नई दिल्ली। ईसाई मिशनरीज की तरफ से धर्मांतरण का मुद्दा एक बार फिर उठा है। अकाल तख्त जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा है कि क्रिश्चियन मिशनरीज पंजाब के सीमावर्ती इलाकों में ‘जबरन धर्मांतरण’ के लिए अभियान चला रही हैं। उन्होंने जानकारी दी कि इस समस्या से निपटने के लिए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने एक अभियान की शुरुआत की है। केरल में भी जबरन धर्मांतरण के मुद्दे ने तूल पकड़ा था। वहां, नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस के नेता ने कहा था कि ईसाई बड़े स्तर पर धर्म परिवर्तन करा रहे हैं। अकाल तख्त जत्थेदार ने बयान में कहा, ‘क्रिश्चियन मिशनरीज बीते कुछ सालों से सीमावर्ती इलाकों में जबरन धर्मांतरण के लिए अभियान चला रही हैं। मासूम लोगों को धोखा दिया जा रहा है या धर्म बदलने के लिए बहकाया जा रहा है।
उन्होंने कहा हमें इस तरह की कई खबरें मिली हैं।’ ‘शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने जबरन धर्मांतरण का सामना करने के लिए ‘घर घर अंदर धर्मशाल’ अभियान की शुरुआत की है।’ उन्होंने इसे सिख धर्म पर घातक हमला बताया है। इस अभियान के तहत सिख प्रचारक अपने धर्म से जुड़े साहित्य का वितरण करने के लिए गांव जाते हैं। जत्थेदार के बयान पर अमृतसर के डॉक्टर कश्मीर सिंह ने कहा, ‘ऐसे धर्मांतरण के पीछे कई कारण होते हैं। एक कारण भेदभाव है, जिसका सामना ग्रामीण गांवों में करते हैं। दलितों में असाक्षरता और गरीबी भी है, जो उन्हें आसान लक्ष्य बनाती है। उन्हें कहा जाता है कि धर्मांतरण उन्हें विदेश में बसने में मदद करेगा।’ उन्होंने कहा, ‘मिशनरीज दलितों को मनाने के लिए उनके घर जाती हैं। ऐसा कोई प्रयास एसजीपीसी की तरफ से नहीं किया जाता। इस तरह के धर्मांतरण को रोकने के लिए हमें दलित समुदाय से एसजीपीसी प्रचारकों और एसजीपीसी में ज्यादा दलित प्रतिनिधित्व की जरूरत है।’ पंजाब में दलित और अल्पसंख्यक संगठन के प्रमुख सिंह ने कहा कि मौजूदा अकाल तख्त जत्थेदार दलित सिख है और ‘समान अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए काफी कुछ किया जाना बाकी है।’ उन्होंने एसजीपीसी में अहम पदों पर दलित सिखों की नियुक्ति, भेदभाव के खिलाफ अकाल तख्त की तरफ से कड़े आदेश जारी करने और एसजीपीसी के तहत सभी शिक्षण संस्थानों में मुफ्त शिक्षा की बात कही है।
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सीमावर्ती पंजाब क्षेत्रों में ‘जबरन धर्मांतरण’ अभियान चला रहे ईसाई -मुकाबले के लिए एसजीपीसी ने एक अभियान शुरू किया:अकाल तख्त जत्थेदार