नई दिल्ली । बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमो मायावती अगले विधानसभा चुनाव से पहले अपनी पार्टी के बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी से किनारा कर सकती हैं। पार्टी ने अंसारी की सीट मऊ सदर से वैकल्पिक उम्मीदवार की तलाश भी शुरू कर दी है। सूत्रों का कहना है कि मुख्तार अंसारी को भी इस बात का अंदेशा है कि मायावती उन्हें ऐन मौके पर झटका दे सकती हैं, इसलिए उसने भी विकल्प की तलाश शुरू कर दी है। सूत्रों का कहना है कि जिस तरह से योगी सरकार बाहुबलियों के खिलाफ सख्त कदम उठा रही है और उसे जनता का समर्थन भी मिल रहा है, उसके बाद बीएसपी के रणनीतिकारों को लगता है कि अंसारी के साथ दिखने से पार्टी को नुकसान हो सकता है। मायावती न सिर्फ मऊ सीट से मुख्तार अंसारी का टिकट काटने जा रही है, बल्कि यूपी विधानसभा चुनाव से पहले उसे एक बार फिर बीएसपी से बाहर का रास्ता भी दिखाया जा सकता है। बीएसपी मुख्तार के बदले किसी दूसरे प्रभावशाली नेता की तलाश कर रही है, जिसे मऊ सदर सीट से उम्मीदवार बनाया जा सके। मुख्तार के किसी करीबी रिश्तेदार या मजबूत प्रत्याशी मिलने की स्थिति में किसी गैर मुस्लिम पर भी मायावती दांव लगा सकती हैं। मुख्तार अंसारी भी बदली हुई परिस्थितियों के हिसाब से गोटियां सेट करने में लग हैं और वह दूसरी पार्टियों में संभावना तलाशने लगे हैं। माना जा रहा है कि मुख्तार ने रणनीति के तहत ही अपने बड़े भाई सिबगतउल्ला अंसारी को अखिलेश यादव की मौजूदगी में एसपी में शामिल करवाया था। अगर अखिलेश के यहां दाल नहीं गली तो मुख्तार अपने पुराने साथी अतीक अहमद के नक्शेकदम पर चलते हुए असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम का दामन थाम सकता है। वैसे, ओम प्रकाश राजभर की पार्टी भी उसके लिए एक विकल्प है।