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कमेटी का गठन फिर भी फंसा पेच

कमेटी का गठन फिर भी फंसा पेच

नई दिल्ली ।  पंजाब कांग्रेस में जारी कलह के मद्देनजर नवजोत सिंह सिद्धू और मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के बीच मुलाकात से ऐसा लग रहा है कि अब बात बन गई है और सुलह का रास्ता साफ हो गया है। नवजोत सिंह सिद्धू और चन्नी के बीच बैठक के बाद कैबिनेट मंत्री परगट सिंह ने कहा है कि पार्टी में सब कुछ ठीक है। दरअसल, पंजाब के मुख्यमंत्री ने नवजोत सिंह सिद्धू को गुरुवार को दोपहर में बातचीत करने के लिए बुलाया था। पंजाब भवन में करीब तीन घंटे तक दोनों नेताओं के बीच मंथन हुआ, जिसमें परगट सिंह, पवन गोयल, कुलजीत नागरा और हरिश चौधरी भी शामिल थे। नवजोत सिंह सिद्धू और चरणजीत सिंह के बीच चली बैठक के बाद परगट सिंह ने मीडिया से कहा कि सब ठीक है। हालांकि, अन्य सभी नेताओं ने बैठक को लेकर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। बता दें कि इस मंथन से यह बात निकल कर सामने आई कि सिद्धू अपने पद पर बने रहेंगे और पार्टी एक समन्वय समिति का गठन कर सकती है, जिसके साथ पंजाब सरकार द्वारा भविष्य में लिए जाने वाले बड़े फैसलों पर विचार-विमर्श किए जाने की संभावना है। सूत्रों ने बताया कि इस समिति में मुख्यमंत्री, सिद्धू और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) का एक प्रतिनिधि शामिल हो सकता है। सूत्रों ने बताया कि एआईसीसी इस बाबत घोषणा कर सकती है। हालांकि, इस बारे में अब तक तस्वीर साफ नहीं हो सकी है कि डीजीपी और महाधिवक्ता की नियुक्ति को लेकर उभरे मतभेद से कैसे निपटा जाएगा? गौरतलब है कि 'दागदार' अधिकारियों और मंत्रियों की नियुक्ति पर मतभेद को लेकर मंगलवार को सिद्धू ने कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। सिद्धू ने बुधवार को एक वीडियो जारी कर सार्वजनिक तौर पर अपना गुस्सा जाहिर किया था। सूत्रों ने बताया कि चन्नी और सिद्धू के अलावा बैठक में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय पर्यवेक्षक हरीश रावत, मंत्री परगट सिंह और पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष कुलजीत नागरा भी मौजूद रहे। पंजाब भवन में बैठक को लेकर फिलहाल कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं हुआ है। पंजाब भवन से चन्नी शाम करीब छह बजे जबकि सिद्धू उसके आधे घंटे बाद बाहर निकले। पार्टी के किसी भी नेता ने बैठक में क्या हुआ इस पर मीडिया से बात नहीं की। इससे पहले आज दिन में सिद्धू मुख्यमंत्री चन्नी से मिलने के लिए पटियाला से चंडीगढ़ आए। चन्नी ने बुधवार को सिद्धू से बात करके समस्याओं को बातचीत के जरिए सुलझाने की पेशकश की थी।
चन्नी के साथ मुलाकात से पहले कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने बृहस्पतिवार को राज्य के नए पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि डीजीपी ने बेअदबी मामले में दो युवा सिखों को फंसा दिया और बादल परिवार के लोगों को क्लीन चिट दे दी। चन्नी सरकार में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी इकबाल प्रीत सिंह सहोता को पंजाब पुलिस के महानिदेशक का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। सहोता को प्रभार दिए जाने से नाराज सिद्धू ने कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। सहोता फरीदकोट में गुरु ग्रन्थ साहिब की बेअदबी की घटनाओं की जांच के लिए तत्कालीन अकाली सरकार द्वारा 2015 में गठित एक विशेष जांच दल के प्रमुख थे। उधर, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने बृहस्पतिवार को अपनी नयी राजनीतिक पारी शुरू करने का स्पष्ट संकेत देते हुए कहा कि वह अब कांग्रेस में नहीं रहेंगे और पार्टी से इस्तीफा दे देंगे क्योंकि ऐसे दल में वह नहीं रह सकते जहां उन्हें अपमानित किया जाए और उन पर विश्वास न किया जाए। साथ ही, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह भाजपा में शामिल नहीं होंगे। इस घोषणा के बाद पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने ट्विटर हैंडल के परिचय से कांग्रेस का उल्लेख भी हटा दिया। इस बीच, पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने बृहस्पतिवार को कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री के अधिकार को बार-बार कम करने के प्रयासों को अब खत्म किया जाना चाहिए। उनकी यह टिप्पणी नवजोत सिंह सिद्धू की उस घोषणा के बाद आई है कि वह बातचीत के लिए यहां मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी से मुलाकात करेंगे।  जाखड़ ने यह भी कहा कि राज्य के महाधिवक्ता और राज्य पुलिस प्रमुख के चयन पर लगाए जा रहे “आक्षेप” वास्तव में मुख्यमंत्री की “ईमानदारी पर सवाल” उठा रहे हैं।
 

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