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अमेरिका ने काबुल से खत्म किया रेस्क्यू मिशन, मदद की आस लगाए पीछे छूटे कई अफगान नागरिक

अमेरिका ने काबुल से खत्म किया रेस्क्यू मिशन, मदद की आस लगाए पीछे छूटे कई अफगान नागरिक

वाशिंगटन । अफगानिस्तान से अमेरिकी सैन्य बलों की वापसी 31 अगस्त की डेडलाइन के साथ ही सामाप्त हो गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने 20 साल तक चले इस मिशन को कामयाब बताया है। इसके साथ ही अफगानिस्तान समेत दुनियाभर के आतंक के खिलाफ लड़ने की प्रतिबद्धता भी जताई है। अफगानिस्तान से रेस्क्यू अभियान के जरिये अमेरिका ने अपने सैनिकों और कई नागरिकों को सुरक्षित निकाला है, लेकिन अब भी कई लोग ऐसे हैं जो अमेरिका से मदद की गुहार लगा रहे हैं। इनमें से एक शख्स हैं मोहम्मद, जिन्होंने आज से 13 साल पहले बाइडेन की मदद की थी। सन 2008 में बाइडेन और दो अन्य सीनेटर एक दूरस्थ अफगानिस्तान घाटी में फंसे हुए थे। उस कंपकंपी सर्दी में बर्फीले पहाड़ों के बीच फंसे बाइडेन को वापस लाने में अफगान दुभाषिया मोहम्मद ने मदद की थी, लेकिन अब वह अफगानिस्तान में ही छूट गए हैं। मोहम्मद ने व्हाइट हाउस से मदद की गुहार लगाई है। वॉल स्ट्रीट जर्नल से बात करते हुए मोहम्मद ने (पहचान छिपाने के लिए पूरे नाम का उपयोग नहीं किया गया है) अमेरिकी राष्ट्रपति से खुद को और उसके परिवार को बचाने की अपील की है। 
सन 2008 में काम करने वाले सेना के दिग्गजों के अनुसार 2008 में तत्कालीन सीनेटर जो बाइडेन और पूर्व सीनेटर्स चक हेगल, आर नेब, जॉन केरी, डी मास को बचाने में मदद की थी। जब उनका हेलीकॉप्टर बर्फीले तूफान की वजह से अफगानिस्तान में इमरजेंसी लैंडिंग करने पर मजबूर हुआ था। मोहम्मद उस समय अमेरिकी सेना के लिए एक दुभाषिया थे। एक महिला, जिसने अपना छद्म नाम सारा रखा था, ने कहा कि अपने घर में 19 बच्चों की देखभाल की और उन्हें खिलाया-पिलाया, जिसमें से दो विकलांग थे। मुझे अभी पता चला कि वे चले गए। और मैं बस थोड़ी देर चुप रही। मैंने देखा कि छोटे बच्चे सो रहे हैं और उन्हें पता नहीं है कि क्या हुआ? अमेरिका आखिरी उड़ान चली गई, और हम पीछे रह गए। 
यह देखकर दिल दहल जाता है। महिला ने कहा कि हमें किसी ने नहीं सुना कि हम खतरे में हैं, और हमें सुरक्षित रहने की आवश्यकता है। यह दिल दहला देने वाली घटना है। महिला ने कहा मुझे यह भी नहीं पता कि आपसे क्या कहना है। और क्या जो भी मेरी मदद करने और मेरा समर्थन करने की कोशिश कर रहे थे, उन्होंने मुझे यह भी नहीं बताया कि यह आखिरी उड़ान है। मुझे उम्मीद थी कि अंतत: हम यहां से चले जाएंगे। सारा ने कहा वह छह बच्चों के साथ हवाई अड्डे पर गई थी। वहां एक गेट पर जहां विदेश विभाग ने मुझे जाने के लिए कहा था।
 

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