नई दिल्ली । देश में निर्यात के लिए सबसे अहम कंटेनरों की किल्लत तमाम सरकारी प्रयासों के बाद भी सुलझती नजर नहीं आ रही है। कारोबारियों के मुताबिक सरकारी प्रयासों से हालात बदले जरूर हैं लेकिन मुश्किल अभी भी बनी हुई है। उन्होंने कहा कि भले ही सरकार ने इस दिशा में कंटेनर के निर्यात की अवधि को लेकर ढील दी हो और कस्टम के साथ बंदरगाहों पर फंसे कंटेनरों को छोड़ने के प्रयास हों, इस सब से कारोबारियों की व्यापक मदद नहीं हो पा रही है। उन्होंने बताया कि कोलकाता बंदरगाह समेत कुछ और जगहों पर खाली कंटेनरों के निर्यात पर रोक लगाई गई है। साथ ही कारोबारी अब अपने स्तर से भी इन मुश्किलों के वैकल्पिक हल तलाशने के काम में लगे हैं। कारोबारी ऐसे विकल्प भी देख रहे हैं कि बहुत जरूरी हो तो ही निर्यात के लिए कंटेनर का इस्तेमाल हो वरना बिना इनके ही सामान विदेश भेजा जाए। कारोबारियों की बड़ी चिंता अमेरिकी और यूरोपीय बाजारों में क्रिसमस और नए साल के लिहाज से होने वाले निर्यात के दौरान कंटेनरों की व्यापक उपलब्धता है। साथ ही वो ये भी चाहते हैं कि सरकार उन्हें कंटेनरों की महंगे किराए से भी बचाए। या फिर कुछ इंसेंटिव दे ताकि विदेश में व्यापार करना घाटे का सौदा न बने। केंद्र सरकार ने पिछले ही हफ्ते घरेलू बंदरगाहों पर पड़े आयातित कंटेनरों के फिर से निर्यात की समयसीमा को और तीन महीने के लिए बढ़ाने का फैसला किया था। मौजूदा समय में अगले छह महीनों के दौरान फिर से निर्यात की शर्त के साथ कंटेनरों के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति है।
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देश में निर्यात के लिए कंटेनरों की किल्लत