एक नए अध्ययन में ऐसा दावा किया गया है कि दशकों तक लीवर की बीमारी के इलाज में इस्तेमाल होती रही दवा, अल्जाइमर से क्षतिग्रस्त हुई कोशिकाओं को फिर से दुरुस्त करने में मदद कर सकती हैं। ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ शेफफील्ड के शोधकर्ताओं ने पाया कि अर्सोडीऑक्सिकोलिक एसिड (यूडीसीए) माइटोकोंड्रिया की शिथिलता में सुधार लाता है। इसे अल्जाइमर बीमारी के दोनों प्रकारों का मुख्य कारक माना जाता है। माइटोकोंड्रिया तंत्रिका कोशिकाओं के जीवित रहने और नष्ट होने में अहम भूमिका निभाता है क्योंकि यह कोशिकाओं की बैटरी के तौर पर काम करते हुए मेटाबॉलिक एनर्जी के साथ-साथ कोशिकाओं के नष्ट होने के रास्ते को भी नियमित करता है।यूनिवर्सिटी ऑफ शेफफील्ड के वरिष्ठ शोधार्थी हीथर मोर्टिब्वॉज ने कहा कि अल्जाइमर के वास्तविक मरीज के ऊतकों में पहली बार इस अध्ययन ने दिखाया है कि यूडीसीए एसिड दवा कोशिकाओं की बैटरी कहे जाने वाले माइटोकोंड्रिया के प्रदर्शन को बढ़ा सकती है। शोधकर्ताओं ने कहा है कि अल्जाइमर की बीमारी में कोशिकाओं के कई प्रकार में माइटोकोंड्रिया विषमताएं देखी गईं। अल्जाइमर से पीड़ित लोगों की कई विभिन्न कोशिकाओं में ऊर्जा परिवर्तन होते हुए देखे गए।
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अल्जाइमर का इलाज लीवर की बीमारी की दवा से - एक नए अध्ययन में किया वैज्ञानिकों ने दावा