चेन्नई ।तमिलनाडु में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) सरकार ने विधानसभा में दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता के नाम पर विश्वविद्यालय को एक अन्य सरकारी संस्थान, अन्नामलाई विश्वविद्यालय के साथ एकीकृत करने के लिए एक विधेयक पारित किया। इस दौरान जबकि मुख्य विपक्षी दल अन्नाद्रमुक ने सदन से बहिर्गमन किया। साथ ही इस कदम को "राजनीतिक प्रतिशोध" करार दिया।
जिस समाया उच्च शिक्षा मंत्री के पोनमुडी ने सदन में इस संबंध में एक विधेयक पेश किया, तो अन्नाद्रमुक के उप नेता पन्नीरसेल्वम और केपी अंबालागन ने इसका विरोध किया । अन्नाद्रमुक की सहयोगी भाजपा ने भी इस कदम का विरोध किया। बाद में पन्नीरसेल्वम के नेतृत्व में, अन्नाद्रमुक विधायकों ने "कलाईवनार आरंगम" के सामने वालाजाह रोड को अवरुद्ध करके विरोध प्रदर्शन किया।
पन्नीरसेल्वम ने आरोप लगाया कि द्रमुक सरकार ने "अम्मा" जयललिता के नाम पर एक विश्वविद्यालय को भंग करके और इसे अन्नामलाई विश्वविद्यालय के साथ एकीकृत करके राजनीतिक प्रतिशोध के साथ काम किया। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने शुरुआती चरण में ही विधानसभा में इस कदम का विरोध किया था। उन्होंने कहा कि प्राथमिक और उच्च शिक्षा सहित शिक्षा के क्षेत्र में कई पहलों और "उपलब्धियों" के पीछे दिवंगत मुख्यमंत्री का हाथ था।
यह बताते हुए कि उन्होंने छात्रों को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने के लिए मुफ्त लैपटॉप जैसी कई योजनाएं शुरू की थीं, पन्नीरसेल्वम ने कहा कि इस तरह की पहल के कारण, तमिलनाडु में सकल नामांकन अनुपात "दोगुना और 50-51 प्रतिशत तक पहुंच गया", जबकि राष्ट्रीय औसत लगभग 25 प्रतिशत था। पूर्व मुख्यमंत्री पन्नीरसेल्वम ने कहा, "राजनीतिक प्रतिशोध के कारण, वे उनके नाम पर एक विश्वविद्यालय भी नहीं चाहते हैं और इसलिए ऐसा किया जा रहा है। हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं।"
अन्नाद्रमुक कार्यकर्ताओं ने विल्लुपुरम, तिरुचिरापल्ली और रानीपेट सहित कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन किया और द्रमुक सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
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जयललिता के नाम पर विश्वविद्यालय को एक अन्य सरकारी संस्थान के साथ एकीकृत करने का विरोध