मुंबई, । मुंबई में फेरीवालों की बढ़ती मनमानी और बढ़ते फेरीवालों का प्रभाव को लेकर लोगों में भारी नाराजगी है। मुंबई में 2014 से फेरीवाला कानून बनाने का केंद्र सरकार का और सुप्रीम कोर्ट का निर्देश होने के बावजूद राज्य सरकार के अड़ियल रवैए से मुंबई का फेरीवाला कानून लटका पड़ा है जिससे फेरीवाले अभी तक अपने रोजगार को लेकर वंचित है। हाल ही में मुंबई से सटे ठाणे में फेरीवालों द्वारा मनपा अधिकारी पर किए गए हमले से फेरीवालों का मुद्दा फिर एक बार गरमाया है। केंद्र और सुप्रीम कोर्ट द्वारा 10 साल पहले फेरीवालों को रोजगार उपलब्ध कराने को लेकर उन्हें नियमित रोजगार देने के लिए लाइसेंस देने का निर्देश दिया गया। मुंबई मनपा भी वर्ष 2014 से फेरीवालों को लाइसेंस देने को लेकर उनकी गणना आदि की। मुंबई में मनपा द्वारा किए गए सर्वेक्षण में 99 हजार के करीब फेरीवाले पाए गए। मनपा इन फेरीवालों को लाइसेंस देने के लिए सर्वेक्षण के बाद पात्रता का काम भी पूरा कर दिया पहले चरण में 15 हजार अधिकृत लाईसेंस के अलावा 17 हजार अन्य फेरीवालों का लाइसेंस पात्र किया गया। महायुति सरकार ने वर्ष 2018 में मनपा द्वारा तैयार किए गए फेरीवालों के कानून में स्थानीय नगरसेवको को शामिल नहीं किए जाने पर फेरीवाला कानून पर ही रोक लगा दिया। केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कानून के अनुसार हर 5 साल में दोबारा सर्वेक्षण किया जाना निश्चित होने के बावजूद मनपा अभी तक पहली बार भी लाइसेंस देने में कामयाब नहीं हुई है जबकि केंद्र के नियमानुसार दुसरी बार फेरीवालों का आरक्षण होना चाहिए था लेकिन राज्य सरकार के कारण अभी तक एक बार भी रोजगार नहीं मिल सका। फेरीवालों को केंद्र सरकार के निर्देशानुसार लाइसेंस नहीं मिलने से फेरीवालों से अवैध वसूली कर उन्हें फेरी का धंधा करने दिया जा रहा है।
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मुंबई में लागू नहीं हो पा रहा फेरीवाला कानून