कैंसर पीडितों के लिए ऐसी दवाएं बनने वाली हैं जो सिर्फ शरीर में मौजूद कैंसर सेल्स पर ही हमला करेंगी। यह दवा हेल्दी सेल्स को किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाएगी। इन दवाओं में इतनी क्षमता है कि वे कैंसर के इलाज के लिए जरूरी माने जाने वाले कीमोथेरपी और उसके साइड इफेक्ट्स को रिप्लेस कर देंगी जिससे भविष्य में कैंसर मरीजों की देखभाल आसान हो जाएगी। पिछले कई दशकों से ऐंटिबॉडी ड्रग कॉन्जुगेट नाम की कॉम्प्लेक्स बायोलॉजिकल दवाएं विकसित की जा रही हैं और अब इसमें सफलता भी मिल रही है क्योंकि इनमें से ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के लिए तैयार किया गया ट्रीटमेंट जिसे डीएस-8201 नाम दिया गया है, एक एडीसी है जिसका लेट-स्टेज टेस्ट सफल साबित हुआ है।इस दवा की खासियत ही ये है कि यह दवा बिना नॉर्मल और हेल्दी सेल्स को नुकसान पहुंचाए सिर्फ कैंसर वाले सेल्स को टार्गेट करती है। हालांकि इस दवा को हकीकत बनकर मार्केट में आने में कुछ सालों का वक्त लग सकता है क्योंकि दवा की क्षमता की पुष्टि करने के लिए डेटा जमा करने में वक्त लग सकता है। ऐनालिस्ट कैरोलीन स्टेवर्ट की मानें तो डीएस-8201 जल्द ही दुनिया की सबसे बड़ी कैंसर बायोलॉजिक दवा बन सकती है। विश्लेषकों की मानें तो दुनियाभर में जिस कैंसर से सबसे ज्यादा महिलाओं की मौत होती है वह है- ब्रेस्ट कैंसर। ऐसे में डीएस-8201 दवा के इस्तेमाल से ब्रेस्ट कैसंर का शक्तिशाली और टार्गेटेड ट्रीटमेंट हो पाएगा। कीमोथेरपी में जहां शरीर में मौजूद कैंसर सेल्स के साथ-साथ हेल्दी सेल्स को भी नुकसान पहुंचता है।