डेबिट कार्ड रखने वालों की संख्या पिछले 6 महीनों से लगातार गिर रही है। रिजर्व बैंक से मिले डेटा के मुताबिक, देश में डेबिट कार्ड्स की संख्या अक्टूबर 2018 के 99.8 करोड़ से 11 फीसदी गिरकर अप्रैल 2019 में 88.47 करोड़ पर आ गई। यह गिरावट ऐसे समय पर आई है, जब सरकार डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए बैंकों पर पॉइंट ऑफ सेल्स या कार्ड टर्मिनल्स की संख्या बढ़ाने पर जोर दे रही है। बैंकर्स का अनुमान है कि सेंट्रल बैंक के आदेश पर मैग्नेटिक स्ट्रिप वाले कार्ड्स को चिप से बदलने की वजह से ऐसा हुआ है। एक सीनियर बैंकर ने बताया, डेबिट कार्ड्स का एक बड़ा हिस्सा मैग्नेटिक स्ट्रिप वाले कार्ड्स का है, जिन्हें चिप या पिन से बदलना है। हालांकि कई कार्ड्स बदले जा चुके हैं, लेकिन एक बड़ा हिस्सा तमाम कारणों से अभी तक कस्टमर्स के पास नहीं पहुंच पाया है। इसी वजह से यह गिरावट आई होगी। बैंकर्स ने बताया कि सबसे बड़ी चुनौती पब्लिक सेक्टर के बैंकों के लिए है, जो गांव के कस्टमर्स से डील करते हैं, जिनमें डेबिट कार्ड की समझ कम है। वे कार्ड्स का रोजाना इस्तेमाल नहीं करते हैं, जिस कारण उन्हें पता नहीं होगा कि उनका कार्ड बंद कर दिया गया है। इसके चलते वे नया कार्ड लेने बैंक नहीं गए होंगे। यह भी डेबिट कार्ड्स की संख्या में गिरावट की एक वजह हो सकती है। एक दूसरे टॉप बैंकर ने बताया कि एक वजह यह भी हो सकती है कि कुछ जन धन अकाउंट निष्क्रिय हो गए हों और कुछ के कार्ड एक्सपायर हो गए हों।