लंदन । क्या मंगल पर कभी पृथ्वी की तरह नदियां और सागर हिलोरे लेते थे? इसकी पुष्टि में नए-नए सुबूत विज्ञानियों को वक्त के साथ मिलते जा रहे हैं। इस सवाल से भी दुनिया भर के खगोल विज्ञानी जद्दोजहद कर रहे हैं कि अगर मंगल ग्रह की सतह पर किसी समय भरपूर मात्र में पानी मौजूद था, तो वह गायब कैसे हो गया? हाल ही में वाशिंगटन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन के जरिये इसका जवाब देने की कोशिश की है।
शोधकर्ताओं ने प्रोफेसर कुन वांग के नेतृत्व में किए गए अध्ययन में यह पाया है कि मंगल का छोटा आकार विशाल मात्रा में तरल पानी रखने में सक्षम नहीं था। प्रोफेसर कुन वांग के मुताबिक, उनकी टीम ने 1980 में मिले मंगल ग्रह के उल्कापिंडों का विश्लेषण किया। इससे यह पता लगा कि एक समय मंगल पर पृथ्वी की तुलना में भरपूर तरल पानी था। मंगल ग्रह की सतह पर वर्तमान में तरल पानी क्यों नहीं है? इसके बारे में शोधकर्ताओं ने कहा है कि चुंबकीय क्षेत्र दुर्बल होने के कारण मंगल अपने सघन वायुमंडल को नहीं संभाल सका था।प्रोफेसर कुन वांग के मुताबिक, मंगल के भाग्य का निर्णय प्रारंभ में ही हो गया था। चट्टानी ग्रहों को आवासीय गुण और प्लेट टेक्टोनिक्स रखने के लिए पर्याप्त पानी की आवश्यकता होती है। संभवत: चट्टानी ग्रहों को इसके लिए आकार के लिहाज से एक न्यूनतम सीमा की दरकार होती है, जो मंगल ग्रह से ज्यादा है। मंगल पृथ्वी की तरह पानी धारण करने के लिए आकार की आवश्यकता को पूरा नहीं करता है। इस अध्ययन के लिए विज्ञानियों ने विभिन्न ग्रहों पर पोटैशियम तत्व के स्थायी समस्थानिकों का इस्तेमाल वाष्पशील पदार्थो की मौजूदगी, वितरण और प्रचुरता के आकलन के लिए किया।शोधकर्ताओं ने पोटैशियम को ट्रेसर के रूप में इस्तेमाल किया, ताकि पानी सहित अन्य वाष्पशील पदार्थों के बारे में जानकारी जुटाई जा सके।
गौरतलब है कि इससे पहले के अनुसंधानों में शोधकर्ता पोटैशियम-थोरियम के अनुपात रिमोट सेंसिंग और रासायनिक विश्लेषण के माध्यम से प्राप्त कर मंगल पर वाष्पशील पदार्थों की उपस्थिति का पता लगाया करते थे। विज्ञानियों ने पोटैशियम के समस्थानिकों की 20 से ज्यादा संरचनाओं का मापन मंगल से आए उल्कापिंडों में किया और पाया कि अपने निर्माण के दौरान मंगल ने पोटैशियम और अन्य वाष्पशील पदार्थों की बड़ी मात्र पृथ्वी की अपेक्षा अधिक गंवाए। हालांकि, यह मात्र चंद्रमा और चार-वेस्टा क्षुद्रग्रह से अधिक थी।
साइंस & टेक्नोलॉजी
मंगल का छोटा आकार तरल पानी रखने में नहीं था सक्षम -मंगल पर पानी को लेकर जारी है वैज्ञानिकों का अध्ययन