नई दिल्ली । देश के बड़े कारोबारी मुकेश अंबानी के छोटे भाई अनिल अंबानी की रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। अनिल अंबानी ने दिल्ली मेट्रो के खिलाफ 4 साल पुरानी एक लड़ाई को जीत लिया है। यह लड़ाई एक आर्बिट्रेशन अवॉर्ड से धन के नियंत्रण को लेकर थी, जिसे लेकर रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड का कहना है कि उसे उधारदाताओं का बकाया चुकाने के लिए इसकी जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट के दो-न्यायाधीशों के पैनल ने गुरुवार को 2017 के आर्बिट्रेशन अवॉर्ड को अनिल अंबानी की इकाई के पक्ष में बरकरार रखा। रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, मध्यस्थता न्यायाधिकरण का अवॉर्ड ब्याज सहित 46.6 अरब रुपए (63.2 करोड़ डॉलर) से अधिक का है। यह फैसला अंबानी के लिए एक महत्वपूर्ण जीत है क्योंकि उनकी दूरसंचार कंपनियां दिवालियापन में हैं और वह देश के सबसे बड़े ऋणदाता द्वारा दर्ज एक व्यक्तिगत दिवाला मामला लड़ रहे हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी), रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर इकाई को 46.6 अरब रुपए हर्जाने का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है।
रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की इकाई ने 2008 में दिल्ली मेट्रो के साथ देश का पहला प्राइवेट सिटी रेल प्रॉजेक्ट 2038 तक चलाने का अनुबंध किया था। 2012 में शुल्क और संचालन पर विवादों के बाद, अंबानी की फर्म ने राजधानी के एयरपोर्ट मेट्रो प्रॉजेक्ट का संचालन बंद कर दिया और अनुबंध के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए दिल्ली मेट्रो के खिलाफ मध्यस्थता का मामला शुरू किया। साथ ही टर्मिनेशन फीस भी मांगी। कोर्ट के आदेश के बाद रिलायंस इंफ्रा के शेयरों में 5फीसदी की बढ़ोतरी हुई। कंपनी के वकीलों ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि रिलायंस कर्जदाताओं को भुगतान करने के लिए पैसे का इस्तेमाल करेगी। इसके बाद शीर्ष अदालत ने बैंकों को कंपनी के खातों को एनपीए के रूप में चिह्नित करने से रोक दिया था। मामले में अंतिम निर्णय उधारदाताओं पर अदालत के प्रतिबंध को भी हटा देता है।
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अनिल अंबानी ने दिल्ली मेट्रो केस जीता, 46 अरब मिलेंगे -सुप्रीम कोर्ट ने आर्बिट्रेशन अवॉर्ड उनके पक्ष में बरकरार रखा