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भूपेंद्र पटेल के कारण गुजरात बीजेपी में बढ़ेगी कलह

भूपेंद्र पटेल के कारण गुजरात बीजेपी में बढ़ेगी कलह

नई दिल्ली । गुजरात में नेतृत्व परिवर्तन कर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने इरादे साफ कर दिए हैं। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की अगुआई में भाजपा गुजरात में अपनी सत्ता बरकरार रखना चाहती है। पर भाजपा के इस बदलाव से कांग्रेस को उम्मीद दिख रही है। हालांकि, पिछले चार सालों में पार्टी संगठन को मजबूत करने में विफल रही है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि भूपेंद्र पटेल की ताजपोशी के बाद रणनीति में बदलाव जरूरी है, पर एक सकारात्मक संकेत भी है। विजय रूपाणी को हटाने से यह साफ हो गया है कि भाजपा जीत को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं है। उसे डर है कि वह 2022 के चुनाव में सत्ता गंवा सकती है। भूपेंद्र पटेल की वजह से भाजपा में अंदरुनी कलह भी बढ़ सकती है और चुनाव में पार्टी इसका लाभ ले सकती है। चुनाव में अभी वक्त है और कांग्रेस के पास अभी अच्छे से तैयार करने का मौका भी है। दरअसल, 2017 में कांग्रेस काफी हद तक भाजपा को घेरने में सफल रही थी। पार्टी ने 77 सीट हासिल की, वहीं भाजपा 99 पर रुक गई। पर कांग्रेस इस बढ़त को ज्यादा दिन तक बरकरार रखने में विफल रही और लोकसभा में सभी सीट भाजपा से हार गई। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन में राहुल गांधी की सभी अहम वर्गों तक पहुंचने की कोशिश के साथ तीन युवाओं की तिकड़ी ने अहम भूमिका निभाई थी। इनमें पाटीदार अमानत आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी शामिल थे। ठाकोर बाद में भाजपा में चले गए। आंदोलन खत्म होने के बाद हार्दिक कांग्रेस में आ गए और उन्हें कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया। पर वह पाटीदार समुदाय में अपना दबदबा बनाए रखने में बहुत सफल नहीं रहे। वह वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस में शामिल हुए थे। पर पार्टी पाटीदारों के असर वाली सीट भी नहीं जीत पाई। गुजरात में आठ सीट ऐसी है, जहां पाटीदार मतदाताओं की तादाद अच्छी खासी है। अहमदाबाद पूर्व में 15, अमरेली में 18, गांधीनगर में 18, आणंद में 16, मेहसाणा में 30, सूरत में 25 और खेड़ा व वडोदरा में लगभग 12 फीसदी पाटीदार वोट हैं। निकाय चुनाव में भी हार्दिक अपना असर नहीं दिखा पाए। पाटीदारों का गढ़ माने जाने वाले सूरत में कांग्रेस अपना खाता तक नहीं खोल पाई। प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि उनके दबाव में सौराष्ट्र में पार्टी ने चुनाव में पटेल उम्मीदवारों को तरजीह दी, हम उनके साथ कोली समाज को भी प्रतिनिधित्व देते तो शायद ज्यादा बेहतर प्रदर्शन कर सकते थे।

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