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डायबिटीज  रोगी का बीपी रात में अगर बढ़ा तो मरने का चांस ज्‍यादा 

डायबिटीज  रोगी का बीपी रात में अगर बढ़ा तो मरने का चांस ज्‍यादा 

वर्तमान में मधुमेह ऐसा रोग हैं जिसका प्रभाव शरीर के प्रत्येक अंगों पर पड़ता हैं .शिर  से पाँव के नख तक और हर प्रणाली पर दोष प्रभाव डालता हैं .इसमें सबसे अधिक ह्रदय पर इसका विपरीत प्रभाव पड़त हैं .
एक अध्ययन के अनुसार, टाइप-1 और टाइप 2 वाले लोग जिनका बीपी रात में अचानक से बढ़ जाता है, उनमें मरने का जोखिम उन लोगों की तुलना में ज्यादा है, जिनका बीपी नींद के दौरान कम होता है।
डायबिटीज एक क्रॉनिक डिसीज है, जिसमें फिट रहने और लक्षणों को नियंत्रण में रखने के लिए ब्लड शुगर लेवल की निगरानी की बहुत जरूरत है। लेकिन टाइप-1 और टाइप 2 डायबिटीज से पीडि़त व्यक्ति के लिए एक लंबा और स्वस्थ जीवन जीने के लिए ब्लड प्रेशर लेवल को मैनेज करना भी उतना ही जरूरी है।
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के हाइपरटेंशन साइंटिफिक में हाल ही में प्रस्तुत 21 साल के एक अध्ययन के अनुसार, जो लोग टाइप-1 या टाइप 2 डायबिटीज से ग्रसित हैं और जिनका बीपी रात में सोते समय बढ़ जाता है, उन्हें सावधान रहना चाहिए। क्योंकि रात में बढ़ा हुआ बीपी उनकी जान तक ले सकता है। यह उन लोगों की तुलना में दो गुना ज्यादा है, जिनका बीपी रात में स्थिर या कम रहता है। अगर आपको भी डायबिटीज है, तो आपको भी पहले से ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है।
ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव कैसे होता है
आमतौर पर नींद के दौरान बीपी सामान्य रूप से कम हो जाता है, यदि रात के दौरान बीपी पर्याप्त रूप से कम नहीं होता, तो इसे नॉन-डिपिंग कहा जाता है। यदि दिन के बजाय रात में बीपी बढऩे लगे, तो इस स्थिति को रिवर्स डिपिंग कहते हैं। ये असामान्य ब्लड प्रेशर पैटर्नटाइप-1 या टाइप 2 डायबिटीज वाले लोगों में ह्दय संबंधी जटिलताओं और मृत्यु के बढ़ते जोखिम से जुड़े हैं। इसलिए विशेषज्ञ भी डायबिटीज से पीडि़त व्यक्ति को बीपी कंट्रोल करने की सलाह देते हैं।
10 में से 1 व्यक्ति को हो सकती है ये समस्या
स्टडी से पता चलता है कि टाइप-1 या टाइप 2 मधुमेह वाले 10 में से 1 व्यक्ति को रिवर्स डिपर की समस्या हो सकती है। इटली के यूनिवर्सिटी ऑफ पीसा के डिपार्टमेंट ऑफ क्लीनिकल एंड एक्सपेरीमेंटल मेडिसन के इंवेस्टीगेटर मार्टिना चिरीएको कहते हैं कि हर विशेषज्ञ को टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज वाले लोगों में असामान्य ब्लड प्रेशर की जांच करनी चाहिए। उनके मुताबिक यह स्थिति बीपी कंट्रोल की परवाह किए बिना मृत्यु के जोखिम को दोगुना बढ़ा सकती है।
एक तिहाई रिवर्स डिपर्स कार्डियक ऑटोनॉमिक न्यूरोपैथी से पीड़ित
रिसर्चर्स ने सन् 1999 में इटली के पीसा में डायबिटीज वाले 359 वयस्कों पर रिसर्च की। शोधकर्ताओं ने पाया कि आधे से ज्यादा प्रतिभागियों का ब्लड प्रेशर रात के दौरान बढ़ा हुआ था। इनमें से 20 प्रतिशत प्रतिभागी रिवर्स डिपर पर थे। उन्होंने यह भी देखा कि लगभग एक तिहाई रिवर्स डिपर्स कार्डियक ऑटोनॉमिक न्यूरोपैथी से पीड़ित थे।
ऐसे लोगों में जीने की संभावना 2.5 साल कम
बता दें कि कार्डियक ऑटोनॉमिक न्यूरोपैथी डायबिटीज एक गंभीर जटिलता है, जिसमें हार्ट और ब्लड वेसेल्स को नियंत्रित करने वाली नसें डैमेज हो जाती हैं। यह नर्व डैमेज ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट रेगुलेशन को प्रभावित करती है। जिसके बाद मृत्यु और हृदय से जुड़ी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। अध्ययन में यह भी पाया गया कि डिपर्स की तुलना में रिवर्स डिपर्स वाले लोगों में जीने की संभावना 2.5 साल कम थी। जबकि नान-डिपर्स में जीने की संभावना 1.1 साल कम थी।
डायबिटीज के कई मरीजों में हाइपरटेंशन की समस्या देखी गई है। डायबिटीज धमनियों को नुकसान पहुंचाती है। कई बार डायबिटीज के चलते शरीर की रक्त वाहिकाएं सख्त हो जाती हैं। इस स्थिति को एथेरोस्कलेरोसिस कहा जाता है। जिससे ब्लड प्रेशर बढऩे लगता है। हाई ब्लड प्रेशर और टाइप -2 डायबिटीज के कॉम्बिनेशन से आपको हार्ट स्ट्रोक या हार्ट अटैक होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
आज मधुमेह सबसे सामान्य रोग के साथ घातक बीमारी हैं .इसके लिए मधुमेह में शुगर का लेवल सामान्य रखे और यदि बी पी असंतुलित हैं तो और भी सावधानी की जरुरत हैं .क्योकि मधुमेह हृदय रोगियों पर चुपके  से आक्रमण कर मौत के मुँह में ले जाता हैं .          
मधुमेह एक का घुन हैं जो धीरे धीरे हमारे शरीर को खोखला कर देता हैं .
(लेखक-  विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन )

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