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जनसेवक: नरेंद्र मोदी    

जनसेवक: नरेंद्र मोदी    


देश की आजादी के इतने वर्षों के बाद आज भी देश में आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और शिक्षा सहित अनेक क्षेत्रों में स्तर ऊपर उठाने की आवश्यकता आभास हो रहा है  या यह कहा जाए कि प्रगति की कमी दिखती है। क्या कारण है कि इतने वर्षों बाद भी देश में निराशा, बेरोजगारी, भुखमरी गरीबी के अलावा जनता के बीच एक अलग तरह की लाचारी देखी जा रही है? क्या कारण है कि बड़े-बड़े स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करने के बाद भी भारत वासियों के मन में राष्ट्र बोध की कमी और राष्ट्रीयता के प्रति उपेक्षा का भाव है?  आजादी के इतने वर्षों के बाद भी देशवासियों में वैसी चैतन्यता का निर्माण नहीं हो पाया जैसा भारत “राष्ट्र” की एक विराट सांस्कृतिक विरासत को देखते हुए होना चाहिए था। देश की गुलामी के दिनों में भी राष्ट्रीयता का भाव देशवासियों के मन में था इसीलिए उन्होंने अंग्रेजों को सत्ता से उखाड़ फेंका। बिना शुद्ध राष्ट्र भाव के कोई भी राष्ट्र प्रगति नहीं कर सकता और अपनी स्वतंत्रता को भी टिकाए नहीं रख सकता। परंतु अब इसमें कोई संदेह नहीं है कि यही राष्ट्रीयता का शुद्ध भाव देशवासियों के मन में पुनः जगाने का अगर कोई बीड़ा उठाये हुए है तो वह है देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ।
राष्ट्र वैभव के लिए कई लोगों ने अनेकों तरह के प्रयास किए परंतु उसमें से मूल तत्व ही गायब रहा। राष्ट्र वैभव की कल्पना कैसी होनी चाहिए और उसका स्वरूप कैसा होना चाहिए बहुत लोगों ने इस प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास किया परंतु यह दिखाई पड़ता है कि भारत के बाहर की जीवन पद्धतियों के आधार पर इसका उत्तर पाना असंभव है। भारतवर्ष विश्व का प्राचीनतम देश है और इसका एक अलग ही गौरवपूर्ण इतिहास रहा है। इसलिए इसके विकास करने हेतु आज जो बातें ध्यान में आती है उनमें उन तत्व का समावेश अति आवश्यक है जो संस्कृति जन्य हो। और यही दृष्टि, विचार और कार्यप्रणाली लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी निकल पड़े हैं।
अपने जीवन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दर्शन समाहित कर वे विश्व कल्याण की ओर अग्रसर है। उन्होंने तो जैसे राष्ट्रीयता का भाव आत्मसात कर लिया है। यही कारण है कि राष्ट्र के विकास के प्रति उनका दृष्टिकोण और कार्य पद्धति सेवा की है। प्रधानमंत्री बनने के पश्चात वे स्वयं कह चुके हैं कि मैं देश का प्रधानमंत्री नहीं अपितु प्रधान सेवक हूं।
मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद सबसे पहला और बड़ा बदलाव देशवासियों की सोचने के तरीके के रूप में देखने को मिला।
मोदी जी देश के पहले वह नेता हैं जिन्होंने स्वच्छता सेवा के ऊपर एक इतना बड़ा अभियान चलाया। केंद्र सरकार के कई विभागों ने 2014 से इस विषय पर एक साथ योजनाये बनाकर क्रियान्वयन किया, यह हम सभी जानते हैं।
आजादी के पश्चात देश के पुनरुत्थान के प्रति समर्पित प्रधानमंत्री मोदी जी की कार्यप्रणाली ने देशवासियों के अंदर ऐसा सेवा और समर्पण का भाव तैयार किया कि सड़क पर हुई किसी दुर्घटना को देखकर लोग केवल वीडियो नहीं बनाते बल्कि दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाने का भी काम करते हैं। लोगों के अंदर इस बदले हुए स्वरूप का उदाहरण हमें पिछले डेढ़ साल में विशेष रुप से देखने को मिला। इस वैश्विक बीमारी में सरकारी विभागों के अलावा अनेकों स्वयंसेवी संगठनों ने अपनी परवाह किए बिना जनमानस की सेवा करी ।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रथम सरसंघचालक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार जी ने कहा था “मानव सेवा ही ईश्वर की सेवा है” । देश की आजादी के समय 1947 के दंगों में माताओं बहनों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने का कार्य संघ के स्वयंसेवकों ने किया । जब भी देश में किसी स्थान पर दंगे हुए हर बार संघ के कार्यकर्ताओं ने पूरे समर्पण के साथ स्थानीय लोगों की हर संभव सहायता करी।
संघ से मिले इस प्रकार के सेवा और समर्पण के भाव को मोदी ने अपने जीवन चरितार्थ कर जिया। जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री  के रूप में थे तो वर्ष 2001 में भुज में भूकंप आने पर उन्होंने केवल 3 दिन के अंदर लाखों लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया और बहुत तीव्र गति से राहत सामग्री बटवाई। उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद भी 2015 में नेपाल में आए भीषण भूकंप में भारत सरकार ने वहा की सरकार और नागरिकों की भी हर संभव मदद करी ।
जिसमें संघ के तत्कालीन सह सरकार्यवाह श्रीमान दत्तात्रेय होसबोले ने भी वहां जाकर समन्वय का काम किया।
कश्मीर में जिन लोगों ने सेना के ऊपर पत्थर बरसाए थे उसी सेना को उन्होंने बाढ़ के पहले ही दिन देवदूत बनाकर भेजा और लाखों लोगों की जान बचाई। अन्यथा त्रासदी विकराल रूप ले सकती थी। यही नहीं बाढ़ में फंसे कश्मीर के गिलानी परिवार को भी उन्होंने सहायता कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया।
२०१५ में उत्तराखंड में दोबारा भूस्खलन और बाढ़ के गंभीर हालत बने। हालांकि इस बार पहले की तरह भयावह नहीं था, परंतु मोदी जी ने तत्परता दिखाते हुए शीघ्र सेना भेजकर राज्य की स्थिति और अधिक बिगड़ने से बचाई।
इसी तरह से अनेक मौकों पर विदेशों में भी राजनीतिक, सामाजिक या प्राकृतिक आपदा आने पर मोदी जी ने तुरंत ही लोगों को समय रहते भारत लाया। सूडान से तो भारत अलावा 18 अन्य देशों के नागरिकों को उनके सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया।
जब बात किसी की सहायता करने की होती है तो मोदी जी व्यक्ति, देश, विचारधारा, राजनैतिक दल अथवा अन्य कोई भी भेद या कारण नहीं देखते वरन बहुत समर्पण भाव से हर संभव मदत करते है  । अनेको बार तो सोशल मीडिया से मिली जानकारी के आधार पर ही लोगो को मदत मिल जाती है । आज की इस गंभीर बिमारी के समय में भी उनके विशेष प्रयासों से भारत ने अनेक देशो को वैक्सीन मुफ्त में पहुंचाकर पूरी दुनिया में एक अलग सन्देश दिया ।
जिस व्यक्ति ने अपना सम्पूर्ण जीवन मातृ भूमि की सेवा में न्योछावर कर दिया हो उसके सेवा भाव को कुछ उदाहरणों के द्वारा ही विश्लेषित नहीं किया जा सकता ।  वे न सिर्फ भारवासियों के लिए प्रेरणास्त्रोत है बल्कि सम्पूर्ण विश्व में अपने मानवीय पक्ष के लिए जाने जा रहे है ।प्रत्येक भारतीय को अपने आप में सेवा भावना व राष्ट्र के प्रति समर्पण जगाने हेतु देश के प्रधानमंत्री का अनुसरण करना चाहिए। मोदी जी ने सेवा और समर्पण के जो आदर्श, मानदंड व् कीर्तिमान प्रस्तुत कर दिए है उन पर चलना हमारी जिम्मेदारी ही नहीं कर्त्तव्य भी है।  जिन्हे युगो-२ तक याद किया जायेगा।  
 (लेखक- विवेक तिवारी )

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