मुंबई । वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में 17 सितंबर को जीएसटी परिषद की 45वीं बैठक होगी। बैठक में ऑनलाइन फूड डिलीवरी ऐप स्वीगी और जोमेटो को जीएसटी के दायरे में लाने के प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा। कमेटी ने फूड डिलीवरी एप्स को कम से कम पांच फीसदी जीएसटी के दायरे में लाने की सिफारिश की है। ऐसे में ग्राहकों को स्विगी, जोमैटो, आदि से खाना मंगाना महंगा पड़ सकता है। इस एजेंडे में पवन चक्कियों, सोलर पावर डिवाइस, मेडिसिन, कार्बोनेटेड पेय भी शामिल हैं। 2019-20 और 2020-21 में दो हजार करोड़ रुपए के जीएसटी घाटे का अनुमान लगाते हुए, फिटमेंट पैनल ने सिफारिश की है कि फूड एग्रीगेटर्स को ई-कॉमर्स ऑपरेटरों के रूप में वर्गीकृत किया जाए और संबंधित रेस्तरां की ओर से जीएसटी का भुगतान किया जाए। कई रेस्तरां जीएसटी का भुगतान नहीं कर रहे हैं, जबकि कुछ पंजीकृत भी नहीं हैं। रेट फिटमेंट पैनल ने सुझाव दिया है कि यह बदलाव एक जनवरी 2022 से प्रभावी हो सकता है।
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ऑनलाइन फूड डिलीवरी हो सकती है महंगी