कोलंबो । भारत ने चीनी ड्रैगन को बड़ा झटका देते हुए श्रीलंका में 70 करोड़ डॉलर का एक रणनीतिक डीप सी कंटेनर टर्मिनल का समझौता किया। माना जा रहा है कि भारत ने श्रीलंका में चीन के बढ़ते प्रभाव को करारा जवाब देने के लिए यह समझौता किया है। द श्रीलंका पोर्ट्स अथॉरिटी और भारत के अडाणी समूह ने यह बड़ा समझौता किया है। यह नया पोर्ट कोलंबो में चीन के बनाए 50 करोड़ डॉलर के चीनी जेटी के पास है। द श्रीलंका पोर्ट्स ने एक बयान जारी करके कहा कि यह समझौता करीब 70 करोड़ डॉलर का है जो श्रीलंका के बंदरगाह सेक्टर में अब तक का सबसे बड़ा विदेशी निवेश है। इसमें कहा गया है कि अडाणी इस बंदरगाह को स्थानीय कंपनी जॉन कील्स के साथ मिलकर बनाएगी। इस टर्मिनल में जॉन कील्स का हिस्सा करीब 34 फीसदी होगा जबकि अडाणी के पास 51 फीसदी की हिस्सेदारी होगी। इस तरह से पूरा पोर्ट अडाणी के नियंत्रण में रहेगा। इसका नाम कोलंबो वेस्ट इंटरनैशनल टर्मिनल रखा गया है। यह नया कंटेनर जेटी करीब 1.4 किलोमीटर लंबा है। यह करीब 20 मीटर गहरा है और यह हर साल 32 लाख कंटेनर हैंडल करेगा।
इस प्रॉजेक्ट के पहले चरण में 600 मीटर टर्मिनल बनाया जाएगा और यह दो साल के अंदर पूरा हो जाएगा। करीब 35 साल बाद यह टर्मिनल फिर से श्रीलंका सरकार के अंडर में चला जाएगा। श्रीलंका के रणनीतिक रूप से बेहद अहम कोलंबो बंदरगाह में भारत को अनुमति देने की पिछले कई साल से चल रही थी लेकिन फरवरी में यह समझौता लटक गया। दरअसल, सत्तारूढ़ गठबंधन से जुड़े ट्रेड यूनियन ने भारत को पोर्ट के अंदर आंशिक रूप से बने टर्मिनल को देने का विरोध किया था। श्रीलंका ने पिछले दिनों देश की बिगड़ती अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए चीन से फिर 2.2 बिलियन डॉलर का नया कर्ज मांगा था। श्रीलंका पर चीन का पहले से ही अरबों डॉलर का कर्ज है। इसके एवज में उसे अपना हंबनटोटा बंदरगाह को 99 साल की लीज पर चीन को सौंपना पड़ा है।
इकॉनमी
कोलंबो पोर्ट पर टर्मिनल बनाएगा अडाणी ग्रुप