नई दिल्ली । दिल्ली में अगले वर्ष नगर निगम चुनाव के मद्देनजर भाजपा शासित दक्षिण दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) ने व्यापारियों को राहत देते हुए वाणिज्यिक रूप से किराए पर दिए गए प्रतिष्ठानों के लिए संपत्ति कर की बढ़ोतरी को वापस ले लिया है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। एसडीएमसी के इस निर्णय से व्यापारियों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों से जुड़े लोगों को फायदा होगा, जिन्हें भाजपा का पारंपरिक वोट बैंक माना जाता हैं।
अधिकारियों के अनुसार निगम मूल्यांकन समिति-3 (एमवीसी-3) की पिछले वर्ष अप्रैल में लागू सिफारिशों के आधार पर किराए वाली व्यावसायिक संपत्तियों पर संपत्ति कर बढ़ाने का निर्णय किया गया था, जिसे अब वापस ले लिया गया है। एमवीसी-3 ने दरअसल किराए के वाणिज्यिक परिसरों, दूरसंचार टावरों, खाली व्यावसायिक भूमि, खाली उद्योगों, विवाह हॉल, भोज, शैक्षणिक संस्थानों, मनोरंजन और मनोरंजन सुविधाओं पर संपत्ति कर को लगभग दोगुना करने की सिफारिश की थी। ये सिफारिशें अप्रैल, 2020 में लागू की गई थीं लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण देशभर में लगाए गए लॉकडाउन की वजह से इसे जुलाई, 2020 में मंजूरी दी गई थी।
एसडीएमसी के अधिकारियों के अनुसार कर वृद्धि को वापस लेने के निर्णय से व्यापारियों और व्यापारिक समुदाय को लाभ होगा लेकिन पहले से ही धन की कमी का सामना कर रहे एसडीएमसी के खजाने को नुकसान होगा। एसडीएमसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा इस कदम से नगर निकाय को प्रति वर्ष 70-80 करोड़ रुपए का नुकसान होगा। एसडीएमसी क्षेत्राधिकार में लगभग ऐसी 9,000 वाणिज्यिक संपत्तियां हैं, जिन्हें किराए पर दिया गया है। इनसे हम अच्छे राजस्व सृजन की उम्मीद कर रहे थे। वही एसडीएमसी की स्थाई समिति के अध्यक्ष बीके ओबेरॉय ने कहा कि यह निर्णय जनहित में लिया गया है और इससे बड़ी संख्या में व्यापारियों को लाभ होगा।
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एसडीएमसी ने किराए पर दी वाणिज्यिक संपत्तियों पर कर वृद्धि के प्रस्ताव को वापस लिया