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डेल्टा वैंरियंट पर असरदार नहीं चीनी वैक्सीन, इसकारण कई देश नहीं ले रहे चीनी वैक्सीन 

डेल्टा वैंरियंट पर असरदार नहीं चीनी वैक्सीन, इसकारण कई देश नहीं ले रहे चीनी वैक्सीन 

वॉशिंगटन । कोरोना की जंग में वैक्‍सीन को अब तक के सबसे बड़े हथियार के रूप में देखा जा रहा है।इसका कारण है क‍ि ज्‍यादातर देश वैक्‍सीन को प्राथमिकता दे रहे हैं। सभी देशों को वैक्‍सीन उपलब्‍ध कराने के लिए भारत की तरह ही चीन ने भी कोरोना वैक्‍सीन भेजी थी।कई देश थे, जहां सिर्फ सिनोवैक बायोटेक लिमिटेड की बनी चीनी वैक्‍सीन ही पहुंची थी,जिसके सहारे ही टीकाकरण अभियान चलाया गया था। हालांकि कोरोना के डेल्‍टा वेरिएंट पर चीन की वैक्‍सीन का असर अब बेअसर होता दिखाई पड़ रहा है।यही कारण है कि अब चीन की वैक्‍सीन के बजाय अमेरिका और यूरोपीय देशों की वैक्‍सीन खरीदने की होड़ लग गई है। इसका असर अब चीन के कस्टम डेटा पर साफ दिख रहा है। बता दें कि चीन ने जुलाई के महीने में जहां 2.48 अरब डॉलर की वैक्सीन निर्यात की थी, वहीं यह अगस्त में 21 फीसदी घटकर सिर्फ 1.96 अरब डॉलर रह गया। 
चीनी वैक्‍सीन से हाथ खींचने के बड़ा कारण ये है कि फाइजर और मॉडर्ना की बनाई कोरोना वैक्‍सीन पहले सिर्फ अमीर देशों में ही लगाई जा रही थी लेकिन अब इस एशिया, लातिन अमेरिका और मिडिल ईस्ट में भी निर्यात किया जा रहा है।इस बारे में जानकार कहते हैं कि मेडिकल प्रैक्टिशनर्स के अलावा अब आम जनता भी जागरूक हुई है। आम लोगों को भी इस बात की खबर है कि कौन सी वैक्‍सीन बेहतर है और कौन सी नहीं।उन्‍हें इस की जानकारी है कि सुरक्षा के मामले में हर वैक्‍सीन एक जैसी नहीं है। 
कोरोना के डेल्‍टा वेरिएंट में चीनी वैक्‍सीन बिल्‍कुल भी असरदार साबित नहीं होती है।इसकारण है कि अब चीन की कोरोना वैक्‍सीन पर सवाल उठने लगे हैं। थाइलैंड पहला ऐसा देश था, जिसने सिनोवैक वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके लोगों को भी एस्ट्राजेनेका की खुराक देने का ऐलान किया। थाइलैंड में कोरोना वैक्‍सीन पर किए गए शोध में पता चला है कि अमेरिकी या यूरोपीय वैक्सीन, चीनी की कोरोना वैक्सीन की तुलना में ज्यादा असरदार हैं। 
 

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