नई दिल्ली । मिठास और हमारे ब्रेन का आपस में गहरा संबंध है। ताजा शोधों में यह माना गया है कि मीठी चीजें हमें कुछ देर के लिए तनाव से दूर ले जा सकती हैं। लेकिन ये हमारी मेंटल हेल्थ पर दूरगामी बुरा प्रभाव डाल सकती हैं। अगर आप अधिक मात्रा में चीनी का सेवन करें तो मूड डिसऑर्डर की संभावना बढ़ सकती है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ ने 2019 के एक शोध में पाया गया कि संतृप्त वसा और अतिरिक्त मिठास अगर नियमित रूप से खायी जाए तो 60 वर्ष से अधिक उम्र के वयस्कों में एंग्जायटी की समस्या आ सकती है।
जब शोधों में अवसाद और चीनी में उच्च आहार के आपसी संबंधों को ढूंढा गया तो पाया गया कि चीनी का अधिक सेवन दिमाग के कुछ रसायनों में असंतुलन को ट्रिगर करता है जिस वजह से असंतुलन अवसाद हो सकता है। यह अवसाद कुछ लोगों में मानसिक स्वास्थ्य विकार के खतरे को बढा भी सकता है। एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि जो लोग अधिक मात्रा में चीनी का सेवन करते हैं उनमें अगले 5 साल के भीतर क्लिनिकल डिप्रेशन होने की संभावना 23 प्रतिशत अधिक बढ़ सकती है।दरअसल जब हम मीठी चीजें खाते हैं तो ये दिमाग में हाइपोथैलेमिक पिट्यूटरी एड्रेनल को दबाव डालकर आपकी थकान को कम करती है जिससे तनाव कुछ देर के लिए नियंत्रित लगता है। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने शोध में पाया कि चीनी हेल्दी प्रतिभागियों में तनाव-प्रेरित कोर्टिसोल स्राव को रोकती है और चिंता और तनाव की भावनाओं को कम करती है। बता दें कि कोर्टिसोल एक तनाव हार्मोन के रूप में जाना जाता है। ऐसे में जब अब इसे खाने की आदत हो जाती हैं तो यह अन्य बीमारियों, मोटापे आदि का कारण बन जाता है।
जानकारी के मुताबिक, रिसर्चों में पाया गया है कि चीनी का एडिक्शन कोकीन से भी अधिक प्लेजर देने वाला होता है। यह दिमाग को तुरंत रिलीफ देता है। इस तरह कह सकते हैं कि हाई फॉर्म ऑफ शुगर कोकीन से भी अधिक स्ट्रॉन्गर होता है। बता दें कि हमारे देश में खुशियां सेलिब्रेट करने का मतलब है कुछ मीठा हो जाए। यही नहीं, जब हम परेशान होते हैं या मेंटली थकान महसूस करते हैं तो भी मिठास हमें अपनी ओर खींचती है। कई लोग तो मीठी चीजों को खाकर बेहतर महूसस करते हैं और तनाव आदि को दूर करने के लिए चॉकलेट या मिठाई का सहारा लेते हैं।
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मिठास और हमारे ब्रेन का आपस में है गहरा संबंध -ताजा अध्ययन के बाद वैज्ञानिकों का दावा