विशेषज्ञ की माने तो बार-बार होने वाले मौसमी बुखार को शरीर की प्रतिरोधक क्षमता के लिए अच्छा मानते हैं। एक अध्ययन में कहा गया है कि मौसमी संक्रामक बुखार शीर में मौजूद जीडी टी सेल्स की संख्या बढ़ाकर इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं। इसके साथ ही यह कैंसरकारक कोशिकाओं को भी खत्म कर देते हैं। कैंसर की बीमारी का नाम सुनते ही दिल कांप जाता है। यह इसलिए और भी भयानक लगता है क्योंकि चीनी से लेकर स्मार्टफोन तक, हर चीज से इस बीमारी के होने का खतरा है। अमेरिका के नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट का अनुमान है कि 2018 में यह बीमारी 17,35 लाख लोगों को अपना शिकार बना लेगी। इस बीमारी से निपटने की कोशिश में लगे विशेषज्ञों को हाल ही में हुए इस नए अध्ययन के नतीजों से थोड़ी राहत मिल सकती है। इस अध्ययन में किसी व्यक्ति को बार-बार होने वाले संक्रामक बुखार और कैंसर होने के खतरे के बीच लंबे समय तक संबंध को देखा गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि बार-बार होने वाला संक्रामक बुखार कैंसर के खतरे को कम करता है। विशेषज्ञों का कहना है कि बार-बार बुखार होने से जीडी टी-सेल्स शरीर के भीतर एक ऐसा माहौल बनाते हैं, जो घातक कैंसरकारक कोशिकाओं को नष्ट करने में मददगार होता है। इस अध्ययन में यह भी देखा गया कि बुखार शरीर का प्राकृतिक सुरक्षा कवच है, तो फॉरेन पायरोजेन के हमलों के प्रति उसके प्रतिरोधक तंत्र को मजबूत बनाने का काम करता है। पोलैंड के निकोलस कॉपरनिकस यूनीवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि बार-बार बुखार से किसी भी व्यक्ति के शरीर का रोग प्रतिरोधक तंत्र मजबूत होता है। इससे उसके शरीर में मौजूद टी सेल्स के साथ गामा/डेल्टा चेन हेट्रोमीटर का स्तर बढ़ता है। इन्हें जीडी टी सेल्स भी कहा जाता है।