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चीन का अमेरिका से आग्रह, अफगानिस्तान में आतंकवाद और हिंसा से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए

चीन का अमेरिका से आग्रह, अफगानिस्तान में आतंकवाद और हिंसा से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए

बीजिंग । चीन ने अमेरिका से कहा है कि अफगानिस्तान की स्थिति में मूलभूत परिवर्तन हुए हैं। इसकारण सभी पक्षों के लिए तालिबान के साथ संपर्क स्थापित कर उसका "सक्रिय रूप से मार्गदर्शन करना" जरूरी है। चीन ने दोहराया कि अमेरिकी सैनिकों के वापस जाने से अफगानिस्तान में आतंकवादी समूहों को फिर से सिर उठाने का मौका मिल सकता है। चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के साथ टेलीफोन पर बातचीत के दौरान अफगानिस्तान में बिगड़ती स्थिति पर चर्चा की।बातचीत 31 अगस्त की समय सीमा से पहले अमेरिका और उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) देशों द्वारा अफगान नागरिकों और राजनयिकों को देश से निकालने के बीच हुई है। वांग और ब्लिंकन ने द्विपक्षीय संबंधों पर भी चर्चा की। चीनी विदेश मंत्री ने कहा कि अफगानिस्तान में स्थिति में मूलभूत परिवर्तन हुए हैं और "सभी पक्षों" के लिए तालिबान के साथ संपर्क बनाकर उसका "सक्रिय रूप से मार्गदर्शन करना" जरूरी है।
वांग ने कहा कि खासतौर पर अमेरिका को अफगानिस्तान में तत्काल जरूरी आर्थिक और मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अमेरिका को अफगानिस्तान के नए राजनीतिक ढांचे, सरकारी संस्थानों के सामान्य संचालन को बनाए रखने, सामाजिक सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद करने के वास्ते अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ काम करना चाहिए। वांग ने अमेरिका से आग्रह किया कि वह दोहरे मानकों का पालन करने या आतंकवाद से चुनिंदा तरीके से लड़ने के बजाय अफगानिस्तान की संप्रभुता और स्वतंत्रता का सम्मान करे।
वांग ने कहा कि अमेरिका को अफगानिस्तान में आतंकवाद और हिंसा से निपटने में मदद करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। चीन-अमेरिका संबंधों पर उन्होंने कहा कि टकराव के बजाय बातचीत और संघर्ष की जगह सहयोग बेहतर है। उन्होंने कहा कि चीनी पक्ष इसपर विचार करेगा कि बीजिंग के प्रति अमेरिकी रवैये के आधार पर अमेरिका के साथ कैसे बातचीत की जाए। वांग ने कहा कि अगर अमेरिकी पक्ष भी द्विपक्षीय संबंधों को सही रास्ते पर लाने की उम्मीद करता है, तो उसे चीन की संप्रभुता, सुरक्षा और विकास हितों को कमतर नहीं आंकना चाहिए।
 

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