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सुदर्शनऔषधि---- ईश्वर का वरदान है  

सुदर्शनऔषधि---- ईश्वर का वरदान है  

        सुदर्शन के फूल के औषधीय गुणों के आधार पर आयुर्वेद में रोगों के उपचार के तौर पर सुदर्शन का प्रयोग किया जाता है। सुदर्शन कानदर्द, जोड़ों का दर्द, बवासीर जैसे बीमारियों के लिए फायदेमंद सिद्ध होता है।
    सुदर्शना सोमवल्ली चक्रांगी मधुपर्णिका .वत्सादनी च दध्याली मेचका मेचका तथा .दध्याली सवदुतिक्तोष्णा कफशोफस्रावतजिता (कै.नि .)
    गुण --रुक्ष ,तीष्ण  रस --मधुर विपाक ---मधुर ,वीर्य --उष्ण
         सुदर्शन क्या होता है?
      सुदर्शन अण्डाकार शल्क कंद (bulb) वाला शाकीय पौधा होता है। इसके फूल विभिन्न आकार के, सुगन्धित तथा सफेद रंग के होते हैं। इसका कंद बड़ा, 12.5-15 सेमी व्यास (डाइमीटर) का तथा गोलाकार होता है। यह मई से जून महीने के बीच फलता और फूलता है।
     सुदर्शन मीठा, कड़वा, तीखा, हजम करने में भारी और गर्म तासीर का होता है। सुदर्शन वात और कफ कम करने में सहायक होता है तथा इसका कंद जोड़ो का दर्द  कम करने में लाभकारी होता है।
     सुदर्शन का वानास्पतिक नाम Crinum latifolium Linn. (क्राइनम् लैटिफोलियम) सुदर्शन
         Amaryllidaceae (ऐमेरिलिडेसी) कूल का है।
      सुदर्शन को अंग्रेजी में Wild leaved crinum (वाईल्ड लीव्ड् क्राईनम) कहते हैं,
    संस्कृत में -सुदर्शन, चक्रांगी, सुदर्शना, चक्राह्वा, मधुपर्णिका;
    हिंदी में -सुदर्शन, सुखदर्शन;
    इंग्लिश में -पॉयजन बल्ब       पादप रसायन:
    क्रिनामिन, लाइकोरिसिडाइन, हैमायने (बुलबिस्पर्मिन, डेमिथाइलक्रिनामिन), आइसोक्रागसोडाइन, पामिलीकोरिन, लाइकोरिसाइड, एम्बेलिन, क्रिनासैटिन, हिप्पडीन, बेकनिन, प्रेटोरिमाइन, क्रिनाइन, पॉवेलिन, अनगेरेमाइन, क्रिएबेटाइन, क्रायस्बेटाइन, क्रिनासियाडाइन, क्रिनासियाडाइन, क्रिनासियाडाइन। लाइकोरिन और संबंधित फेनेंथ्रिडिन एल्कलॉइड। जड़ में एल्कलॉइड नार्सिसिन (लाइकोरिन) होता है और बल्ब में लिग्नानोफेनेंथ्रिडिन एल्कलॉइड - क्रिनासिटाइन और क्रिनासिडाडाइन होता है।
     सुदर्शन के फायदे
    सुदर्शन ऐसा जड़ी बूटी है जो कई तरह के रोगों के लिए फायदेमंद सिद्ध होता है।
     कान दर्द
     अगर दांत दर्द के कारण या ठंडे लगने के वजह से कान में दर्द हो रहा है तो 1-2 बूंद सुदर्शन के पत्ते के रस को कान में डालने से कान का दर्द कम हो जाता है।
   बवासीर में
 बवासीर के दर्दनाक कष्ट से आराम दिलाने में सुदर्शन काम आता है।   सुदर्शन के शल्क कंद को पीसकर अर्श या बवासीर के मस्सों में लेप करने से लाभ होता है। और जोड़ो पर लेप करने से आमवात के दर्द से राहत दिलाने में मदद करती है।
     सफेद पानी निकलने की परेशानी
     बहुत सारे महिलाओं को सफेद पानी निकलने की समस्या होती है, जिससे कमजोरी भी होती है। ऐसे में सुदर्शन का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। सुदर्शन के तने को दूध में पीसकर मात्रानुसार सेवन करने से सफेद पानी निकलने के कारण जो दर्द होता है उससे आराम दिलाने में मदद करता है।
     जोड़ों का दर्द कम करता है
    गठिया रोग में सुदर्शन का उपयोग फायदेमंद होता है क्योंकि इसमें एंटी इंफ्लेमेटरी का गुण पाया जाता है। इसके उपयोग से जोड़ों की सूजन कम होती है और गठिया के लक्षणों में कमी आती है।
सुदर्शन की जड़ को पीसकर संधियों यानि जोड़ो पर लगाने से संधिवात का दर्द कम होता है तथा सूजन पर लगाने से सूजन कम होती है।
     -सन्धिवात यानि जोड़ो के दर्द तथा वेदनायुक्त रोगों में सुदर्शन की पत्तियों से स्वेदन करने से या पत्तों को पीसकर गुनगुना कर लेप करने से लाभ होता है।
      चर्म रोग एवं कुष्ठ
     आयुर्वेद के अनुसार सुदर्शन का पौधा चर्म रोगों में फायदेमंद है। चर्म रोग होने पर सुदर्शन की पत्तियों का रस प्रभावित जगह पर लगाने से जल्दी लाभ मिलता है।
      कुष्ठ का घाव सुखाने में सुदर्शन बहुत फायदेमंद साबित होता है। समान मात्रा में चक्रमर्द बीज तथा जीरे में सुदर्शन का जड़ मिला कर पीस कर लेप करने से दद्रु (खुजली) तथा कुष्ठ में लाभ मिलता है।
    बुखार
    सुदर्शन को आयुर्वेद के बहुत से ज्वरनाशक योगों में एक मुख्य घटक के रूप में उपयोग किया जाता है। इ
   फोड़ा सुखाने में सुदर्शन बहुत गुणकारी होता है।  भूने हुए शल्क कन्दों को पीसकर फोड़ों पर लेप करने से लाभ होता है। सुदर्शन के गुण फोड़ा को जल्दी सुखाने में मदद करता है।
      विद्रधि या घाव में
     अगर पुराना घाव नहीं सूख रहा है तो सुदर्शन के कंद को पीसकर विद्रधि (घाव) पर लगाने से विद्रधि ठीक होता है।
    त्वचा संबंधी बीमारियों
    सुदर्शन के पत्ते के रस से सिद्ध तेल को लगाने से त्वचा संबंधी रोगो से छुटकारा मिलती है।
     सुदर्शन के उपयोगी भाग
    आयुर्वेद में सुदर्शन के पत्ते तथा शल्ककन्द का प्रयोग औषधि के लिए किया जाता है।
     सुदर्शन का सेवन
     सुदर्शन के पत्ते के रस का 1-2 बूंद सेवन कर सकते हैं।
    कंद चूर्ण ---५०० मिलीग्राम  से १ग्राम
   औधषि ---सुदर्शन चूर्ण
 
(विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन )

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