बेंगलुरु । भाजपा के वरिष्ठ नेता बीएस येदियुरप्पा के प्रस्तावित कर्नाटक दौरे ने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की चिंताएं बढ़ा दी हैं। पार्टी नेताओं को चिंता इस बात की है कि यात्रा के दौरान कहीं अपनी बयानबाजी की वजह से बीएस येदियुरप्पा बीजेपी की फजीहत न करा दें। यह भी डर है कि अपनी इस यात्रा का इस्तेमाल येदियुरप्पा अपने बेटे विजेंद्र के लिए रास्ता बनाने और नए सीएम बसवाराज बोमई के लिए मुश्किलें बढ़ाने को कर सकते हैं। पार्टी सूत्रों की मानें तो लिंगायत समुदाय के कद्दावर नेता माने जाने वाले येदियुरप्पा ने यात्रा पर अपने साथ प्रदेश अध्यक्ष नलिनकुमार कतील को ले जाने के पार्टी के सुझाव को स्वीकार कर लिया है लेकिन फिर भी बीजेपी नेता पसोपेश में हैं। येदियुरप्पा ने 26 जुलाई को ही कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया है। माना जा रहा है कि येदियुरप्पा नाराज हैं क्योंकि पार्टी ने अभी तक उन्हें संगठन से जुड़ी भी कोई जिम्मेदारी नहीं सौंपी है। येदियुरप्पा ने अपनी कर्नाटक यात्रा पहले स्वतंत्रता दिवस के बाद करने की योजना बनाई थी। हालांकि, उस समय पार्टी के निवेदन पर उन्होंने इसे विनायक चतुर्थी त्योहार के बाद करने का फैसला किया था। उनकी यह योजना विधानसभा सत्र की वजह से एक बार फिर से टली थी।
हालांकि, येदियुरप्पा के ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए पार्टी के अंदर डर बना हुआ है। साल 2013 में भी जब येदियुरप्पा ने बीजेपी से अलग होकर अपनी पार्टी बनाई थी तो इसका फायदा राज्य में कांग्रेस को मिला था। येदियुरप्पा की पार्टी ने कुछ ही सीटों पर जीत दर्ज की थी लेकिन उन्होंने कई विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी का खेल बिगाड़ दिया था। येदियुरप्पा यह दावा कर रहे हैं कि उनकी यात्रा के दौरान वह कांग्रेस पर हमलावर रहेंगे, लेकिन उनकी इन बातों पर पार्टी के सहयोगी भरोसा नहीं कर पा रहे हैं। पार्टी नेता यह मानने को तैयार नहीं कि येदियुरप्पा की यात्रा से बीजेपी को साल 2023 में होने वाले कर्नाटक चुनावों में फायदा मिलेगा।
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बीएस येदियुरप्पा के दौरे ने शीर्ष नेतृत्व की चिंताएं बढ़ाईं - बेटे का रास्ता बनाने को लेकर कर सकते हैं खेल?