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मूली -----लाभप्रद  उपयोगी  

मूली -----लाभप्रद  उपयोगी  

सलाद में कई तरह की सब्जियों का उपयोग किया जाता है, जिनमें एक नाम मूली का भी है। हालांकि, कई लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें मूली कुछ खास पसंद नहीं होती। इसका सेवन कर इसके स्वास्थ्य लाभ लिए जा सकें। ,
    मूलकं द्विविधं प्रोक्तं लघुमूलकं.शालाभमर्कटकं  विस्त्रं मरुसम्भवम .
    चाणक्यमूलकं तीक्ष्णं  .नेपालमूलकं चान्यततद्भवेत गजदंतवत .
    लघु मूलं कटु उषणम स्यादृरच्यं   च लघु पाचनं .दोष त्रयहरम स्वर्य ज्वरश्वासविनाशनम
    नासिकाकंठरोगघ्नं नयनामयनशनम .महत्तदेव  रुक्षोषणम गुरु दोषत्रयप्रदम
   स्नेह सिद्धम तदेव स्यात दोषत्रयविनाशनम (भा.प्र )
    बालं दोषहरं वृद्धं त्रिदोषम ,मारूतापहम.स्नेहसिद्धम ,विशुष्कम तू मूलकं कफवातजित (च सु २७ )
    गुण --लघु( लघु मूलक ),गुरु (बृहत मूलक) ,तीक्ष्ण    रस -- कटु ,विपाक -कटु  वीर्य-- उष्ण
    मूली क्या है
    मूली जमीन के अंदर होने वाली एक सब्जी है। इसका स्वाद थोड़ा तीखा हो सकता है,। इसका वैज्ञानिक नाम है रैफेनस सैटीवस । यह ठंड के मौसम में बाजार में मिलती है, लेकिन यह भी इसके प्रकार पर निर्भर करता है। मूली में कई तरह के पोषक तत्व मौजूद है।
      मूली के प्रकार
    डाइकों वाइट रैडिश (- ये मूली के सबसे सामान्य प्रकारों में से एक है । यह मूली सफेद और लंबी होती है, जो आमतौर पर बाजारों में उपलब्ध होती है। इसका स्वाद थोड़ा तीखा और हल्का मीठा होता है।
    वाइट सिक्ल– ये भी डाइकों मूली की तरह सफेद रंग की होती है, लेकिन लंबाई और आकार में उनसे छोटे और थोड़ी अलग होती है। इसे जब कच्चा खाया जाता है, तब इसका स्वाद सबसे अच्छा होता है। इसे ऐसे कच्चा या सलाद के साथ मिलाकर भी खाया जा सकता है।
    काली या स्पैनिश मूली – काली मूली जिसे स्पैनिश रैडिश भी कहते हैं। अपने नाम की ही तरह इसकी ऊपरी परत काले रंग की होती है, लेकिन इसके अंदर का हिस्सा सफेद होता है। ये आकार में गोल शलजम की तरह होते हैं। इसे न सिर्फ सलाद के साथ बल्कि इसे फ्राई करके भी खाया जा सकता है।
     मूली उन खास चुनिंदा खाद्य पदार्थों में शामिल है, जो न सिर्फ भूख को शांत कर सकती है, बल्कि संपूर्ण स्वास्थ्य का ध्यान भी रख सकती है। सामान्य-सी दिखने वाली यह जड़ विटामिन-सी और फोलेट का अहम स्रोत है। इसके अलावा, मूली कैल्शियम व पोटैशियम से भी समृद्ध होती है जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हो सकते हैं ।
1. हृदय स्वास्थ्य के लिए
      हृदय शरीर का अहम भाग होता है, जिसके स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना जरूरी है। यहां मूली के फायदे देखे जा सकते हैं। दरअसल, एनसीबीआई  की वेबसाइट पर मौजूद एक रिपोर्ट के अनुसार नाइट्रेट जैसे तत्व से युक्त मूली एथेरोस्क्लेरोसिस के खतरे को कम कर सकती है ।
          एथेरोस्क्लेरोसिस एक गंभीर समस्या है, जिसमें आर्टरी वॉल यानी धमनियों के अंदर फैट व कोलेस्ट्रॉल जमने लगता है, जिसे प्लाक कहते हैं। बाद में यह हार्ट अटैक का कारण भी बन सकता है । इसके अलावा, मूली फाइबर जैसे पोषक तत्वों से भी भरपूर होती है, जो स्वस्थ हृदय के लिए जरूरी है
    2. मधुमेह के लिए
     डायबिटीज की समस्या में भी मूली खाने के फायदे देखे जा सकते हैं। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार, मूली एंटी डायबिटिक के रूप में काम कर सकती है। ऐसा इसमें एंटीऑक्सीडेंट और एनर्जी मेटाबॉलिज्म को बेहतर करने, फ्री रेडिकल्स से बचाव करने, ग्लूकोज को नियंत्रित करने और आंत में ग्लूकोज अवशोषण को कम करने की क्षमता के कारण हो सकता है)।
     मधुमेह के लिए सिर्फ मूली ही नहीं, बल्कि उसके पत्ते और मूली के बीज के फायदे भी हो सकते हैं। इसके अलावा, मूली विटामिन-सी का अच्छा स्रोत है और विटामिन-सी मधुमेह के मरीजों के लिए फायदेमंद हो सकता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, विटामिन-सी इंसुलिन की बाधा पर प्रभावी रूप से काम कर सकता है ।हरी सब्जी के तौर पर मूली का सेवन करना उपयोगी हो सकता है।
     3. किडनी स्टोन के लिए
     किडनी में हुई पथरी की समस्या को कम करने के लिए भी मूली सहायक हो सकती है।   मूली कैल्शियम ऑक्सालेट को शरीर से बाहर निकालने का काम कर सकती है। कैल्शियम ऑक्सालेट के कारण ही किडनी में पथरी की समस्या होती है )। किडनी स्टोन से बचाव या उसे कम करने के लिए मूली का सेवन किया जा सकता है । हालांकि, किडनी स्टोन की समस्या से पीड़ित व्यक्तियों के मन में उलझन जरूर रहती है कि उन्हें हाई या लो ऑक्सालेट युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए ? ऐसे में इस दुविधा के लिए व्यक्ति अपने डायटीशियन की सलाह ले सकते हैं।
   4. कैंसर से बचाव के लिए
   कैंसर से अगर कोई पीड़ित है, तो उनके लिए डॉक्टरी चिकित्सा को प्राथमिकता देना जरूरी है। ऐसे में कैंसर से बचाव के लिए मूली का सेवन किया जा सकता है। दरअसल, मूली क्रुसिफेरस परिवार से संबंध रखती है, जिसके कंपाउंड पानी के साथ मिलते ही आइसोथियोसाइनेट – एक प्रकार का केमिकल कंपाउंड में परिवर्तित हो जाते हैं। आइसोथियोसाइनेट में एंटी कैंसर के गुण हैं। आसान शब्दों में समझा जाए, तो मूली में मौजूद एंटी-कैंसर गुण कैंसर के जोखिम को कम करने में सहायक हो सकते हैं
    5. वेट लॉस के लिए मूली के फायदे
 उच्च फाइबर आहार वजन को नियंत्रित करने में, मोटापे और मोटापे से जुड़े जोखिमों को कम करने में सहायक हो सकता है । ऐसे में फाइबर युक्त मूली वजन नियंत्रण करने में सहायक हो सकती है। इसके अलावा, अगर कोई डाइट कर रहा है, तो सलाद में  सामान्य मूली या हॉर्स रैडिश (मूली का एक प्रकार) को शामिल कर सकता है, क्योंकि इसमें कैलोरी कम होती है । दरअसल, मूली में पानी की मात्रा ज्यादा होती है जो शरीर को हाईड्रेट रखने में मदद करता है। साथ ही लो कैलोरी, लो कार्ब और उच्च मात्रा में फाइबर होने के कारण मूली वजन कम करने के लिए उत्तम आहार हो सकती है।
    6. लिवर के लिए
      मूली लिवर के लिए भी लाभदायक हो सकती है। दरअसल, पत्तेदार सब्जियां जिसमें मूली भी शामिल है, उसके सेवन से लिवर से विषैले पदार्थ निकालने में और लिवर डीटॉक्सिफाय करने में मदद मिल सकती है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, स्पेनिश या काली मूली लिवर के लिए फायदेमंद हो सकती है। इस मूली में ग्लूकोसाइनोलेट्स- सल्फर युक्त यौगिक की उच्च मात्रा होती है, दरअसल, मूली लिवर डिटॉक्सिफाई करने में सहायक हो सकती है । इतना ही नहीं, मूली को जॉन्डिस के इलाज के लिए भी घरेलू उपचार के तौर पर उपयोग किया जाता रहा है । वहीं, एक अन्य अध्ययन में, मूली में मौजूद एक बायोएक्टिव रसायन (MTBITC) नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर रोग के इलाज में प्रभावी पाया गया है )। इन सबके साथ ही मूली लिवर कैंसर के जोखिम को भी कम कर सकती है  ।
    7. उच्च रक्तचाप के लिए
    मूली के फायदे में रक्तचाप नियंत्रण भी आता है। मूली कैल्शियम और पोटैशियम जैसे खनिजों से भरपूर होती है और ये पोषक तत्व रक्तचाप को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं । ऐसे में मूली के सेवन से रक्तचाप की समस्या से बचाव हो सकता है। हालांकि,वैज्ञानिक प्रमाण का अभाव है, इसलिए पूरी तरह से इसे हाई ब्लड प्रेशर का इलाज न समझें। वहीं, अगर मूली के पत्तों की बात की जाए, तो चूहों पर किए गए अध्ययन में मूली के पत्तों में एंटीहाइपरटेंसिव प्रभाव सामने आए हैं ।
   8. कब्ज के लिए
फाइबर के साथ जोड़कर अगर देखा जाए, तो मूली कब्ज की समस्या से राहत दिलाने में सहायक हो सकती है। 100 ग्राम मूली में लगभग 1.6 ग्राम तक फाइबर होता है । ऐसे में अगर हर रोज थोड़ी मूली का सेवन किया जाए, तो कब्ज की परेशानी कम हो सकती है।  दरअसल, फाइबर को उन खास पोषक तत्वों में गिना जाता है, जो आंतों को स्वस्थ रखने का काम कर सकता है । फाइबर कब्ज जैसी समस्याओं को कम करने में सहायक हो सकता है । फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ के सेवन से मल नर्म हो सकता है और मल निकासी की प्रक्रिया आसान हो सकती है।
    9. ल्यूकोडर्मा
       त्वचा के लिए भी मूली गुणकारी हो सकती है। ल्यूकोडर्मा एक त्वचा संबंधी समस्या है, जिसमें स्किन सफेद धब्बों का शिकार हो जाती है और अपना प्राकृतिक रंग खो बैठती है। इस बीमारी को विटिलिगो के नाम से भी जाना जाता है । , यहां मूली के बीज के फायदेमंद हो सकते हैं। दरअसल, घरेलू उपचार के तौर पर मूली के बीज के पाउडर को विनेगर के साथ लगाने से ल्यूकोडर्मा की समस्या कम हो सकती है। लेकिन, यह बस एक घरेलू उपचार के आधार पर है, इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद नहीं है। ऐसे में इसका असर अलग-अलग हो सकता है।
10. इम्युनिटी में
     मूली का सेवन रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी सुधार कर सकता है। मूली खाने के फायदे में इम्यून सेल्स में सुधार भी शामिल है । इसके अलावा, मूली विटामिन-सी से भरपूर होती है। एक रिपोर्ट के अनुसार, विटामिन-सी इम्यून सिस्टम को मजबूत करने का काम कर सकता है और सर्दी-जुकाम जैसी समस्याओं से छुटकारा दे सकता है
   11. पाचन के लिए
सलाद में अगर मूली का सेवन भी किया जाए, तो पाचन तंत्र में भी सुधार हो सकता है। मूली लैक्सेटिव की तरह काम कर सकती है, जो पाचन क्रिया में सहायक और पेट संबंधी परेशानियों के लिए उपयोग किया जा सकता है)। सीमित मात्रा में मूली का सेवन पेट के लिए फायदेमंद हो सकता है।
   12. ऑस्टियोअर्थराइटिस
    ऑस्टियोअर्थराइटिस गठिया का एक प्रकार है, जो कूल्हे, घुटने, गर्दन व पीठ के निचले हिस्से या हाथों के जोड़ों को अपना निशाना बनाता है । इससे निजात पाने के लिए मूली का सेवन कर सकते हैं। दरअसल, मूली में विटामिन-के होता है), जो कार्टिलेज (मुलायम टिशू जो टखनों, कोहनी व घुटनों समेत शरीर के कई हिस्सों में पाया जाता है) मेटाबॉलिज्म के लिए लाभदायक हो सकता है। यह कोशिकाओं के विकास को बढ़ावा देता है और इनके प्रसार में मदद कर सकता है ।
    13. त्वचा के लिए
     मूली त्वचा के लिए भी फायदेमंद हो सकती है। हालांकि, इस विषय में तो कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है, लेकिन इसमें विटामिन-सी की अधिकता होती है , जो त्वचा के लिए एक कारगर एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम कर सकता है।  यह त्वचा के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण पोषक तत्वों में से एक है । विटामिन स्किन में कोलेजन को बढ़ाने का काम कर सकता है। साथ ही यह त्वचा में निखार ला सकता है, सूर्य की हानिकारक किरणों से बचाव और एजिंग के प्रभाव को कम करने का काम कर सकता है। इस आधार पर मूली को त्वचा के लिए लाभकारी माना जा सकता है।
     14. बालों के लिए
मूली बालों के लिए भी लाभकारी हो सकता है। मूली का हेयर मास्क या पेस्ट लगाने से बाल स्वस्थ, मजबूत और घने हो सकते हैं। हालांकि, ये लोगों के अनुभवों के आधार पर है, इसलिए इसका असर अलग-अलग लोगों पर अलग-अलग हो सकता है।
    मूली के पौष्टिक तत्व –
पोषक तत्व  --मात्रा प्रति 100 ग्राम
पानी 95.27 ग्राम
एनर्जी 16 केसीएल
प्रोटीन 0.68 ग्राम
टोटल लिपिड (फैट) 0.1 ग्राम
ऐश 0.55 ग्राम
कार्बोहायड्रेट, बाय डिफरेंस 3.4 ग्राम
फाइबर, टोटल डायटरी 1.6 ग्राम
शुगर, टोटल इन्क्लूडिंग एनएलइए 1.86 ग्राम
कैल्शियम 25 मिलीग्राम
आयरन 0.34 मिलीग्राम
मैग्नीशियम 10 मिलीग्राम
फास्फोरस 20 मिलीग्राम
पोटैशियम 233 मिलीग्राम
सोडियम 39 मिलीग्राम
जिंक 0.28 मिलीग्राम
कॉपर 0.05 मिलीग्राम
मैंगनीज 0.069 मिलीग्राम
सेलेनियम 0.6 माइक्रोग्राम
फ्लोराइड 6 माइक्रोग्राम
विटामिन सी 14.8 मिलीग्राम
थियामिन 0.012 मिलीग्राम
राइबोफ्लेविन 0.039 मिलीग्राम
नियासिन 0.254 मिलीग्राम
पैंटोथेनिक एसिड 0.165 मिलीग्राम
विटामिन-बी6 0.071 मिलीग्राम
फोलेट, टोटल 25 माइक्रोग्राम
कॉलिन, टोटल 6.5 मिलीग्राम
कैरोटीन, बीटा 4 माइक्रोग्राम
विटामिन ए IU 7 IU
ल्यूटिन + जियाजैंथिन 10 माइक्रोग्राम
विटामिन-के (फाइलोक्विनोन) 1.3 माइक्रोग्राम
फैटी एसिड, कुल सैचुरेटेड 0.032 ग्राम
फैटी एसिड, कुल मोनोअनसैचुरेटेड 0.017 ग्राम
फैटी एसिड, कुल पॉलीअनसैचुरेटेड 0.048  ग्राम
  मूली का उपयोग –
भोजन के साथ मूली को कच्चा यानी सलाद के रूप में खा सकते हैं।
अन्य हरी सब्जियों के साथ मूली की सब्जी बनाकर खा सकते हैं।
मूली का अचार बना सकते हैं।
मूली का सूप बनाकर भी पी सकते हैं।
मूली की पत्तियों का साग बनाकर भी खा सकते हैं।
मूली का चिप्स भी बना सकते हैं।
     सुरक्षित रखने का तरीका।
हमेशा ताजी और हरी पत्तियों वाली मूली का ही चयन करें।
वो मूली लें जिसपर ज्यादा दाग या कटे निशान न हो।
मूली को हल्का दबाकर भी मूली के ताजा होने का पता लगा सकते हैं।
ध्यान रहे मूली सूखे हुए और गले हुए न हो।
मूली को सुरक्षित रखने का तरीका
मूली के पत्तों को अलग निकालकर रख दें।
मूली की पत्तियां भी पौष्टिक होती हैं और उनका साग बनाकर सेवन किया जा सकता है।
मूलियों को अच्छे से धो लें और फिर उसके पानी को हल्का सूखने दें।
फिर किसी साफ कपड़े को धो लें।
फिर उसका पूरा पानी निचोड़ दें।
उसके बाद उस कपड़े से मूलियों को लपेट दें और फ्रिज में रख दें।
ऐसा करने से मूली सूखेंगी नहीं और कुछ दिनों तक ताजा रह सकती हैं।
ध्यान रहे मूलियों को प्लास्टिक में न रखें, ऐसा करने से मूली जल्दी खराब हो सकती हैं।
   मूली का जूस बनाने की विधि
   सामग्री :
   एक मूली
   एक गिलास पानी
   जरूरत अनुसार काला नमक
   बनाने की विधि :
   पहले मूली को अच्छे से छील लें।
    फिर मूली को अच्छे से धो लें।
   उसके बाद मूली के छोटे-छोटे टुकड़े कर लें।
    अब मिक्सी में मूली, पानी और आवश्यकता अनुसार काला नमक डाल कर पीस लें।
     फिर इसे एक गिलास में छानकर निकाल लें।
     चाहें तो काला नमक मूली का जूस बनाने के बाद भी डाल सकते हैं।
     टेस्ट के लिए इसमें नींबू का रस भी मिला सकते हैं।
     मूली के नुकसान –
मूली एक गुणकारी सब्जी है, जो विभिन्न समस्याओं से निजात दिलाने का काम कर सकती है। वहीं, मूली के फायदे और नुकसान दोनों है, इसका अत्यधिक सेवन शरीर को नुकसान भी पहुंचा सकता है।
       पत्तेदार सब्जियां जैसे मूली में गोइट्रोजेनिक पदार्थ होते हैं, जो थायराइड हार्मोन के उत्पादन में बाधा डाल सकते हैं। अध्ययनों के अनुसार, अधिक मूली के सेवन से थायराइड हार्मोन का स्तर असंतुलित हो सकता है । थायराइड की समस्या (विशेषकर हाइपोथायरायडिज्म) वाले व्यक्तियों को मूली और अन्य क्रूसिफेरस सब्जियों का सेवन सीमित करना चाहिए।
       मूली रक्त में शर्करा के स्तर को कम कर सकती है। इसमें हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव होते  है । ऐसे में जो लोग डायबिटीज की दवा ले रहे हैं वो मूली के सेवन से पहले एक बार डॉक्टर से सलाह कर लें। ऐसे तो सीमित मात्रा में मूली का सेवन फायदेमंद ही होता है, लेकिन हो सकता है मूली के अत्यधिक सेवन से रक्त शर्करा का स्तर बहुत कम हो जाए।
      मूली में लैक्सेटिव गुण मौजूद होते हैं, इसलिए अत्यधिक मूली के सेवन से पेट खराब की समस्या हो सकती है । लेकिन, सावधानी के तौर पर जिनका पेट संवेदनशील है, वो मूली का सेवन विशेषज्ञ की सलाह से ही करें।मूली का सेवन एक औषधि की तरह कर सकता है
     मूली का ऊपरी हिस्सा तो नहीं, बल्कि मूली के पत्तों का साग बनाकर सेवन जरूर किया जा सकता है।
     सलाद में सफेद मूली को कच्चा खाया जा सकता है। साथ ही सूप, जूस या सैंडविच में भी डालकर सेवन किया जा सकता है।
    मूली में कैलोरी कम होती है और इसे कीटो आहार में शामिल किया जा सकता है।
, मूली खाने से गैस की शिकायत हो सकती है  इसलिए, जिनको अक्सर गैस की समस्या रहती हो या जिनका पेट संवेदनशील है, वो मूली के सेवन से पहले एक बार डॉक्टरी सलाह जरूर लें।
   डायबिटीज में मूली के बीज का सेवन लाभकारी हो सकता है (6)।
    कई लोग मूली के जूस का भी सेवन करते हैं। जैसे मूली के सेवन से डायबिटीज और लिवर को ठीक रखा जा सकता है, वैसे ही मूली का जूस भी फायदेमंद हो सकता है। मूली के जूस में एंटीऑक्सीडेंट गुण भी पाया गया है, जो व्यक्ति को स्वस्थ रखने में सहायक हो सकता है । फिलहाल, इस बारे में और ठोस प्रमाण की आवश्यकता है।
     मूली गैस पैदा करने वाले सब्जियों में से एक है । ऐसे में रात को मूली खाकर सोने से पाचन या गैस की परेशानी हो सकती है। तो रात को मूली खाने के फायदे के बजाय नुकसान हो सकता है।  यह व्यक्ति के स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार अलग-अलग असर कर सकता है।
       ज्यादातर लोग कच्ची मूली का ही सेवन सलाद में करते हैं, क्योंकि ये मूली के सेवन के आसान तरीकों में से एक है। ऐसे में लोगों का मानना है कि कच्ची मूली खाने के फायदे लोगों के अनुभवों पर हैं।
   प्रयोज्य अंग --मूल ,बीज
   मात्रा --स्वरस  २० मिलीलीटर से ४० मिलीलीटर ,शुष्क मूलक क्वाथ ५० मिलीमीटर से १०० मिलीमीटर  बीज चूर्ण --१०ग्राम से ३० ग्राम तक
  योग -- शुष्कमूलयाध्य घृत ,शुष्क मूल्घ्य तेल
(विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन)

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