हेपेटाइटिस ए, एक तरीके का लिवर का संक्रमण है जो हेपेटाइटिस ए वायरस के कारण होता है। इसमें व्यक्ति हल्का-फुल्का बीमार या गंभीर बीमार हो सकता है और यह कुछ हफ्तों से महीनों तक भी चल सकता है।
पाण्डु रोगी तू यो अत्यर्थ पित्तलानीनिषेवते .
तस्य पित्तामसरनमानसम दग्ध्वा रोगाया कल्पते .
हारिद्रः नेत्रः सा भृशम हरिदृट्वेंग़लखानन्ह
रक्तपीताश कुनमुत्रो मेकवर्णो हतेंद्रियः
दाहाविपाक दौर्बल्य सदनारूचिश्रिताः
कामला बहपित्तेषा कोष्ठशाखा श्रया मता (.च .चि .१६)
जो पाण्डु रोगी अत्यधिक पित्तवर्धक पदार्थों का सेवन करता हैं उसका पित्त और अधिक दूषित हो जाता हैं एवं रक्त और मांस को भी अत्यधिक दूषित करके कामला या जॉन्डिस रोग की उत्पत्ति कर देता हैं .इसके कारण नेत्र ,त्वचा मुख एवं नाख़ून हरिद्रा के समान वर्ण वाले हो जाते हैंमाँ l और मूत्र रक्तमिश्रित पीतवर्ण के दिखाई देते हैं .रोगी का वर्ण बरसाती मेढक के समान हो जाता हैं इसके अतिरिक्त रोगी को जलन ,अपच ,दुर्बलता ,शरीरशैथिल्य तथा अरुचि से विशेष पीड़ित रहता हैं ..कामला रोग पित्ताधिक्य होता हैं .कोष्ठाश्रय एवं शाखाश्रय से दो भेद होते हैं
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का अनुमान है कि विश्व स्तर पर हर साल 10 करोड़ से अधिक लोग हेपेटाइटिस ए से संक्रमित होते हैं।हालांकि इस लिवर के संक्रमण को आम तौर पर बच्चों में आम माना जाता है, यह कुछ मामलों में गंभीर भी हो सकता है। बड़े बच्चों और वयस्कों में, इस संक्रमण से आमतौर पर ज़्यादा गंभीर लक्षण दिखते हैं। इन लक्षणों में से एक है पीलिया जो 70 प्रतिशत से ज़्यादा मामलों में होता है।
हेपेटाइटिस ए संक्रमण ज़्यादा दिनों तक रहने वाला संक्रमण नहीं होता, हालांकि यह गंभीरहो सकता है। अगर इस पर समय रहते ध्यान नहीं दिया जाता है, तो कुछ मामलों में इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं, जैसे लिवर का काम करना बंद कर देना और कुछ मामलों में तो मौत भी हो सकती है। हेपेटाइटिस ए का प्रकोप दुनिया भर में होता है पर ज़्यादातर उन जगहों पर होता है जहाँ साफ़ सफ़ाई का ख़ास ध्यान नहीं रखा जाता है। यही कारण है कि वे बच्चे, जो साफ़ सुथरी जगह पर रहने के कारण इस वायरस के संपर्क में नहीं हैं, वह बचपन में तो हेपेटाइटिस ए के संक्रमण से बच सकते हैं पर इनमें किशोरावस्था और वयस्क होने पर गंभीर संक्रमण का ख़तरा बढ़ जाता है।
यह कैसे फैलता है?
हेपेटाइटिस ए वायरस से दूषित खाना खाते हैं या पानी पीते हैं तो आप संक्रमित हो जाते हैं। यह इंसानों में एक दूसरे से फ़ैलता है। यह संक्रमण ज़्यादातर मुंह से फ़ैलता है या फिर यह तब फ़ैलता है, जब कोई दूषित पानी या दूध पीता है या दूषित खाना खाता है जिन्हें सफ़ाई का ध्यान रखकर तैयार नहीं किया गया हो।आपको हेपेटाइटिस ए होने का खतरा बढ़ जाता है अगर आप गलती से हेपेटाइटिस ए से दूषित खाना खा लेते हैं। यह आपको तब भी हो सकता है अगर आपने एक संक्रमित बच्चे का डायपर बदला और अपने हाथों को अच्छी तरह से साफ़ नहीं किया। अगर आप किसी रेस्तरां में खाने-पीने की चीज़ें शेयर करते हैं या एक दरवाजे की घुंडी या सतह को छूते हैं जिसमें संक्रमित व्यक्ति के मल का कुछ कण लगा हो, तब भी आप आसानी से संक्रमित हो सकते हैं।इन संकेतों और लक्षणों पर ध्यान ज़रूर दें
ज़रूरी नहीं है कि हर संक्रमित इंसान में कोई न कोई लक्षण दिखे। अगर लक्षण विकसित होते हैं तो आमतौर पर संक्रमण के 2 से 6 हफ़्ते के भीतर दिखाई देने लगते हैं। यह लक्षण हैं:
● बुखार● उल्टी● स्लेटी रंग का मल● थकान● पेट दर्द● जोड़ों में दर्द● भूख कम लगना● मतली● पीलिया
क्या हेपेटाइटिस ए को रोका जा सकता है?
हां, हेपेटाइटिस ए संक्रमण को रोका जा सकता है। अपने आप को बचाने के लिए सबसे आसान तरीके हैं:
1. साफ पानी पीएं और खाना अच्छी तरह से पकाएं। कच्चे मांस और घोंघा से बचें। फलों और सब्जियों को साफ पानी से धोएं।
2. शौचालय का इस्तेमाल करने के बाद अपने हाथों को साबुन और पानी से ज़रूर धोएं। इतना ही नहीं, बच्चे की लंगोट बदलने के बाद और खाना बनाने और खाने से पहले साबुन से हाथ धोएं।
3. अपने घर में और उसके आसपास सफ़ाई रखें।
4. टीकाकरण, हेपेटाइटिस ए से आपके बच्चे को बचाता है।
हेपेटाइटिस ए के लिए उपचार?
हेपेटाइटिस ए के लिए कोई विशेष उपचार नहीं है इसलिए कुछ सुरक्षा के उपाय करने से ही इस बीमारी से बचा जा सकता है। टीकाकरण करवाने से आप हेपेटाइटिस ए के खतरे से बच सकते हैं।
हेपेटाइटिस ए टीका कब दिया जा सकता है?
एक साल और उससे अधिक उम्र के बच्चों को हेपेटाइटिस ए का टीका लगाया जा सकता है। यही कारण है कि WHO और Indian Academy of Pediatrics जैसे वैश्विक और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण यह सलाह देते हैं कि यह टीका उन सभी बच्चों को लगना चाहिए जो तय उम्र सीमा के अंदर आते हैं ।
पीलिया (कामला) / हेपेटाइटिस के लिए आहार दिनचर्या----
1.प्रातः सुबह उठकर दन्तधावन (बिना कुल्ला किये) से पूर्व खाली पेट 1-2 गिलास गुनगुना पानी एवं नाश्ते से पूर्व आवंला व एलोवेरा स्वरस पियें
संतुलित योजना
समय आहार योजना ( शाकाहार )
नाश्ता (8 :30 AM) 1 कप दूध/ दिव्य पेय + 1-2 आरोग्य बिस्कुट /कम नमक आरोग्य दलिया /पोहा /उपमा (सूजी ) / कन्फ़्लेक्स /अंकुरित अनाज / 1-2 पतली ( मिश्रित अनाज आटा ) +1 कटोरी सब्जी +1 प्लेट फलो का सलाद (सेब, पपीता, आम, केला, अंगूर, अनार)
दोपहर का भोजन
(12:30-01:30)pm
1-2 पतली रोटियां (मिश्रित अनाज आटा ) + 1कटोरी हरी सब्जिया (उबली हुई ) + 1-कटोरी पतली दाल (मूंग, अरहर)/ 1 प्लेट खिचड़ी + 1/2- प्लेट सलाद + मट्ठा / छाछ।
सांयकालीन (05:30-06:00)pm 1 कप दिव्य पेय + 2-3 आरोग्य बिस्कुट /सब्जियों का सूप
रात्रि का भोजन
(7: 00 – 8:00 Pm)
1-2 पतली रोटियां (मिश्रित अनाज आटा ) + 1 कटोरी हरी सब्जी (ज्यादातर रेशेदार युक्त ) + 1 कटोरी मूंग दाल (पतली )
सोने से पहले (30 min) 1 गिलास गुनगुना दूध बिना मलाई का / टोन्ड मिल्क
पथ्य आहार (जो लेना है)
अनाज: पुराना चावल, जौ, गेहू, बाजरा
दाले: अरहर, मूंग, मसूर
फल एवं सब्जियां: परवल, लौकी, तरोई, करेला, कददू, ब्रोकली, पत्तागोभी, गाजर, चकुंदर, कददू के बीज, खजूर, हरी मौसमी सब्जियाँ, पपीता, केला, अंजीर, अंगूर, सेब, आंवला, आलू, अनार।
अन्य: हरीतकी, पुनर्नवा, गुडची, गाय का दूध, छाछ, मिश्री, सफेद रसगुल्ला।
जीवनशैली: उपचारात्मक शुद्धिकरण, विरेचन, आराम करे।
योग प्राणायाम एवं ध्यान: आसन: वैद्यानिर्देशानुसार
अपथ्य (जो नहीं लेना है)
अनाज: मैदा, नवीन चावल।
दाले: मटर, उड़द, चना, राजमा, सोयाबीन।
फल एवं सब्जियां: टमाटर, बैंगन, कटहल।
अन्य: तला हुआ व मसालेदार भोजन, सरसो का तेल, मसाला, कढ़ी, जंक फ़ूड, शीतल पेय, राई, हींग, तिल, गुरु भोजन (दाल, राजमा, चना, मटर, सोयाबीन, उड़द) ठण्डा अन्न, जो शरीर के लिए अनुकूल न हो, तला हुआ एवं कठनाई से पचने वाला भोजन।
सख्त मना : तैलीय व मासलेदार भोजन, मांसाहार सूप, घी, डालडा, ज्यादा नमक, कोल्ड ड्रिंक्स, सॉफ्ट ड्रिंक्स, मदिरा, डिब्बाबंद भोजन।
जीवनशैली: अध्यासन(भोजन पचने से पहले दोबारा भोजन करना), अत्यधिक व्यायाम करना, क्रोध, भय, चिंता, जल्दबाजी, अत्यधिक खाना, दिन में सोना
सलाह:
भोजन को अच्छी प्रकार से चबाकर एवं धीरे–धीरे खाये।
भोजन लेने के पश्चात 3-4 मिनट टहले।
भोजन लेने के पश्चात थोड़ा टहले एवं रात्रि मे सही समय पर नींद लें [9-10 PM]।
कम कार्बोहाड्रेट तथा कम वसा युक्त भोजन करे।
कम मात्रा में नमक तथा कम पानी का सेवन करे।
मक्खन रहित दूध तथा तक्र का सेवन करे।
खाने के साथ– साथ अन्य पोषक तत्व तथा रसायन का सेवन आमलकी रसायन का सेवन करे।
नमक और हल्दी का प्रयोग कम मात्रा में करे। नमक की जगह नीम्बू, आवला, आमचूर, काली मिर्च का प्रयोग करे।
सलाह: यदि मरीज को चाय की आदत है तो इसके स्थान पर 1 कप पतंजलि दिव्य पेय ले सकते हैं।
नियमित रूप से अपनाये :-
(1) ध्यान एवं योग का अभ्यास प्रतिदिन करे (2) ताजा एवं हल्का गर्म भोजन अवश्य करे (3) भोजन धीरे धीरे शांत स्थान मे शांतिपूर्वक, सकारात्मक एवं खुश मन से करे (4) तीन से चार बार भोजन अवश्य करे (5) किसी भी समय का भोजन नहीं त्यागे एवं अत्यधिक भोजन से परहेज करे (6) हफ्ते मे एक बार उपवास करे (7) अमाशय का 1/3rd / 1/4th भाग रिक्त छोड़े।
आयुर्वेद चिकित्सा ---
फ़लत्रिकादि कवाथ --२०मिलिलिटर से ३० मिलीलीटर दिन में तीन बार
कालमेघ नवायस -५०० मिलीग्राम सुबह शाम
आरोग्यवर्धिनी वटी २ goli तीन बार
कुमारीआसव /अभयारिष्ट --- 20 मिलीलीटर सुबह शाम पानी से
इस रोग में वचाब ही लाभकारी होता हैं संक्रमित और दूषित आहार का सेवन हानिकारक हैं .इसमें ऐसा खाना खाना चाहिए हो जो सुपाच्य हो।
(विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन )
आरोग्य
(वर्षा ऋतू में होने वाली गंभीर व्याधि ) हेपेटाइटिस ए --घातक भी हो सकता हैं विश्व स्तर पर हर साल 10 करोड़ से अधिक लोग हेपेटाइटिस ए से संक्रमित होते हैं।