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सेहत को इन धातुओं से पहुंचता है भयंकर नुकसान,  जा सकती है जान! 

सेहत को इन धातुओं से पहुंचता है भयंकर नुकसान,  जा सकती है जान! 

हमारे शरीर की सेहत के लिए धातुओं का काफी योगदान होता है जिनमें लोहा, तांबा और जिंक शामिल हैं। लेकिन आपकी बॉडी ऐसी धातुओं के संपर्क में भी आती है जो मौत का कारण भी बन सकती हैं।
      पृथ्वी कई प्रकार की भारी धातुओं का घर है जो प्राकृतिक रूप से हवा, जमीन और पानी में पाई जाती हैं। मानव शरीर में भी कुछ धातुएं होती हैं, जिन्हें कम मात्रा में ट्रेस मेटल के रूप में जाना जाता है। प्रत्येक धातु में एक विशिष्ट तरीके से शरीर को प्रभावित करने की क्षमता होती है और जबकि कुछ धातुएं शरीर को एक निश्चित तरीके से लाभ पहुंचाती हैं, हालांकि कुछ नुकसान भी पहुंचा सकती हैं।
       सामान्य तौर भारी धातुओं को विषाक्तता  के रूप में जाना जाता है। हैवी मेटल्स के जरिए ही हमारा शरीर अस्वास्थ्यकर स्तर पर जाता है।
   मेटल टॉक्सिसिटी और हेल्थ
     मानव शरीर हवा, मिट्टी और पानी के संपर्क में आने के बाद भारी धातु को ऑब्जर्ब कर सकता है। पर्यावरण में मौजूद कुछ आम हैवी मेटल्स में आर्सेनिक, लेड, कैडमियम, पारा, क्रोमियम, निकल, मैंगनीज शामिल हैं। ये हमारे शरीर पर प्रतिकूल यानी नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं और इसके लिए हमें तुरंत मेडिकल सतर्कता  की आवश्यकता हो सकती है।
     कुछ मामलों में मेटल टॉक्सिसिटी लोगों की मृत्यु का कारण भी हो सकती है। हालांकि, यह प्रक्रिया धीरे-धीरे होती है और आप कुछ लक्षणों के जरिए पहचान कर सकते हैं। हर मेटल टॉक्सिसिटी अपने लक्षण उत्पन्न करती है
      मेटल टॉक्सिसिटी के लक्षण
   थकान , उलटी या मितली ,दस्त ,सांस लेने में तकलीफ  पेट में दर्द)
   निदान
       इस समस्या के निदान के लिए कुछ जरूरी टेस्ट हैं जिन्हें कराकर आप अपना वक्त रहते इलाज करा सकते हैं। इसके लक्षणों की जांच मूत्र विश्लेषण, एक्स-रे, इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम , गुर्दा समारोह परीक्षण , बाल विश्लेषण (हेयर  एनालिसिस ) और नाखून विश्लेषण  द्वारा की जा सकती है। उपचार विधियों में दवाएं या विषहरण उपचार शामिल हैं।
    मेटल टॉक्सिसिटी से कैसे करें बचाव
       खदानों, परमाणु संयंत्रों, खेतों और अन्य कठोर वातावरण में काम करने वाले लोगों को जहरीले धातु के संपर्क में आने का अधिक खतरा होता है। सरकार और अधिकारियों को उनकी सुरक्षा, स्वास्थ्य और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने चाहिए।
     कोहल कॉस्मेटिक्स  यानि काजल ,अंजन का उपयोग करने से बचें क्योंकि उनमें लेड हो सकता है। इसके अलावा, अपने घर को रंगते समय, लेड-आधारित पेंट का उपयोग करने से बचें।
    धूम्रपान करना बंद  करें। साथ ही अगर आप धूम्रपान नहीं करते हैं, तो सिगरेट के धुएं के पास रहने से बचें।    
     अयस्क उद्योगों , खदानों  और निर्माण क्षेत्रों  में काम करते समय प्रोटेक्टिव गियर पहनें और एहतियाती बरतें।
    समुद्री भोजन ) में पारा की हानिकारक मात्रा हो सकती है, सुनिश्चित करें कि आप सुरक्षित और दूषित भोजन और पानी का सेवन कर रहे हैं।
    शाकनाशी, कीटनाशक, और कीटनाशक को नष्ट करने के लिए बाजार से लाई गई सब्जियों को अच्छी तरह से धोएं।
      आजकल तैयार भोजन ,नाश्ता ,पैक्ड पैकेट्स में सुरक्षा के लिहाज़ से ऐसे रसायनों का उपयोग किया जाता हैं जो धीमा   जहर देकर हमें रुग्ण बनाकर गंभीर रोगों से ग्रसित कर देते हैं .इनमे भी नियंत्रण कि जरुरत हैं।
( विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन )
 

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