नई दिल्ली । चीन की दूसरी सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी एवरग्रैंड दिवालिया होने के कगार पर है। कंपनी पर करीब 300 अरब डॉलर का कर्ज है, वह भुगतान करने की स्थिति में नहीं है।चीन के फॉरेन बॉन्ड्स में इसकी करीब 9 फीसदी की हिस्सेदारी रखती है।एवरग्रैंड संकट की वजह से दुनियाभर के शेयर बाजारों में गिरावट आई।इससे एक ही दिन में दुनिया के 500 सबसे अमीर लोगों के 135 अरब डॉलर मिटटी में मिल गए। यह एशिया और भारत के सबसे बड़े रईस मुकेश अंबानी की कुल नेटवर्थ से कहीं ज्यादा है। रिपार्ट के मुताबिक उनकी नेटवर्थ 92.2 अरब डॉलर है। इसका सबसे बड़ा नुकसान इलेक्ट्रिक कार बनाने वाली कंपनी टेस्ला के मालिक एलन मस्क को हुआ। एक दिन में उनकी नेटवर्थ 7.2 फीसदी गिरकर 198 अरब डॉलर रह गई। हालांकि मंगलवार को उनकी नेटवर्थ 2.25 अरब डॉलर बढ़कर 200 अरब डॉलर पहुंच गई।रिपोर्ट के मुताबिक वह दुनिया के सबसे अमीर शख्स हैं। दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनी ऐमजॉन के फाउंडर जेफ बेजोस की नेटवर्थ में सोमवार को 5.6 अरब डॉलर की गिरावट आई। इस समय वह 194 अरब डॉलर की नेटवर्थ के साथ अमीरों की लिस्ट में दूसरे नंबर पर हैं।
कुछ विश्लेषकों ने आशंका जाहिर है कि एवरग्रैंड संकट, चीन में लेहमैन ब्रदर्स वाला संकट साबित हो सकता है। दिग्गज भारतीय बैंकर उदय कोटक का मानना है कि एवरग्रैंड संकट लेहमैन संकट की याद दिलाता है। हालांकि कुछ विश्लेषकों का कहना है कि एवरग्रैंड संकट, चीन के लिए एक बड़ी और गंभीर परीक्षा है लेकिन यह लेहमैन संकट जैसा नहीं है। लेहमैन संकट तब आया था, जब अमेरिका की बैंकिंग फर्म लेहमैन ब्रदर्स ने 15 सितंबर 2008 को आधिकारिक तौर पर खुद को दिवालिया घोषित किया था और इसके बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी छा गई। अब 13 साल बाद एवरग्रैंड के जरिए चीन से वैश्विक मंदी छाने की आहट सुनाई दे रही है। एवरग्रैंड का कहना है कि उसने नकदी संकट कम करने का समाधान तलाशने के लिए वित्तीय सलाहकारों को नियुक्त किया है। लेकिन साथ ही चेतावनी भी दी है कि इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि वह अपने वित्तीय दायित्वों को पूरा कर सकेगी। एवरग्रैंड पर जो देनदारियां हैं, वे चीन के पूरे प्रॉपर्टी मार्केट की देनदारियों का 6.5 फीसदी हैं। एवरग्रैंड का शेयर इस साल लगभग 80 फीसदी टूट चुका है।20 सितंबर 2021 को यह 11 सालों के लो पर था। भारत की कई कंपनियां भी एवरग्रैंड से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर जुड़ी हैं, खासकर स्टील, केमिकल्स और मेटल सेक्टर की कंपनियां। इन कंपनियों के प्रॉडक्शन का एक बड़ा हिस्सा एवरग्रैंड के जरिए चीन के रियल एस्टेट में खपत होता है।इसकारण एवरग्रैंड के दिवालिया होने की आशंका भर से सेंसेक्स धराशायी होगा। एक रिपोर्ट के मुताबिक, जापान के टॉयलेट, एसी, पेंट मैन्युफैक्चरर कंपनियों के शेयर भी जमीन पर आ गए हैं। इसके अलावा अन्य देशों के शेयर मार्केट भी प्रभावित होते दिख रहे हैं।
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एवरग्रैंड संकट से दुनिया में 13 साल बाद फिर से वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी आने का डर