अब निजी एयरलाइंस कंपनी जेट एयरवेज के खिलाफ दो दो ऑपरेशनल क्रेडिटर्स (परिचालन लेनदारों) ने दिवालिया अदालत में अपनी याचिका लगायी है। अगर इन्हें स्वीकार कर लिया जाता है तो जेट एयरवेज को कर्ज देने वाले बैंक भी इस प्रक्रिया से जुड़ सकते हैं। शमन वील्स प्राइवेट लिमिटेड और गग्गर एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड नाम की इन कंपनियों ने नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (एनसीएलटी) में जेट एयरवेज से अपना बकाया पैसा वसूल करने के लिए आवेदन दिया है। मुंबई की शमन व्हील्स नई और पुरानी पैसेंजर गाड़ियां और लॉरी, ट्रेलर, सेमी-ट्रेलर बेचती है। वहीं अहमदाबाद की गग्गर एंटरप्राइजेज जेट एयरवेज को पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर (पानी) की आपूर्ति करती थी। इसके अलावा भी कई परिचालन लेनदारों ने कंपनी को इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (आईबीसी) दिवाला कानून के तहत नोटिस भेजे हैं, जब इन याचिकाओं पर सुनवाई शुरू होगी तो उसमें वे भी शामिल हो सकती हैं।
ऑपरेशनल क्रेडिटर्स के कदम को लेकर एक बैंकर ने कहा, ‘हमें देखना होगा कि एनसीएलटी क्या फैसला करता है। अगर याचिका स्वीकार कर ली जाती है तो जेट की रिकवरी की संभावना खत्म हो जाएगी।’ उन्होंने कहा, ‘जेट के दिवालिया होने के बाद हमें बकाया कर्ज की रिकवरी की बहुत उम्मीद नहीं है क्योंकि कंपनी की दूसरी देनदारियां बैंकों से लिए गए कर्ज से काफी अधिक हैं। हमें यह भी देखना होगा कि क्या दूसरे क्रेडिटर्स को इस मामले में बैंकों के बराबर रखा जाता है।’ बैंकों ने एयरलाइन मैनेजमेंट और कुछ निवेशकों के साथ मिलकर कंपनी के लिए रेजॉलूशन प्लान (योजना) तैयार करने की कोशिश की थी, लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकला। इससे पहले कहा जा रहा था कि हिंदुजा ग्रुप इसे बचाने के लिए एतिहाद ग्रुप के साथ पार्टनरशिप कर सकता है। हालांकि, जेट को कर्ज देने वाले बैंकों या इसमें दिलचस्पी रखने वाले निवेशकों की तरफ से अभी तक उसे बचाने के लिए ठोस उपायों का ऐलान नहीं किया गया है।
हिंदुजा और एतिहाद सहित दूसरे नए निवेशक जेट एयरवेज के मौजूदा इक्विटी इन्वेस्टर्स की हिस्सेदारी खत्म करने की मांग कर रहे हैं। वे माइनॉरिटी शेयरहोल्डर्स की भी इक्विटी हिस्सेदारी खत्म करने की मांग कर रहे हैं। बैंकों को कंपनी को दिए गए कर्ज पर 60 फीसदी का नुकसान बर्दाश्त करना होगा। इस डील में उन्हें कन्वर्टिबल शेयर देने की चर्चा है। ऐसे में कंपनी के रिवाइवल से उन्हें राहत मिल सकती है।
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जेट एयरवेज के खिलाफ दो परिचालन लेनदारों ने लगाई याचिका