नई दिल्ली । उत्तर-पूर्वी दिल्ली में पिछले साल फरवरी में हुए दंगे को हाईकोर्ट ने सोची समझी साजिश बताया। अदालत ने सोमवार को कहा कि यह हिंसा किसी घटना की प्रतिक्रिया में नहीं भड़की बल्कि इसे साजिशन अंजाम दिया गया। हिंसा के दौरान दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतनलाल की हत्या और अन्य अफसरों पर हमले के आरोपी लोगों की जमानत याचिका पर फैसला सुनाते हुए अदालत ने यह टिप्पणी की। जस्टिस एस. प्रसाद ने अपने फैसले में कहा कि ‘पुलिस ने हिंसा की जो वीडियो फुटेज पेश की है, उनमें प्रदर्शनकारियों का आचरण स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि यह सरकार के साथ-साथ शहर में लोगों के सामान्य जीवन को बाधित करने के लिए सुनियोजित ढंग से किया गया दंगा था। दंगाइयों द्वारा सीसीटीवी कैमरे तोड़ देना साबित करता है कि राजधानी में कानून व्यवस्था खराब करने के लिए योजना पहले से बनाई गई थी। हाईकोर्ट ने हेड कांस्टेबल रतन लाल की हत्या के मामले में आरोपी मोहम्मद इब्राहिम को जमानत देने से इनकार कर दिया। हालांकि, एक आरोपी मोहम्मद सलीम खान को राहत देते हुए जमानत दे दी। इब्राहिम की जमानत याचिका खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता को तलवार के साथ दिखाने वाला उपलब्ध वीडियो फुटेज काफी भयानक था और उसे हिरासत में रखने के लिए पर्याप्त है
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दिल्ली में पिछले साल हुए दंगे सोची-समझी साजिश के तहत हुए : हाईकोर्ट