीज की बीमारी घर-घर की बीमारी बन गई है। डायिबटीज को नियंत्रित करने के लिए 10-40 मिली खसखस की जड़ का सेवन करें। इससे लाभ होता है।
    मांसपेशियों की ऐंठन में
     मांसपेशियों में ऐंठन होतो 2-4 ग्राम खस की जड़ के चूर्ण में 1 ग्राम सोंठ का चूर्ण मिला लें। इसमें शहद मिलाकर खाएं। इससे हाथों या पैरों की ऐंठन और कंपकंपी की परेशानी ठीक हो जाती है।
   शरीर की जलन को शांत करने
     शरीर की जलन से परेशानी रहते हैं तो खसखस की जड़ को पीसकर पूरे शरीर पर लगाएं। इससे शरीर की जलन शांत हो जाती है।
     इसी तरह लालचन्दन, चन्दन, खस तथा पद्माक का काढ़ा बना लें। इसे ठंडे पानी में मिलाएं। इस पानी से नहाने पर शरीर की जलन ठीक हो जाती है।
     एनीमिया (खून की कमी) में
   कई लोगों को एनीमिया (खून की कमी की समस्या) हो जाती है। इसमें 10-40 मिली खसखस का सेवन करें। इससे खून की कमी दूर  होती है।
    सीने के दर्द में
    सीने में दर्द की परेशानी में 2-4 ग्राम खस की जड़ का चूर्ण बना लें। इसमें 500 मिग्रा पिप्पली की जड़ का चूर्ण मिला लें। इसमें घी मिलाकर खाएं। इससे छाती का दर्द ठीक हो जाता है।
     पित्तज विकारों में
पित्तज रोग को ठीक करने के लिए 2-4 ग्राम खस की जड़ के चूर्ण का सेवन करें।
इसी तरह 5-10 मिली खस की जड़ के रस में चीनी के चूर्ण को मिलाकर पीने से पित्तोन्माद में लाभ होता है।
    खसखस के उपयोगी भाग
   खसखस की जड़
   पौधे की जड़ से बना तेल
    खसखस के इस्तेमाल की मात्रा---
    खसखस का चूर्ण – 3-6 ग्राम
    खसखस हिमफाण्ट – 25-50 मिली
   खसखस का काढ़ा – 20-40 मिली
विशिष्ट योग ---- उशीरासव ,उशीरक्वाथ,उशीरादि चूर्ण ,उशीराघय तेल षडङ्गपानी
      इसका प्रकंद) बहुत सुगंधित होता है। प्रकंद का उपयोग भारत में इत्र बनाने और ओषधि के रूप में प्राचीन काल से हो रहा है। पौधे की जड़ों का उपयोग विशेष प्रकार का पर्दा बनाने में होता है जिसे ‘खस की टट्टी’ कहते हैं। इसको ग्रीष्म ऋतु में कमरे तथा खिड़कियों पर लगाते हैं और पानी से तर रखते हैं जिससे कमरे में ठंडी तथा सुगंधित वायु आती है और कमरा ठंडा बना रहता है।
(लेखक - विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन)

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