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नई शिक्षा नीति में कामन एंट्रेंस टेस्ट का प्रस्ताव -एनईपी-2019 के मसौदे में उच्च शिक्षा में सुधार के लिए कई अहम सुझाव

नई शिक्षा नीति में कामन एंट्रेंस टेस्ट का प्रस्ताव -एनईपी-2019 के मसौदे में उच्च शिक्षा में सुधार के लिए कई अहम सुझाव

 कॉलेजों में दाखिले के लिए अगले दिनों में छात्रों को कॉमन एंट्रेंस टेस्ट से गुजरना पड़ सकता है। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी एनईपी-2019 के मसौदे में उच्च शिक्षा में सुधार के लिए कई सुझाव दिए गए हैं। नई शिक्षा नीति के मसौदे में कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में अलग-अलग प्रवेश परीक्षा की जगह एक संयुक्त प्रवेश परीक्षा की सिफारिश की गई है। अलग-अलग विषयों में दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षाएं साल में कई बार होंगी। यह व्यवस्था शुरू होने के बाद कॉलेजों द्वारा ली जाने वाली प्रवेश परीक्षा प्रक्रिया बंद हो जाएगी। पिछले कुछ सालों में बोर्ड परीक्षा में 95 फीसदी और इससे अधिक अंक हासिल करना सामान्य बात बनती जा रही है। सन 2018 में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित कॉलेजों में प्रवेश के लिए कटऑफ 96 फीसदी से अधिक ही रहा है। 
नई शिक्षा नीति की प्रस्तावित योजना इस समय जनता के बीच फीडबैक के लिए है। अगर एनईपी के सुझावों को मान लिया जाता है तो प्रवेश प्रक्रिया में भी काफी बदलाव हो सकते हैं। एनईपी ने जो सुझाव अभी दिए हैं उसमें कॉमन एंट्रेस टेस्ट साल में कई बार आयोजित करने का सुझाव दिया है। सुझाव के पीछे तर्क दिया है कि इससे छात्रों को कई बार प्रवेश परीक्षा देने का अवसर मिल सकेगा। प्रवेश परीक्षा में छात्रों को लॉजिक, रीजनिंग और विषय से जुड़े सवाल भी पूछे जाएंगे। एनईपी कमिटी ने कक्षा 10 और कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षाओं के मूल्यांकन के लिए भी कई सुधार सुझाए है। मसौदे के अनुसार छात्रों के पास मौका होगा कि वह कई प्रवेश परीक्षाओं और कई विषयों की प्रवेश परीक्षा में हिस्सा ले सकेंगे। 
प्रवेश परीक्षा का आयोजन नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की ओर से किया जाएगा। नई व्यवस्था के तहत विभिन्न विश्वविद्यालयों में एडमिशन के लिए छात्रों के पास कई मौके होंगे और वह कई विषयों में प्रवेश परीक्षा दे पाएंगे, जिनसे उनके पास चुनाव के विकल्प बढ़ जाएंगे। इसके साथ ही यूनिवर्सिटी और कॉलेज के पास यह विकल्प होगा कि वह छात्रों के विषयवार प्रदर्शन का मूल्यांकन कर सकेंगे। 
शिक्षा नीति के ड्राफ्ट में बोर्ड परीक्षाओं के मूल्यांकन में सुधार के लिए भी कई सुझाव दिए गए हैं। एनईपी के सुझावों के अनुसार बोर्ड परीक्षाओं का प्रभाव यूनिवर्सिटी की प्रवेश परीक्षा पर भी होता है। एनईपी ने अपने सुझाव में शिक्षा में बढ़ते कोचिंग सिस्टम को लेकर चिंता जाहिर की। एनईपी का सुझाव है कि स्कूली शिक्षा के दौरान ही छात्रों को अलग-अलग विषयों में विशेषज्ञता और सीखने की प्रक्रिया पर जोर दिया जाना चाहिए। 
बोर्ड परीक्षाओं के लिए दिए एनईपी ने सुझाव दिया है कि महीनों की कोचिंग और रट्टा मारकर अंक लाने के स्थान पर छात्रों की विषय के प्रति गहरी समझ के परीक्षण पर जोर देना चाहिए। सीबीएसई और दूसरे बोर्ड को भी इसका ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे की समझ और विषय को लेकर जानकारी और रूचि का मूल्यांकन होना चाहिए न कि कोचिंग पैटर्न को बढ़ावा देकर अंक हासिल करने पर। 

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