नई दिल्ली। किसी भी संस्था को अपने किये गए जन-कल्याण के कार्यों के बारे में जनत्ता तक पहुँचाने के लिए प्रचार-प्रसार एक माध्यम है। जिसके लिए विज्ञापन एजेन्सियों को नियुक्त कर उनकी क्रिएटिविटी का सहारा लिया जाता है। जिसके लिए विज्ञापन एजेन्सियां 24 घंटे 7 दिन-रात कार्य करती हैं। न सर्दी देखी जाती हैं न आंधी न तुफान। लेकिन एमसीडी ने लम्बे समय से इन विज्ञापन एजेन्सियों का भुगतान नहीं किया है जिसके कारण इन विज्ञापन एजेन्सियों की वित्तीय स्थिति डगमगा गई है। क्योंकि विज्ञापन एजेन्सियों को केवल 15ः की आय होती हैं और इसी आय में वे अपने खर्चे भी वहन करने होते हैं, और 85ः सम्बन्धित न्यूजपेपरों को विज्ञापन प्रकाशित होने के 60 दिनों के भीतर भुगतान करना अनिवार्य है। यदि विज्ञापन एजेन्सियों को भुगतान नहीं किया गया है तो विकास कार्यों के लिए निगम पार्षदों द्वारा खर्च किये गए पैसे किसकी जेब में जा रहे हैं। विज्ञापन एजेन्सियों को अभी हाल में केवल 5-5 लाख रूपये का भुगतान किया गया। एजेन्सियों के भुगतान के लिए कुछ निगम अधिकारी द्वारा कमीशन खाने का मुददा बहुत ही निन्दनीय है और इसकी जांच की जानी चाहिए। 2 वर्षों से एजेन्सियों को भुगतान नहीं किया गया इसलिए एजेन्सियों की हालत ऐसी है कि उन्होंने एमसीडी के विज्ञापन प्रकाशित करना बंद कर दिया है।
रीजनल नार्थ
बीजेपी शासित एमसीडी में लम्बे समय से भुगतान न होने से विज्ञापन एजेन्सियां भारी कर्ज में डुबी