नई दिल्ली । दिल्ली हाईकोर्ट ने ओयो और जो रूम्स मामले की सुनवाई को 7 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया। हाईकोर्ट ने रूम्स को इस मामले में अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। जो रूम्स की तरफ से एडवोकेट अमित सिब्बल ने कंपनी का पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि जो रूम्स का इरादा ओयो के इनीशियल पब्लिक ऑफर (आईपीओ) को रोकना नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया कि अगली सुनवाई तक ओयो में कंपनी के शेयर को सुरक्षित रखे जाएं।
दोनों कंपनियों के बीच का यह मामला 2015 में शुरू हुआ था, जब जो रूम्स और ओयो के बीच मर्जर की बातचीत विफल होने के जो रूम्स बंद हो गई। अगर यह डील सफल रहती तो जो रूम्स को ओयो में 7 पर्सेंट हिस्सेदारी मिलती। बता दें कि जो रूम्स, जॉस्टल हॉस्पिटैलिटी के स्वामित्व वाली एक बजट एकोमोडेशन चेन है। सिब्बल ने जस्टिस सी हरिशंकर से आग्रह किया इस 7 फीसदी हिस्सेदारी को 7 अक्टूबर तक अलग रखने का आदेश दिया जाएगा क्योंकि ओयो जल्द ही आईपीओ के लिए कागजात जमा कराने वाली है।
सिब्बल ने कहा ओयो ने रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज को सौंपे दस्तावेज में कहा है कि उसकी आईपीओ लाने का इरादा है और उसने खुद को एक प्राइवेट कंपनी से पब्लिक कंपनी में बदल लिया है। ऐसे में अब वह आईपीओ लाते हैं, तो यह शेयर हमें अलॉटमेंट के लिए उपलब्ध नहीं रहेगें। ऐसे में हमारा आग्रह है कि इन शेयरों को अगली सुनवाई तक सुरक्षित रखने का आदेश दिया जाए, ताकि अगर हम यह मामला जीतते हैं तो हमें यह शेयर मिल सकें।
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ओयो के आईपीओ को रोकने का इरादा नहीं, बस अपना हिस्सा सुरक्षित रखना चाहते हैं: जो रूम्स